करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
स्वदेशी तकनीक का उदय: जोहो के माध्यम से भारत की डिजिटल आत्मनिर्भरता परिचय आधुनिक युग में डिजिटल तकनीक ने वैश्विक संचार, सहयोग और डेटा प्रबंधन को नया आयाम दिया है। हालाँकि, वैश्विक तकनीकी दिग्गजों जैसे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा पर निर्भरता ने डेटा गोपनीयता, साइबर सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता से जुड़े सवाल खड़े किए हैं। भारत में 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' जैसी पहलों ने स्वदेशी तकनीकी समाधानों को बढ़ावा दिया है। इस संदर्भ में, चेन्नई-मूल की कंपनी जोहो कॉरपोरेशन (Zoho Corporation) एक प्रमुख उदाहरण के रूप में उभरी है, जो जीमेल, गूगल ड्राइव, व्हाट्सएप और जूम जैसे विदेशी प्लेटफॉर्म्स के लिए सुरक्षित और किफायती विकल्प प्रदान करती है। यह लेख जोहो के उत्पादों, उनकी विशेषताओं और भारत की डिजिटल आत्मनिर्भरता में उनके योगदान का विश्लेषण करता है। जोहो का अवलोकन और स्वदेशी विकल्प जोहो कॉरपोरेशन, जिसकी स्थापना 1996 में श्रीधर वेम्बु ने की थी, एक भारतीय कंपनी है जो क्लाउड-आधारित सॉफ्टवेयर समाधानों के लिए जानी जाती है। इसके उत्पाद पोर्टफोलियो में जोहो मेल (Gmail का विकल्प...