करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की शताब्दी: विचारधारा, इतिहास और भविष्य की जटिल यात्रा भूमिका: दो शताब्दियाँ, दो दिशाएँ वर्ष 2025 भारतीय राजनीति में एक गहरे प्रतीकात्मक अर्थ के साथ उपस्थित हुआ है। यह वर्ष दो ऐसे संगठनों की शताब्दी का साक्षी है, जिनका जन्म एक ही ऐतिहासिक क्षण—1925—में हुआ, किंतु जिनकी वैचारिक यात्राएँ एक-दूसरे के ठीक विपरीत दिशाओं में बढ़ीं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) दोनों का उदय औपनिवेशिक भारत की असंतोषपूर्ण चेतना से हुआ, परंतु एक संगठन सत्ता, प्रभाव और सामाजिक स्वीकार्यता के शिखर पर है, जबकि दूसरा अपने अस्तित्व, प्रासंगिकता और भविष्य को लेकर आत्ममंथन के दौर से गुजर रहा है। सीपीआई की शताब्दी का अपेक्षाकृत शांत गुजर जाना केवल संगठनात्मक कमजोरी का संकेत नहीं है, बल्कि यह भारतीय वामपंथ के ऐतिहासिक उत्थान, वैचारिक जड़ता और राजनीतिक अलगाव की गहरी कहानी कहता है। फिर भी, जैसा कि विद्वान सी. राजा मोहन इंगित करते हैं, भारतीय कम्युनिज्म के लिए शोक-संदेश लिखना अभी जल्दबाज़ी होगी। यह लेख इसी जटिल द्वंद्व—पतन और संभावना—का समग्र विश्लेषण प्रस...