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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Drishti IAS Fined ₹5 Lakh by CCPA for Misleading UPSC CSE 2022 Ads: A Call for Transparency

कोचिंग संस्थानों में पारदर्शिता की आवश्यकता केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) द्वारा दृष्टि आईएएस पर यूपीएससी सीएसई 2022 के चयन दावों में भ्रामक विज्ञापनों के लिए ₹5 लाख का जुर्माना लगाया जाना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कार्रवाई न केवल दृष्टि आईएएस के लिए, बल्कि देश भर के उन सभी कोचिंग संस्थानों के लिए एक सख्त संदेश है, जो अपनी उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर छात्रों को गुमराह करते हैं। दृष्टि आईएएस ने सफल उम्मीदवारों की संख्या और उनकी तैयारी में अपनी भूमिका को अतिशयोक्तिपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया, जिससे न केवल उपभोक्ताओं का भरोसा टूटता है, बल्कि यह शिक्षा क्षेत्र की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है। आज के दौर में, जहां यूपीएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थान लाखों छात्रों की पहली पसंद बन चुके हैं, उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। ये संस्थान न केवल शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि युवाओं के सपनों और भविष्य को आकार देने का दावा भी करते हैं। ऐसे में, भ्रामक विज्ञापनों के जरिए झूठे दावे करना न केवल अनैतिक है, बल्कि यह उन मेहनती छात्रों के साथ अन्याय है...

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