सोमालिया में प्रत्यक्ष चुनावों का इतिहास: 1969 से 2025 तक लोकतंत्र की लंबी प्रतीक्षा
परिचय
सोमालिया का आधुनिक राजनीतिक इतिहास अस्थिर सत्ता-परिवर्तन, सैन्य शासन, गृहयुद्ध और कबीलाई समीकरणों से गहराई से प्रभावित रहा है। 1969 में हुए संसदीय चुनाव देश के इतिहास में आख़िरी बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष लोकतांत्रिक चुनाव थे, जिनमें नागरिकों ने सीधे अपने प्रतिनिधियों को चुना। लेकिन कुछ ही महीनों बाद सैन्य तख्तापलट ने इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अचानक थाम दिया। इसके बाद के दशकों में सोमालिया लगातार हिंसा, अराजकता और विभाजन की ओर खिंचता गया — और लोकतंत्र एक दूर का सपना बनकर रह गया।
1969 के चुनाव और सियाद बर्रे की तानाशाही
मार्च 1969 में आयोजित संसदीय चुनाव स्वतंत्र सोमालिया के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव थे। यह एक बहुदलीय, प्रतिस्पर्धी और प्रत्यक्ष चुनाव था, जिसने लोकतांत्रिक व्यवस्था के स्थायित्व की उम्मीद जगाई थी।
लेकिन इसी वर्ष अक्टूबर में राष्ट्रपति अब्दीरशिद अली शर्मार्के की हत्या के बाद जनरल मोहम्मद सियाद बर्रे ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया। उनके नेतृत्व में स्थापित सोमाली रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने देश को एकदलीय अधिनायकवादी शासन की ओर धकेल दिया। बर्रे के शासनकाल के कथित चुनाव सिर्फ औपचारिकता भर बनकर रह गए — जिनमें न तो प्रतिस्पर्धा थी, न ही वास्तविक जनभागीदारी।
1991 के बाद: गृहयुद्ध और विखंडन की राजनीति
1991 में बर्रे शासन के पतन के बाद सत्ता शून्य और कबीलाई संघर्षों ने सोमालिया को लंबे गृहयुद्ध में धकेल दिया। देश कई हिस्सों में बंट गया —
- कुछ क्षेत्र स्थानीय मिलिशियाओं के नियंत्रण में चले गए,
- सोमालिलैंड ने अलगाववादी प्रशासन विकसित किया,
- जबकि पुंटलैंड ने अर्ध-स्वायत्त मॉडल अपनाया।
राष्ट्रीय स्तर पर लोकतांत्रिक संरचना को पुनर्स्थापित करने के प्रयासों में 2004 से एक अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली लागू की गई। इसमें पारंपरिक कबीलाई नेता सांसद चुनते थे, और वही सांसद राष्ट्रपति का चुनाव करते थे। यह मॉडल व्यावहारिक तो था, लेकिन
- भ्रष्टाचार,
- कबीलाई सौदेबाजी,
- और अल-शबाब जैसे उग्रवादी संगठनों के दबाव
के कारण लगातार विवादों में घिरा रहा।
2012, 2017 और 2022 के राष्ट्रपति चुनाव इसी अप्रत्यक्ष ढांचे के माध्यम से संपन्न हुए — परंतु इनमें जनता की सीधी भागीदारी न होने से लोकतंत्र अधूरा सा प्रतीत होता रहा।
स्थानीय प्रयोग: पुंटलैंड और सोमालिलैंड का अनुभव
राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्यक्ष चुनाव संभव न हो सके, लेकिन कुछ क्षेत्रों में लोकतांत्रिक प्रयोग जारी रहे।
- पुंटलैंड में समय-समय पर स्थानीय निकाय चुनाव आयोजित हुए,
- वहीं सोमालिलैंड ने अपेक्षाकृत स्थिर राजनीतिक प्रक्रिया विकसित की।
इन अनुभवों ने यह साबित किया कि उचित सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था के साथ सोमालिया में भी जनाधारित चुनावी प्रणाली संभव है।
2025: मोगादिशु में 56 वर्ष बाद लोकतंत्र की वापसी की आहट
25 दिसंबर 2025 सोमालिया के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप में दर्ज हो गया। राजधानी मोगादिशु में 56 वर्षों बाद पहली बार प्रत्यक्ष स्थानीय चुनाव आयोजित किए गए।
- लगभग 5 लाख मतदाताओं ने मतदान किया,
- 390 पदों के लिए 1,605 उम्मीदवार मैदान में थे,
- शहर में लगभग 10,000 पुलिसकर्मियों की कड़ी सुरक्षा तैनात रही।
यह चुनाव 2024 में बने नए चुनावी कानून के तहत आयोजित किया गया, जिसे एक व्यक्ति–एक वोट प्रणाली की बहाली की दिशा में पहला वास्तविक कदम माना जा रहा है। इसे 2026 में प्रस्तावित राष्ट्रीय स्तर के चुनावों की तैयारियों का आधार भी समझा जा रहा है।
हालांकि विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया का बहिष्कार किया और कुछ अंतरराष्ट्रीय साझेदारों का समर्थन सीमित रहा, फिर भी मतदान अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहा — जो सुरक्षा खतरों के बीच एक उल्लेखनीय उपलब्धि कही जा सकती है।
चुनाव का प्रतीकात्मक और व्यावहारिक महत्व
मोगादिशु चुनाव केवल स्थानीय प्रशासन के गठन तक सीमित नहीं हैं; उनका महत्व इससे कहीं अधिक व्यापक है—
- यह लोकतांत्रिक इच्छा के पुनर्जागरण का संकेत है,
- जनता की सीधी भागीदारी के पुनर्स्थापन का पहला मंच है,
- और एक ऐसे समाज की उम्मीद है जो लंबे समय से संघर्ष और भय के साए में जी रहा था।
साथ ही यह प्रक्रिया आने वाले समय में
- चुनावी संस्थाओं की क्षमता,
- सुरक्षा ढांचे की मजबूती,
- तथा राजनीतिक सहमति निर्माण
की वास्तविक परीक्षा भी साबित होगी।
आगे की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
हालाँकि यह कदम ऐतिहासिक है, पर राह अभी लंबी है।
- अल-शबाब का आतंकवादी खतरा,
- कबीलाई शक्ति समीकरण,
- राजनीतिक अविश्वास और संसाधनों की कमी
लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नाज़ुक बना देते हैं।
2026 के राष्ट्रीय चुनाव यह तय करेंगे कि यह उपलब्धि एक स्थायी लोकतांत्रिक संक्रमण में बदलेगी या सिर्फ एक प्रतीकात्मक पड़ाव बनकर रह जाएगी।
निष्कर्ष
1969 से 2025 तक सोमालिया की चुनावी यात्रा संघर्ष, विघटन और पुनर्निर्माण की कहानी है। मोगादिशु में हुए प्रत्यक्ष स्थानीय चुनाव न केवल लोकतंत्र की ओर वापसी का संकेत देते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि समाज अभी भी आशा, भागीदारी और राजनीतिक पुनर्जागरण की संभावनाओं से भरा हुआ है।
यदि आने वाले वर्षों में यह प्रक्रिया मजबूत संस्थागत ढांचे, समावेशी राजनीति और सुरक्षा सुधारों के साथ आगे बढ़ती है, तो 2025 को सोमालिया के लिए एक नई शुरुआत के रूप में याद किया जाएगा — जहाँ जनता एक बार फिर अपनी सरकार चुनने के लिए सीधे मतदान कर सकेगी।
With Reuters Inputs
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