करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
लद्दाख संकट 2025: एक गहरी परीक्षा भारतीय संघवाद और लोकतंत्र की प्रस्तावना लद्दाख आज सिर्फ़ एक भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के धैर्य और परिपक्वता की कसौटी बन चुका है। 2025 में जो उथल-पुथल दिखाई दे रही है, वह मात्र प्रशासनिक असंतोष नहीं है; यह भारत के संघीय ढांचे, संसाधनों की न्यायपूर्ण साझेदारी और सांस्कृतिक स्वायत्तता के बारे में हमारी समझ की परीक्षा है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से मूल्यगत बोध भारत ने जब लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाया, तब यह माना गया कि विकास और सुरक्षा दोनों को नई गति मिलेगी। लेकिन लोकतंत्र केवल सुरक्षा और विकास से नहीं चलता; वह “सहमति” और “प्रतिनिधित्व” की ज़मीन पर टिकता है। जब स्थानीय लोग अपने भविष्य के निर्णय-निर्माण में शामिल नहीं होते, तो विकास एकतरफ़ा प्रतीत होता है और सुरक्षा भी कठोर लगती है। यही असंतुलन इस समय लद्दाख के विरोध और बेचैनी में झलक रहा है। स्वायत्तता बनाम केंद्रीकरण का द्वंद्व भारत का संघीय ढांचा “एकता में विविधता” की मूल भावना पर आधारित है। लेकिन लद्दाख का संकट यह संकेत देता है कि केवल प्रशासनिक पुनर्गठन या संवैधानिक प्रावधान पर्याप...