करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
Supreme Court’s Landmark Verdict: Orders Removal of Stray Dogs and Cattle from Public Places for Public Safety and Animal Welfare
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों एवं मवेशियों को हटाने के निर्देश परिचय भारत जैसे विशाल और जनसंख्या-घनत्व वाले देश में आवारा पशुओं की समस्या नई नहीं है, किंतु हाल के वर्षों में यह जन-सुरक्षा, सार्वजनिक स्वच्छता और शहरी शासन — तीनों स्तरों पर एक गंभीर चुनौती के रूप में उभरी है। स्कूलों, अस्पतालों, बस अड्डों, पार्कों और राजमार्गों पर घूमते आवारा कुत्ते और मवेशी न केवल नागरिकों की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके हैं, बल्कि ये सड़क दुर्घटनाओं, रेबीज जैसी बीमारियों और पर्यावरणीय अव्यवस्था का भी कारण हैं। इसी पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट का हालिया निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसमें न्यायालय ने अधिकारियों को स्कूलों, बस अड्डों तथा राजमार्गों से आवारा कुत्तों और मवेशियों को हटाकर पशु आश्रयों में रखने का निर्देश दिया है। यह फैसला न केवल मानवीय सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि पशु कल्याण और शहरी नियोजन के बीच संतुलन स्थापित करने का भी प्रयास है। समस्या का स्वरूप भारत में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 6 करोड़ आंकी गई है — जो विश्व में सबसे अधिक है। इनमें से अधिकांश शह...