UPSC पाठ्यक्रम में महात्मा गांधी: एक महत्वपूर्ण अध्ययन क्षेत्र
UPSC (Union Public Service Commission) सिविल सेवा परीक्षा भारतीय समाज, राजनीति, इतिहास और नैतिकता का गहन अध्ययन मांगती है। इस परिप्रेक्ष्य में महात्मा गांधी का स्थान केंद्रीय है। वे केवल स्वतंत्रता संग्राम के नेता ही नहीं, बल्कि ऐसे चिंतक और दार्शनिक थे जिनके विचार आज भी शासन, नीति-निर्माण और समाज में जीवंत हैं। उनके सिद्धांत—सत्य, अहिंसा, स्वदेशी, सर्वोदय और ग्राम स्वराज—UPSC के विभिन्न पेपरों में बार-बार सामने आते हैं। 2 अक्टूबर 2025 को उनकी 156वीं जयंती पर यह समझना प्रासंगिक है कि गांधी UPSC अभ्यर्थियों के लिए क्यों इतने महत्वपूर्ण हैं।
1. प्रीलिम्स (Prelims) में गांधी जी का स्थान
UPSC प्रीलिम्स के GS पेपर-1 में "आधुनिक भारतीय इतिहास और राष्ट्रीय आंदोलन" के अंतर्गत गांधी युग (1915-1947) विशेष महत्व रखता है। गांधी जी के भारत लौटने के बाद से लेकर स्वतंत्रता तक की घटनाएं इस परीक्षा का मूल भाग हैं।
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प्रारंभिक सत्याग्रह:
- चंपारण (1917) – नील किसानों का संघर्ष।
- खेड़ा (1918) – किसानों की कर-राहत की मांग।
- अहमदाबाद मिल हड़ताल (1918) – मजदूरों का वेतन आंदोलन।
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प्रमुख आंदोलन:
- असहयोग आंदोलन (1920-22) – राष्ट्रीय चेतना का विस्तार।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) – दांडी यात्रा और नमक कानून तोड़ने का प्रतीकात्मक महत्व।
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942) – ‘करो या मरो’ का उद्घोष।
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महत्वपूर्ण समझौते और घटनाएं:
- गांधी-इरविन पैक्ट (1931), गोलमेज सम्मेलन, व्यक्तिगत सत्याग्रह।
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UPSC प्रश्नों का स्वरूप:
तिथियां, घटनाओं का क्रम, गांधी जी की भूमिका और उनके आंदोलनों के प्रभाव पर आधारित प्रश्न। जैसे—UPSC Prelims 2018 में पूछा गया: “चंपारण सत्याग्रह का मुख्य महत्व क्या था?”
तैयारी बिंदु: NCERT (बिपिन चंद्रा की "India’s Struggle for Independence") और PYQ विश्लेषण। घटनाओं को समयरेखा के साथ दोहराना आवश्यक है।
2. मेन्स (Mains) में गांधी जी का स्थान
UPSC मेन्स परीक्षा में गांधी जी की भूमिका और दर्शन बहुआयामी रूप से आते हैं।
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GS पेपर 1 (इतिहास और समाज):
गांधी युग का विश्लेषण, उनके आंदोलनों की रणनीति, और अन्य नेताओं से उनकी तुलना।- उदाहरण: “राष्ट्रीय आंदोलन के गांधीवादी चरण ने स्वतंत्रता संग्राम को जन-आंदोलन में बदल दिया। विवेचना कीजिए।”
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GS पेपर 2 (राजनीति और शासन):
गांधी का ग्राम स्वराज, विकेंद्रीकरण और पंचायत आधारित लोकतंत्र का विचार संविधान के अनुच्छेद 40 में परिलक्षित है।- हाल के प्रश्न: “भारत में सत्ता के विकेंद्रीकरण ने स्थानीय शासन को कैसे सशक्त किया?”
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GS पेपर 4 (नैतिकता, अखंडता और अभिरुचि):
गांधी एक प्रमुख नैतिक दार्शनिक के रूप में शामिल हैं। उनके सत्य, अहिंसा और नैतिक साहस पर आधारित उदाहरण UPSC केस स्टडीज में अक्सर आते हैं।- उद्धरण उदाहरण: “The best way to find yourself is to lose yourself in the service of others.”
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Essay पेपर:
गांधी पर निबंध सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से आते हैं। जैसे—“Gandhi: An Ordinary Man with Extraordinary Ideas” या “Relevance of Gandhian Ethics in Contemporary Times”।
3. गांधी दर्शन और UPSC में प्रासंगिकता
गांधी जी केवल स्वतंत्रता आंदोलन के नायक नहीं थे, बल्कि उन्होंने एक जीवन-दर्शन दिया, जो आज भी प्रशासनिक और सामाजिक संदर्भों में प्रासंगिक है।
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मुख्य सिद्धांत:
- अहिंसा (Non-violence)
- सत्याग्रह (सत्य पर आधारित प्रतिरोध)
- स्वदेशी (आत्मनिर्भरता)
- सर्वोदय (सभी का कल्याण)
- ग्राम स्वराज (ग्रामीण आत्मशासन)
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संविधान में प्रभाव:
- मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों में समानता और स्वतंत्रता का भाव।
- अनुच्छेद 40 – पंचायतों के संगठन पर बल।
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समसामयिक महत्व:
- पर्यावरण: सस्टेनेबल डेवलपमेंट की अवधारणा गांधी की सादगी और प्रकृति-संगति से मेल खाती है।
- शासन: स्वच्छ भारत अभियान, आत्मनिर्भर भारत में गांधी के विचार झलकते हैं।
- विदेश नीति: शांति, संवाद और अहिंसा की परंपरा।
4. तैयारी रणनीति और अध्ययन सामग्री
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स्रोत:
- The Story of My Experiments with Truth (आत्मकथा)
- India of My Dreams
- बिपिन चंद्रा – India’s Struggle for Independence
- एनसीईआरटी (कक्षा 12 – आधुनिक भारत)
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रणनीति:
- प्रीलिम्स: तिथियों और घटनाओं का क्रम याद करें।
- मेन्स: गांधी के विचारों को समसामयिक नीतियों (जैसे क्लाइमेट चेंज, ग्राम विकास) से जोड़ें।
- एथिक्स: गांधी के उद्धरण और केस स्टडीज का अभ्यास करें।
5. निष्कर्ष
UPSC में गांधी जी केवल एक ऐतिहासिक विषय नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रेरणा हैं। उनके विचार प्रशासनिक ईमानदारी, नीतिगत सादगी और सामाजिक न्याय में मार्गदर्शन देते हैं। एक सिविल सेवक के लिए गांधी का अध्ययन केवल परीक्षा की तैयारी नहीं, बल्कि नैतिक विकास और मानवीय संवेदनाओं को मजबूत करने का अवसर है।
जैसा कि गांधी ने कहा था—“खुद वह बदलाव बनो, जो तुम दुनिया में देखना चाहते हो।”
UPSC के विद्यार्थी यदि गांधी को सही मायने में समझ लें, तो वे न केवल सफल अभ्यर्थी बनेंगे, बल्कि संवेदनशील और नैतिक प्रशासक भी बनेंगे।
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