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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

71st National Film Awards

 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2025: शाहरुख खान और रानी मुखर्जी को मिला अभिनय का सर्वोच्च सम्मान

— संपादकीय विश्लेषण |

71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा ने भारतीय सिनेमा के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ प्रस्तुत किया, जब बॉलीवुड के ‘किंग’ शाहरुख खान को पहली बार राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी बहुचर्चित फिल्म जवान में निभाए गए दोहरी भूमिका के लिए उन्हें यह सम्मान मिला, जो सामाजिक न्याय, पितृत्व, और राष्ट्रवाद जैसे संवेदनशील विषयों को एक व्यावसायिक ढांचे में पिरोकर प्रस्तुत करती है।

शाहरुख खान के साथ विक्रांत मैसी को भी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के सम्मान में भागीदार बनाया गया, जिन्होंने 12th फेल जैसी प्रेरणादायक बायोपिक में गहराई, संघर्ष और आत्म-संघर्ष का सशक्त प्रदर्शन किया। यह फिल्म लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बनी, जो संघर्षों के बीच अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।

वहीं रानी मुखर्जी को फिल्म Mrs Chatterjee vs Norway में एक माँ की जटिल भावनाओं और सांस्कृतिक टकराव को संवेदनशीलता से चित्रित करने के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार प्रदान किया गया। यह फिल्म केवल व्यक्तिगत संघर्ष की कहानी नहीं है, बल्कि यह प्रवासी जीवन, मातृत्व के अधिकार, और पश्चिमी सामाजिक तंत्र पर एक गहरा प्रश्न भी खड़ा करती है।


🌟 सिनेमा और सामाजिक संदर्भ

राष्ट्रीय पुरस्कार केवल फिल्मी दुनिया की चमक-दमक नहीं बल्कि समाज में सिनेमा की भूमिका को रेखांकित करते हैं। जवान जहां भ्रष्टाचार, प्रणालीगत अन्याय और महिलाओं की सुरक्षा जैसे विषयों पर व्यावसायिक फिल्म के स्तर से ऊपर उठती है, वहीं 12th फेल उस आम भारतीय की कहानी कहती है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानता।

इसी तरह Mrs Chatterjee vs Norway एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है जो भारतीय मूल्य प्रणाली और पश्चिमी बाल-पालन कानूनों के टकराव को उजागर करती है। रानी मुखर्जी का अभिनय फिल्म के भावनात्मक पक्ष को सशक्त बनाता है।


🏆 राष्ट्रीय पुरस्कारों की विश्वसनीयता और समावेशिता

71वें राष्ट्रीय पुरस्कारों की एक विशेषता यह रही कि इसमें सिनेमा की विविधता को सहेजते हुए व्यावसायिक और समानांतर सिनेमा दोनों को बराबर महत्व दिया गया। शाहरुख खान जैसे सुपरस्टार का पहली बार इस मंच पर सम्मानित होना यह दर्शाता है कि अब मुख्यधारा सिनेमा भी केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद का माध्यम बन रहा है।

वहीं विक्रांत मैसी जैसे प्रतिभाशाली अभिनेता को समान रूप से मान्यता मिलना एक स्वागतयोग्य संकेत है कि पुरस्कार केवल लोकप्रियता नहीं, बल्कि भावनात्मक गहराई और यथार्थ के चित्रण को भी महत्व देते हैं।


🔍 निष्कर्ष: सिनेमा का बदलता परिदृश्य

71वें राष्ट्रीय पुरस्कार केवल विजेताओं की घोषणा नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा में हो रहे गंभीर बदलावों का प्रमाण हैं। यह दर्शाता है कि अब दर्शक भी केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि अर्थपूर्ण, संवेदनशील और विचारोत्तेजक सिनेमा की ओर उन्मुख हो रहे हैं।

शाहरुख खान, रानी मुखर्जी और विक्रांत मैसी जैसे कलाकारों का सम्मान, नई पीढ़ी को यह संदेश देता है कि लोकप्रियता के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी और भावनात्मक ईमानदारी भी अभिनय की कसौटी हैं।


लेखक: अरविंद कुमार सिंह
श्रेणी: राष्ट्रीय पुरस्कार / सिनेमा विश्लेषण / सामाजिक संवाद
स्रोत: 71st National Film Awards, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार (2025)


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