करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
Sarah Mullally Appointment as Archbishop of Canterbury: Historical Significance & UPSC Analysis in Hindi
सारा मुलाली: एक ऐतिहासिक नियुक्ति — UPSC दृष्टिकोण से विश्लेषण परिचय 3 अक्टूबर 2025 का दिन इतिहास में दर्ज हो गया। पहली बार 1,400 साल पुरानी एंग्लिकन परंपरा टूटी और डेम सारा मुलाली को कैंटरबरी का आर्चबिशप नामित किया गया। चर्च ऑफ इंग्लैंड, जिसे दुनिया भर के 85 मिलियन एंग्लिकन समुदायों का ‘मदर चर्च’ कहा जाता है, अब पहली बार महिला नेतृत्व में होगा। यह कदम न केवल लैंगिक समानता का प्रतीक है, बल्कि धार्मिक संस्थाओं में समावेशन और सुधार की दिशा में बड़ा संकेत भी। UPSC परीक्षार्थियों के लिए यह घटना धर्म-राज्य संबंध, संस्थागत सुधार, नैतिक नेतृत्व और धार्मिक कूटनीति पर केस स्टडी के रूप में बेहद उपयोगी है। ऐतिहासिक महत्व और प्रतीकात्मकता सातवीं शताब्दी से लेकर अब तक यह पद पूरी तरह पुरुषों के हाथों में रहा। मुलाली की नियुक्ति उस परंपरा को तोड़ती है और महिलाओं की भागीदारी को नया आयाम देती है। यह केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि एक संदेश है कि धार्मिक संस्थाएं भी न्याय और प्रतिनिधित्व की ओर बढ़ सकती हैं। फिर भी सवाल यह है—क्या केवल प्रतीकात्मक बदलाव काफी है? क्या यह कदम चर्च की गहरी चुनौत...