India’s Strong Economic Momentum: A Comprehensive Analysis of Q2 FY26 GDP Growth Amid Global Challenges
भारत की सुदृढ़ आर्थिक प्रगति: वैश्विक चुनौतियों के बीच Q2 FY26 की GDP वृद्धि का विश्लेषण
भारत की अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर अपनी अंतर्निहित मजबूती का परिचय दिया है। वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) की दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़े इस तथ्य को मजबूती से रेखांकित करते हैं कि वैश्विक अनिश्चितताओं—विशेषकर अमेरिकी व्यापार शुल्कों—के बावजूद भारत की विकास गति प्रभावशाली बनी हुई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, वास्तविक GDP वृद्धि 8.2% तक पहुँच गई, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही के 5.6% और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 7.8% से स्पष्ट रूप से अधिक है। यह छह तिमाहियों में सर्वाधिक वृद्धि है, जो भारत की आर्थिक संरचना की सहनशीलता और नीति-निर्माण की तत्परता को दर्शाती है।
क्षेत्रीय प्रदर्शन: विकास का आधारभूत ढाँचा
Q2 FY26 की वृद्धि का स्रोत व्यापक और बहुआयामी रहा। विनिर्माण, निर्माण और सेवाओं—इन तीनों क्षेत्रों ने मिलकर विकास को न केवल मजबूत आधार दिया, बल्कि संतुलन भी सुनिश्चित किया।
1. विनिर्माण—स्वदेशी उत्पादन का उभार
विनिर्माण क्षेत्र ने 9.1% की उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की, जो उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं और घरेलू उत्पादन क्षमता विस्तार के प्रत्यक्ष प्रभाव को दर्शाता है। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ने से कुल कारक उत्पादकता (TFP) में भी सुधार हुआ, जो रोमैर जैसे अंतर्जात वृद्धि सिद्धांतों की प्रासंगिकता को पुनः स्थापित करता है।
2. निर्माण—अवसंरचना निवेश का प्रसार
निर्माण क्षेत्र की 7.2% की वृद्धि सरकारी पूँजीगत व्यय और अवसंरचना परियोजनाओं की गति का परिणाम है। राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) के अंतर्गत चल रहे निवेशों ने रोजगार और सहायक उद्योगों पर गुणक (multiplier) प्रभाव उत्पन्न किया, जिससे सकल स्थिर पूँजी निर्माण में निरंतर सुधार देखा गया।
3. सेवाएँ—भारत की दीर्घकालिक ताकत
सेवा क्षेत्र, जो भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख इंजन है, 9.2% की दर से बढ़ा। वित्तीय सेवाएँ, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में दो अंकों की वृद्धि रही। यह प्रदर्शन भारत की सेवा-प्रधान संरचना और बालासा-सैमुएलसन प्रभाव को रेखांकित करता है, जिसके अनुसार प्रतिस्पर्धी सेवाएँ घरेलू आय और क्रयशक्ति को बढ़ाती हैं।
इसके विपरीत, कृषि क्षेत्र असमान वर्षा के कारण 3.5% की मध्यम वृद्धि दर्ज कर सका। ऊर्जा एवं उपयोगिताओं की वृद्धि 4.4% रही, जो मांग स्थिरता के बावजूद हरित ऊर्जा रूपांतरण की आवश्यकता को दर्शाती है।
वैश्विक दबावों के बीच विकास: अमेरिकी शुल्कों का प्रभाव
यह उल्लेखनीय है कि यह वृद्धि उस समय दर्ज की गई जब अमेरिका ने इस्पात, एल्यूमिनियम और कुछ वस्त्र उत्पादों पर 25% तक के शुल्क पुनः लागू किए। इन शुल्कों से भारतीय निर्यात को नुकसान पहुँचने की आशंका थी, और यह अनुमान लगाया गया था कि इससे GDP वृद्धि पर 0.2–0.3 प्रतिशत अंक तक का प्रभाव पड़ सकता है। इसके बावजूद, GDP ने बाज़ार अनुमानों को पछाड़ते हुए 8.2% की दर प्राप्त की।
इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि भारत ने वैश्विक बाज़ारों में विविधीकरण को प्राथमिकता दी है। ASEAN देशों और एशियाई मूल्य-श्रृंखलाओं के साथ बढ़ते व्यापार ने अमेरिकी बाज़ार में संभावित कमी की भरपाई की। सेवाओं का निर्यात—विशेषकर आईटी और बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट—टैरिफ से मुक्त रहते हुए 12% से अधिक बढ़ा।
नीतिगत संकेत और आगे की राह
भारत की उच्च वृद्धि दर आर्थिक पुनरुत्थान के "V-आकार" को पुष्ट करती है। हालांकि, इस गति को बनाए रखने के लिए कुछ नीतिगत प्राथमिकताएँ स्पष्ट रूप से उभरती हैं—
- राजकोषीय संयम आवश्यक है ताकि उच्च सार्वजनिक निवेश के साथ-साथ वित्तीय स्थिरता बनी रहे।
- मौद्रिक नीति को मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखते हुए वृद्धि-समर्थक बने रहना होगा।
- कृषि सुधार और लक्षित सहायता योजनाएँ ग्रामीण असमानताओं को कम करने में सहायक होंगी।
- कौशल, शिक्षा और मानव पूँजी में निवेश दीर्घकालिक उत्पादकता वृद्धि के लिए निर्णायक होंगे, जैसा कि सोलो की दीर्घकालिक विकास अवधारणा सुझाती है।
निष्कर्ष
Q2 FY26 की 8.2% GDP वृद्धि यह स्पष्ट करती है कि भारत केवल वैश्विक परिस्थितियों को झेल नहीं रहा, बल्कि उनके बीच नई ऊर्जा और लचीलापन भी प्रदर्शित कर रहा है। विनिर्माण, निर्माण और सेवाओं की सामूहिक मजबूती ने भारत की विकास कथा को नया आयाम दिया है। फिर भी, इस गति को सर्वसमावेशी और टिकाऊ बनाने के लिए निरंतर सुधार और विवेकपूर्ण नीति-निर्माण आवश्यक होंगे। यदि यह प्रगति बनी रहती है, तो भारत अगले कुछ वर्षों में वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में और भी सशक्त भूमिका निभाने की स्थिति में होगा।
With India Today Inputs
Comments
Post a Comment