करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
मणिपुर जीएसटी द्वितीय संशोधन विधेयक 2025: भारत के संघीय राजकोषीय समन्वय पर प्रभाव सार भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था, 2017 में लागू होने के बाद से, एक विभाजित अप्रत्यक्ष कर प्रणाली से एकीकृत, पारदर्शी और सहकारी संघवाद की दिशा में महत्वपूर्ण कदम रही है। हाल में 1 दिसंबर 2025 को लोकसभा द्वारा पारित मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 यह दर्शाता है कि राज्य-स्तरीय कानूनों को केंद्र के साथ कितनी निरंतरता से समन्वित रखना आवश्यक है। यह विधेयक 7 अक्टूबर 2025 को लागू अध्यादेश का स्थान लेता है, जो 56वीं जीएसटी परिषद द्वारा तय दर-तर्कसंगतिकरण (rate rationalization) को लागू करने हेतु जारी किया गया था। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन, शीतकालीन सत्र की जटिल संसदीय पृष्ठभूमि और परोक्ष कर सुधारों के व्यापक संदर्भ—सभी मिलकर इस विधायी कार्रवाई को संघवाद, कार्यपालिका-विधायिका संतुलन तथा राजकोषीय संघवाद की दृष्टि से विश्लेषण योग्य बनाते हैं। यह लेख विधेयक की प्रमुख विशेषताओं, इसके विधायी मार्ग, तथा भारत के कर-परिदृश्य पर इसके प्रभावों का अध्ययन करता है। 1. प्रस्तावना भार...