करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
कुआलालंपुर समझौता: अमेरिकी कूटनीति और 2025 थाई-कंबोडिया सीमा संकट का समाधान परिचय दक्षिण-पूर्व एशिया का भू-राजनीतिक परिदृश्य सदियों से सीमाई अस्पष्टताओं और औपनिवेशिक विरासतों के कारण जटिल रहा है। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच प्रीह विहार मंदिर परिसर को लेकर चला आ रहा विवाद इसी विरासत का परिणाम है। 2025 में यह पुराना तनाव एक गंभीर सीमा संघर्ष में बदल गया, जिसने न केवल दोनों देशों को बल्कि समूचे आसियान (ASEAN) क्षेत्र को अस्थिर कर दिया। अंततः अक्टूबर 2025 में मलेशिया की राजधानी में हुए “कुआलालंपुर समझौते” ने इस संकट का शांतिपूर्ण समाधान प्रस्तुत किया। इस समझौते में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की निर्णायक भूमिका रही, जिन्होंने न केवल मध्यस्थता की बल्कि अपने पारंपरिक ‘आर्थिक दबाव कूटनीति’ का उपयोग कर दोनों पक्षों को युद्धविराम के लिए प्रेरित किया। संकट की पृष्ठभूमि: औपनिवेशिक मानचित्रों की अस्पष्टता थाई-कंबोडिया सीमा विवाद की जड़ें 1907 की फ्रांको-सियामी संधि तक जाती हैं, जब फ्रांसीसी उपनिवेश शासन के दौरान सीमाओं को निर्धारित तो किया गया, परंतु प्राचीन खमेर मंदिरों — विशेष रूप...