करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
अरावली पर्वतमाला विवाद 2025: नई वैज्ञानिक परिभाषा, सुप्रीम कोर्ट और पर्यावरणीय भविष्य भूमिका: भारत की भू–पर्यावरणीय ढाल अरावली पर्वतमाला केवल पहाड़ियों की एक श्रृंखला नहीं है, बल्कि उत्तर भारत के पर्यावरणीय संतुलन की आधारशिला है। गुजरात से दिल्ली तक लगभग 690 किलोमीटर में फैली यह पर्वतमाला विश्व की सबसे प्राचीन पर्वत प्रणालियों में गिनी जाती है। थार मरुस्थल के विस्तार को रोकना, भूजल का पुनर्भरण, दिल्ली–एनसीआर की वायु गुणवत्ता बनाए रखना और समृद्ध जैव विविधता को संरक्षण देना—ये सभी भूमिकाएँ अरावली को रणनीतिक रूप से अपरिहार्य बनाती हैं। नवंबर 2025 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली की नई वैज्ञानिक परिभाषा को स्वीकृति दिए जाने के बाद यह पर्वतमाला केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि संवैधानिक, राजनीतिक और विकासात्मक बहस के केंद्र में आ गई है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संरक्षण बनाम दोहन अरावली का पर्यावरणीय क्षरण कोई नया विषय नहीं है। 1990 के दशक से ही राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के आसपास अवैध खनन, पत्थर कटाई और अनियंत्रित निर्माण ने इस पर्वतमाला को गंभीर क्षति पहुँचाई। 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने अरा...