करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
सोमालिया में प्रत्यक्ष चुनावों का इतिहास: 1969 से 2025 तक लोकतंत्र की लंबी प्रतीक्षा परिचय सोमालिया का आधुनिक राजनीतिक इतिहास अस्थिर सत्ता-परिवर्तन, सैन्य शासन, गृहयुद्ध और कबीलाई समीकरणों से गहराई से प्रभावित रहा है। 1969 में हुए संसदीय चुनाव देश के इतिहास में आख़िरी बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष लोकतांत्रिक चुनाव थे, जिनमें नागरिकों ने सीधे अपने प्रतिनिधियों को चुना। लेकिन कुछ ही महीनों बाद सैन्य तख्तापलट ने इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अचानक थाम दिया। इसके बाद के दशकों में सोमालिया लगातार हिंसा, अराजकता और विभाजन की ओर खिंचता गया — और लोकतंत्र एक दूर का सपना बनकर रह गया। 1969 के चुनाव और सियाद बर्रे की तानाशाही मार्च 1969 में आयोजित संसदीय चुनाव स्वतंत्र सोमालिया के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव थे। यह एक बहुदलीय, प्रतिस्पर्धी और प्रत्यक्ष चुनाव था, जिसने लोकतांत्रिक व्यवस्था के स्थायित्व की उम्मीद जगाई थी। लेकिन इसी वर्ष अक्टूबर में राष्ट्रपति अब्दीरशिद अली शर्मार्के की हत्या के बाद जनरल मोहम्मद सियाद बर्रे ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया। उनके नेतृत्व में स्थापित सोमाली रिवॉल्यूशनर...