कोचिंग संस्थानों में पारदर्शिता की आवश्यकता
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) द्वारा दृष्टि आईएएस पर यूपीएससी सीएसई 2022 के चयन दावों में भ्रामक विज्ञापनों के लिए ₹5 लाख का जुर्माना लगाया जाना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कार्रवाई न केवल दृष्टि आईएएस के लिए, बल्कि देश भर के उन सभी कोचिंग संस्थानों के लिए एक सख्त संदेश है, जो अपनी उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर छात्रों को गुमराह करते हैं। दृष्टि आईएएस ने सफल उम्मीदवारों की संख्या और उनकी तैयारी में अपनी भूमिका को अतिशयोक्तिपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया, जिससे न केवल उपभोक्ताओं का भरोसा टूटता है, बल्कि यह शिक्षा क्षेत्र की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है।
आज के दौर में, जहां यूपीएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थान लाखों छात्रों की पहली पसंद बन चुके हैं, उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। ये संस्थान न केवल शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि युवाओं के सपनों और भविष्य को आकार देने का दावा भी करते हैं। ऐसे में, भ्रामक विज्ञापनों के जरिए झूठे दावे करना न केवल अनैतिक है, बल्कि यह उन मेहनती छात्रों के साथ अन्याय है, जो अपनी मेहनत और संसाधनों को इन संस्थानों पर निवेश करते हैं। सीसीपीए का यह कदम स्वागतयोग्य है, क्योंकि यह कोचिंग उद्योग में जवाबदेही को बढ़ावा देता है।
हालांकि, यह केवल शुरुआत है। कोचिंग संस्थानों को अपनी उपलब्धियों के दावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। इसके लिए न केवल नियामक प्राधिकरणों को सक्रिय रहना होगा, बल्कि छात्रों और अभिभावकों को भी जागरूक होने की जरूरत है। उन्हें विज्ञापनों के आकर्षक दावों पर आंख मूंदकर भरोसा करने के बजाय तथ्यों की जांच करनी चाहिए। साथ ही, सरकार को चाहिए कि वह कोचिंग उद्योग के लिए एक मजबूत नियामक ढांचा विकसित करे, ताकि भ्रामक प्रचार पर अंकुश लगाया जा सके।
दृष्टि आईएएस पर लगाया गया जुर्माना एक चेतावनी है कि शिक्षा के नाम पर भ्रामक प्रचार अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह समय है कि कोचिंग संस्थान अपनी जिम्मेदारी को समझें और न केवल शिक्षा, बल्कि नैतिकता और पारदर्शिता के उच्च मानकों को भी अपनाएं। तभी हम एक ऐसे शैक्षिक परिवेश का निर्माण कर सकते हैं, जो न केवल प्रतिस्पर्धी हो, बल्कि विश्वसनीय और निष्पक्ष भी हो।
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
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