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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Filipino Migrant Workers: The Painful Trade-off Between Family and Livelihood

फिलिपींस के प्रवासी श्रमिक: आर्थिक अवसर और भावनात्मक विछोह की दोहरी सच्चाई परिचय फिलिपींस को अक्सर “दुनिया का नर्सरी ऑफ लेबर” कहा जाता है। यह वह देश है जहाँ लाखों लोग हर वर्ष अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए विदेशों में काम करने का कठिन निर्णय लेते हैं। Reuters की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, फिलिपींस के सैकड़ों हजारों नागरिक — विशेषकर महिलाएँ — खाड़ी देशों, एशिया और यूरोप के हिस्सों में घरेलू कामगार, नर्स, तकनीशियन और नाविक के रूप में कार्यरत हैं। यह प्रवासन केवल आर्थिक कारणों का परिणाम नहीं, बल्कि एक भावनात्मक संघर्ष की कहानी भी है — जहाँ परिवार के बेहतर भविष्य की कीमत होती है, विछोह और अकेलापन। आर्थिक मजबूरी और अवसर का द्वंद्व फिलिपींस की अर्थव्यवस्था लंबे समय से remittance economy पर आधारित है। देश के केंद्रीय बैंक के अनुसार, विदेशी श्रमिकों द्वारा भेजी गई धनराशि राष्ट्रीय GDP का लगभग 10% से अधिक हिस्सा बनाती है। इन प्रवासियों के लिए विदेश जाना अक्सर एकमात्र रास्ता होता है — “घर पर रहो तो भूख से लड़ो, विदेश जाओ तो दूरी से।” बहुत से श्रमिक कम वेतन, बेरोजगारी और महंगाई...

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