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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

DRDO and Indian Army Successfully Conduct Four MRSAM Missile Tests in Odisha

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम: DRDO व भारतीय सेना द्वारा MRSAM परीक्षण की सफलता

हाल ही में DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) और भारतीय सेना ने ओडिशा के समुद्र तटीय क्षेत्र से मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (MRSAM) के चार उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए। यह न केवल देश की सैन्य क्षमताओं को मजबूती प्रदान करता है, बल्कि 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक ठोस प्रगति भी है।

MRSAM प्रणाली की विशेषताएँ:

MRSAM, जिसे बाराक-8 के नाम से भी जाना जाता है, भारत-इज़राइल संयुक्त परियोजना का हिस्सा है। यह मिसाइल प्रणाली दुश्मन के विमानों, ड्रोन, हेलीकॉप्टरों और क्रूज़ मिसाइलों को 70-100 किमी तक की दूरी पर नष्ट करने में सक्षम है।

  • एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने की क्षमता।
  • 360 डिग्री कवरेज व हाई रेस्पॉन्स टाइम।
  • इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के अनुकूल डिजाइन।

रणनीतिक महत्व:

  • यह परीक्षण भारतीय सेना की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाता है।
  • सीमावर्ती क्षेत्रों में वायु सुरक्षा की मजबूत व्यवस्था सुनिश्चित करता है।
  • भविष्य में स्वदेशी हथियार प्रणालियों के निर्माण में आत्मनिर्भरता को प्रेरित करता है।

निष्कर्ष:

MRSAM परीक्षणों की यह सफलता रक्षा क्षेत्र में भारत की तकनीकी दक्षता का प्रमाण है। इससे यह स्पष्ट है कि भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक वैश्विक रक्षा निर्माता बनने की ओर अग्रसर है।


यह रहे DRDO और भारतीय सेना द्वारा सफल MRSAM परीक्षण पर आधारित कुछ संभावित प्रश्न — जो UPSC, राज्य सेवा परीक्षा या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जा सकते हैं:


वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs):

  1. हाल ही में DRDO और भारतीय सेना द्वारा किस मिसाइल प्रणाली के चार सफल परीक्षण ओडिशा में किए गए?
    a) आकाश
    b) ब्रह्मोस
    c) MRSAM
    d) पृथ्वी-II
    उत्तर: c) MRSAM

  2. MRSAM (Medium Range Surface to Air Missile) प्रणाली किस देश के सहयोग से विकसित की गई है?
    a) अमेरिका
    b) रूस
    c) इज़राइल
    d) फ्रांस
    उत्तर: c) इज़राइल

  3. MRSAM मिसाइल की मारक क्षमता लगभग कितनी होती है?
    a) 20-30 किमी
    b) 50-70 किमी
    c) 70-100 किमी
    d) 150-200 किमी
    उत्तर: c) 70-100 किमी


वर्णनात्मक प्रश्न (Descriptive):

  1. MRSAM मिसाइल प्रणाली की विशेषताओं एवं इसकी रणनीतिक उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।

  2. स्वदेशी रक्षा उत्पादन में DRDO की भूमिका का मूल्यांकन करें। हालिया मिसाइल परीक्षणों को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत करें।

  3. भारत की वायु सुरक्षा प्रणाली को सशक्त बनाने में MRSAM जैसी मिसाइल प्रणालियों का क्या योगदान है?



ऊर्जा संतुलन की चुनौती: कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा के बीच भारत का भविष्य

हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि वर्ष 2047 तक भारत की ऊर्जा उत्पादन में कोयला आधारित ताप विद्युत की हिस्सेदारी लगभग 37% बनी रहेगी, भले ही नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार तेज़ी से जारी रहे। यह आंकड़ा भारत की ऊर्जा रणनीति, पर्यावरणीय दायित्वों और आर्थिक यथार्थ के बीच संतुलन साधने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

कोयला: अभी भी एक प्रमुख स्तंभ

  • वर्तमान में भारत की कुल विद्युत उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा कोयला आधारित ताप बिजलीघरों से आता है।
  • कोयला सस्ता, सुलभ और स्थिर ऊर्जा स्रोत है, विशेषतः बेस-लोड डिमांड पूरी करने के लिए।
  • कई राज्यों की ऊर्जा सुरक्षा कोयले पर ही निर्भर है।

नवीकरणीय ऊर्जा की प्रगति

  • भारत ने 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
  • सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • हरित हाइड्रोजन, बैटरी स्टोरेज और स्मार्ट ग्रिड तकनीकों पर कार्य प्रगति पर है।

पर्यावरणीय चुनौती

  • कोयले का उपयोग बढ़ता कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण का बड़ा स्रोत है।
  • भारत ने Net-Zero Emissions by 2070 का लक्ष्य निर्धारित किया है — जिसके लिए कोयले पर निर्भरता धीरे-धीरे कम करना आवश्यक है।

निष्कर्ष

भारत के लिए यह एक जटिल चुनौती है — ऊर्जा की बढ़ती मांग, आर्थिक विकास, और पर्यावरणीय दायित्वों के बीच संतुलन बनाना। जब तक नवीकरणीय ऊर्जा 24x7 विश्वसनीय और सस्ती नहीं हो जाती, तब तक कोयला एक आवश्यक घटक बना रहेगा। परंतु समानांतर रूप से हरित ऊर्जा निवेश और टेक्नोलॉजी ट्रांज़िशन की गति भी तेज करनी होगी।


 "भारत में कोयला आधारित ताप विद्युत 2047 तक 37% बनी रहेगी" विषय पर आधारित कुछ संभावित प्रश्न — UPSC, राज्य सेवा परीक्षा और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी:


वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs):

  1. हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2047 तक भारत में कोयला आधारित ताप विद्युत की अनुमानित हिस्सेदारी कितनी रहेगी?
    a) 25%
    b) 30%
    c) 37%
    d) 50%
    उत्तर: c) 37%

  2. भारत ने Net Zero Carbon Emission का लक्ष्य किस वर्ष तक प्राप्त करने का संकल्प लिया है?
    a) 2030
    b) 2040
    c) 2050
    d) 2070
    उत्तर: d) 2070

  3. भारत ने वर्ष 2030 तक कितनी गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है?
    a) 175 GW
    b) 300 GW
    c) 500 GW
    d) 750 GW
    उत्तर: c) 500 GW


वर्णनात्मक प्रश्न (Descriptive Questions):

  1. कोयला आधारित ताप विद्युत की भविष्य में प्रासंगिकता पर चर्चा करें, विशेष रूप से भारत के ऊर्जा क्षेत्र के संदर्भ में।

  2. भारत के ऊर्जा मिश्रण (Energy Mix) में कोयले और नवीकरणीय ऊर्जा के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौतियाँ और समाधान पर प्रकाश डालिए।

  3. "पर्यावरणीय दायित्वों और आर्थिक आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाना भारत की ऊर्जा नीति की सबसे बड़ी चुनौती है" – टिप्पणी करें।


सीमा विकास की नई पहल: जीवंत गांव कार्यक्रम-II की प्रासंगिकता और संभावनाएँ

भारत सरकार द्वारा हाल ही में “जीवंत गांव कार्यक्रम-II (Vibrant Village Programme-II)” को वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 तक लागू करने की कैबिनेट मंज़ूरी प्रदान की गई है। यह कार्यक्रम भारत-चीन, भारत-पाकिस्तान और भारत-म्यांमार जैसे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे गांवों के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

कार्यक्रम का उद्देश्य:

  • सीमावर्ती गांवों में मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार और आजीविका के अवसर सृजित करना।
  • रिवर्स माइग्रेशन (पलायन की वापसी) को प्रोत्साहित करना।
  • सुरक्षा की दृष्टि से रणनीतिक गांवों को सशक्त बनाना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • यह कार्यक्रम VVP-I (2022-23) की सफलता के बाद लाया गया है।
  • इसमें बुनियादी ढांचा, डिजिटल कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, और सड़क निर्माण को प्राथमिकता दी गई है।
  • सामुदायिक भागीदारी एवं प्रशासनिक सहयोग पर बल दिया गया है।

रणनीतिक महत्त्व:

  • सीमावर्ती गांवों में स्थायी विकास भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है।
  • यह चीन द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में किए जा रहे निर्माण कार्यों का जवाब है।
  • सीमा क्षेत्र में जनसंख्या बनाए रखने से खुफिया व संचार नेटवर्क मज़बूत होता है।

चुनौतियाँ:

  • दुर्गम भौगोलिक स्थितियाँ
  • मौसमी बाधाएँ
  • सीमित संसाधन व प्रशासनिक पहुंच
  • स्थानीय युवाओं में रोजगार को लेकर अनिश्चितता

निष्कर्ष:

“जीवंत गांव कार्यक्रम-II” भारत की विकास और सुरक्षा नीति का समन्वित उदाहरण है। यदि इसे सुनियोजित ढंग से लागू किया जाए, तो यह न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों की जीवन गुणवत्ता में सुधार लाएगा, बल्कि भारत की भौगोलिक अखंडता और सामरिक शक्ति को भी मजबूती प्रदान करेगा।


"जीवंत गांव कार्यक्रम-II (Vibrant Village Programme-II)" पर आधारित संभावित प्रश्न – जो UPSC, राज्य सेवा परीक्षा, SSC आदि में पूछे जा सकते हैं:


वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs):

  1. जीवंत गांव कार्यक्रम-II (VVP-II) किस वर्ष से किस वर्ष तक लागू किया जाएगा?
    a) 2023-24 से 2027-28
    b) 2024-25 से 2028-29
    c) 2025-26 से 2029-30
    d) 2022-23 से 2026-27
    उत्तर: b) 2024-25 से 2028-29

  2. Vibrant Village Programme-II का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    a) शहरी क्षेत्रों का आधुनिकीकरण
    b) वन क्षेत्रों में सड़क निर्माण
    c) सीमावर्ती गांवों का समग्र विकास
    d) बंजर भूमि का कृषि उपयोग
    उत्तर: c) सीमावर्ती गांवों का समग्र विकास

  3. निम्नलिखित में से कौन-से देश भारत के उन पड़ोसी देशों में आते हैं जिनकी सीमाओं पर VVP-II का कार्यान्वयन होगा?
    a) नेपाल, भूटान
    b) श्रीलंका, मालदीव
    c) चीन, पाकिस्तान, म्यांमार
    d) अफगानिस्तान, बांग्लादेश
    उत्तर: c) चीन, पाकिस्तान, म्यांमार


वर्णनात्मक प्रश्न (Descriptive Questions):

  1. "जीवंत गांव कार्यक्रम-II भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास रणनीति का समन्वय है" – इस कथन की व्याख्या करें।

  2. सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास से जुड़े सामाजिक-आर्थिक और रणनीतिक लाभों की चर्चा कीजिए।

  3. VVP-I और VVP-II की तुलना करते हुए नए कार्यक्रम की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।



स्वास्थ्य पर बोझ कम हुआ: आयुष्मान भारत और नीतिगत सुधारों की सफलता

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र लंबे समय तक आम जनता के लिए एक चुनौतीपूर्ण विषय रहा है, विशेषकर तब जब इलाज के खर्च का बड़ा हिस्सा लोगों को अपनी जेब से वहन करना पड़ता था। वर्ष 2014 में जहां Out-of-Pocket Expenditure (OOPE) 62% था, वहीं हाल की रिपोर्ट के अनुसार यह घटकर 38% पर आ गया है। यह गिरावट भारत की स्वास्थ्य सेवा नीतियों में हुए सुधार, विशेषकर आयुष्मान भारत योजना के सफल क्रियान्वयन का परिणाम है।


Out-of-Pocket Expenditure क्या है?

Out-of-Pocket Expenditure वह खर्च होता है जो व्यक्ति सीधे अपनी जेब से चिकित्सा, दवाइयों, जांच और अस्पताल में भर्ती पर करता है, बीमा या सरकारी सहायता के बिना।


OOPE में गिरावट के कारण:

  1. आयुष्मान भारत योजना (PM-JAY):

    • 2018 में शुरू हुई यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जो 10 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवारों को 5 लाख रुपये तक का वार्षिक कवरेज प्रदान करती है।
  2. जन औषधि केंद्रों का विस्तार:

    • सस्ती दरों पर दवाइयों की उपलब्धता से दवा पर खर्च में गिरावट आई है।
  3. सरकारी अस्पतालों में सेवाओं का विस्तार:

    • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स की संख्या बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में भी सस्ती सेवाएं उपलब्ध हुई हैं।
  4. डिजिटल स्वास्थ्य पहल (ABDM):

    • डिजिटल हेल्थ कार्ड, ई-हॉस्पिटल और टेलीमेडिसिन सेवाओं से चिकित्सा सुविधा की पहुँच और पारदर्शिता बढ़ी है।

अब भी मौजूद चुनौतियाँ:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी।
  • निजी अस्पतालों में महंगे इलाज की वजह से मध्यम वर्ग पर OOPE का बोझ।
  • बीमा दावों की प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता।

निष्कर्ष:

OOPE में आई गिरावट एक सकारात्मक संकेत है कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। लेकिन यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभी भी स्वास्थ्य ढांचे को और मजबूत करने, मानव संसाधन बढ़ाने तथा सभी वर्गों के लिए समावेशी स्वास्थ्य नीति पर ध्यान देने की आवश्यकता है।


"भारत में Out-of-Pocket Health Expenditure में गिरावट" विषय पर आधारित संभावित प्रश्न — जो UPSC, राज्य सेवा परीक्षा, SSC, या स्वास्थ्य नीति से जुड़े किसी भी परीक्षा में उपयोगी हो सकते हैं:


वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs):

  1. भारत में स्वास्थ्य पर Out-of-Pocket Expenditure (OOPE) 2014 में कितना था?
    a) 45%
    b) 55%
    c) 62%
    d) 70%
    उत्तर: c) 62%

  2. हाल की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 तक भारत में OOPE घटकर कितने प्रतिशत रह गया है?
    a) 40%
    b) 38%
    c) 35%
    d) 30%
    उत्तर: b) 38%

  3. निम्नलिखित में से कौन सी योजना भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने के लिए शुरू की गई है?
    a) प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि
    b) आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना
    c) उज्ज्वला योजना
    d) आरोग्य मित्र योजना
    उत्तर: b) आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना

  4. Out-of-Pocket Expenditure का अर्थ है –
    a) सरकार द्वारा स्वास्थ्य पर किया गया खर्च
    b) बीमा कंपनियों द्वारा किया गया भुगतान
    c) नागरिक द्वारा अपनी जेब से किया गया स्वास्थ्य खर्च
    d) अस्पतालों का वार्षिक बजट
    उत्तर: c) नागरिक द्वारा अपनी जेब से किया गया स्वास्थ्य खर्च


वर्णनात्मक प्रश्न (Descriptive Questions):

  1. भारत में स्वास्थ्य पर Out-of-Pocket Expenditure में कमी के क्या प्रमुख कारण हैं? विस्तार से समझाइए।

  2. आयुष्मान भारत योजना के योगदान से Out-of-Pocket Expenditure में किस प्रकार गिरावट आई है?

  3. स्वास्थ्य क्षेत्र में Out-of-Pocket खर्च को और कम करने हेतु सरकार को किन क्षेत्रों में सुधार करने की आवश्यकता है?



अनुसूचित जाति/जनजाति व महिला सशक्तिकरण की दिशा में 9 वर्ष : स्टैंड अप इंडिया कार्यक्रम की उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ।

भारत सरकार द्वारा 5 अप्रैल 2016 को प्रारंभ की गई “स्टैंड अप इंडिया योजना” ने वर्ष 2025 में अपने 9 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। इस योजना का उद्देश्य SC, ST एवं महिला उद्यमियों को स्वरोजगार हेतु प्रोत्साहित करना और उन्हें बैंक ऋण सुविधा प्रदान कर आर्थिक मुख्यधारा से जोड़ना था।


उद्देश्य और स्वरूप:

स्टैंड अप इंडिया कार्यक्रम का मूल उद्देश्य भारत में समावेशी उद्यमिता को बढ़ावा देना था। योजना के अंतर्गत:

  • प्रत्येक बैंक शाखा को कम-से-कम एक SC/ST और एक महिला उद्यमी को
  • ₹10 लाख से ₹1 करोड़ तक का ऋण उपलब्ध कराना होता है।
  • यह ऋण मुख्यतः ग्रीनफील्ड (नई) परियोजनाओं के लिए दिया जाता है।

9 वर्षों की प्रमुख उपलब्धियाँ:

  1. लाखों उद्यमियों को लाभ:
    योजना के माध्यम से अब तक 2 लाख से अधिक लाभार्थियों को ऋण प्रदान किया जा चुका है, जिनमें अधिकांश ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से हैं।

  2. महिला सशक्तिकरण में योगदान:
    कुल लाभार्थियों में 70% से अधिक महिलाएँ, जो पारंपरिक भूमिकाओं से बाहर निकलकर उद्यमिता के क्षेत्र में कदम रख रही हैं।

  3. स्वरोजगार और सामाजिक न्याय:
    योजना ने समाज के वंचित वर्गों को रोजगारदाता बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किया है।


महत्व और प्रभाव:

  • सामाजिक समावेशन: वंचित समुदायों को आर्थिक रूप से मुख्यधारा में लाना।
  • आर्थिक आत्मनिर्भरता: लाभार्थियों की आय, आत्मविश्वास और सामाजिक स्थिति में वृद्धि।
  • महिलाओं का सशक्तिकरण: ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू सीमाओं से बाहर निकलकर महिला उद्यमिता में उछाल।

चुनौतियाँ:

  • प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन की कमी: अधिकांश लाभार्थियों को बिज़नेस संचालन संबंधी तकनीकी जानकारी नहीं होती।
  • ब्यूरोक्रेटिक प्रक्रियाएँ: ऋण मंज़ूरी में कभी-कभी अधिक समय और कागजी कार्यवाही बाधा बनती है।
  • ऋण चुकौती की कठिनाइयाँ: व्यवसाय के असफल रहने पर वित्तीय बोझ बढ़ जाता है

आगे की राह:

  • इन्क्यूबेशन और स्किल सपोर्ट सेंटर की स्थापना
  • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से आसान आवेदन प्रक्रिया
  • मार्केटिंग, लॉजिस्टिक्स और ब्रांडिंग में सहयोग
  • महिला और दलित उद्यमियों के लिए नेटवर्किंग प्लेटफ़ॉर्म

निष्कर्ष:

स्टैंड अप इंडिया योजना ने सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास के क्षेत्र में एक अनूठी मिसाल पेश की है। हालांकि चुनौतियाँ अभी भी विद्यमान हैं, लेकिन यह योजना भारत के नए भारत की कल्पना — जिसमें प्रत्येक नागरिक को अवसर मिले — को साकार करने की दिशा में एक मजबूत स्तंभ बन चुकी है।


"स्टैंड अप इंडिया योजना के 9 वर्ष पूर्ण" विषय पर आधारित संभावित प्रश्न — जो UPSC, राज्य सेवा परीक्षा, SSC, बैंकिंग आदि परीक्षाओं के लिए उपयोगी हैं:


वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs):

  1. स्टैंड अप इंडिया योजना की शुरुआत किस वर्ष की गई थी?
    a) 2014
    b) 2015
    c) 2016
    d) 2017
    उत्तर: c) 2016

  2. स्टैंड अप इंडिया योजना के अंतर्गत कौन-कौन से वर्गों को प्राथमिकता दी जाती है?
    a) केवल महिला उद्यमी
    b) केवल अनुसूचित जाति
    c) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमी
    d) अन्य पिछड़ा वर्ग
    उत्तर: c) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमी

  3. स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत कितना ऋण प्रदान किया जाता है?
    a) ₹50,000 – ₹5 लाख
    b) ₹5 लाख – ₹10 लाख
    c) ₹10 लाख – ₹1 करोड़
    d) ₹1 करोड़ – ₹5 करोड़
    उत्तर: c) ₹10 लाख – ₹1 करोड़

  4. स्टैंड अप इंडिया योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    a) किसानों को सहायता प्रदान करना
    b) महिलाओं और वंचित वर्गों को स्वरोजगार हेतु प्रोत्साहित करना
    c) शिक्षा ऋण उपलब्ध कराना
    d) विदेशी निवेश बढ़ाना
    उत्तर: b) महिलाओं और वंचित वर्गों को स्वरोजगार हेतु प्रोत्साहित करना


वर्णनात्मक प्रश्न (Descriptive Questions):

  1. स्टैंड अप इंडिया योजना के प्रमुख उद्देश्यों एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।

  2. महिला सशक्तिकरण की दिशा में स्टैंड अप इंडिया योजना की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।

  3. स्टैंड अप इंडिया योजना की चुनौतियों और सुधार की संभावनाओं पर चर्चा कीजिए।

  4. स्टैंड अप इंडिया योजना और मुद्रा योजना में अंतर स्पष्ट कीजिए।



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✍️ARVIND SINGH PK REWA

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भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति सूर्य कांत : न्यायपालिका की नई दिशा का उद्घोष 24 नवंबर 2025 भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक नए अध्याय का आरंभ होगा, जब न्यायमूर्ति सूर्य कांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। वे न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई के उत्तराधिकारी बनेंगे, जिनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 को समाप्त हुआ। न्यायमूर्ति गवई की विदाई न केवल एक संवैधानिक पदावनति का क्षण थी, बल्कि सामाजिक न्याय की यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव भी—क्योंकि वे स्वतंत्र भारत के प्रथम बौद्ध और दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश रहे। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई : संवैधानिक साहस और सामाजिक न्याय की विरासत न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल कई दृष्टियों से ऐतिहासिक रहा। उन्होंने उन पीठों का नेतृत्व या सदस्यता निभाई, जिनके निर्णयों ने भारतीय संघवाद, लोकतांत्रिक जवाबदेही और व्यक्तिगत अधिकारों के विमर्श को गहराई से प्रभावित किया। अनुच्छेद 370 निर्णय संविधान पीठ के सदस्य के रूप में उन्होंने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति समाप्त करने के केंद्र सरकार के निर्णय को संवैधानिक ठहराने ...

IAS Santosh Verma Controversy: How a Reservation Remark Turned Daughters into “Objects of Donation”

IAS संतोष वर्मा का विवादित बयान – जब आरक्षण की आड़ में बेटियों को “दान” की वस्तु बना दिया गया नमस्कार साथियों, कभी-कभी एक वाक्य इतना शक्तिशाली होता है कि वह पूरे समाज की धड़कनें बदल देता है। आईएएस संतोष वर्मा का हालिया बयान बिल्कुल ऐसा ही था—चिंगारी की तरह फेंका गया और पलक झपकते ही आग बन गया। उन्होंने कहा— “जब तक ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को दान नहीं देगा, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।” इस एक वाक्य ने पूरे मध्यप्रदेश की राजनीति, समाज और प्रशासन को हिला दिया। सड़कें गरम, सोशल मीडिया उफान पर, और सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया। लेकिन इस विवाद के शोर में एक बहुत महत्वपूर्ण सवाल दब गया— क्या अंतरजातीय विवाह वास्तव में सामाजिक बराबरी का सटीक पैमाना हैं? विवाद का संक्षिप्त लेकिन पूरा घटनाक्रम 23 नवंबर 2025 – भोपाल, अंबेडकर मैदान। अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ (AJAKS) की बैठक में नए अध्यक्ष संतोष वर्मा भाषण दे रहे थे। आरक्षण पर बहस के बीच उन्होंने “रोटी-बेटी संबंध” का जिक्र किया—जो कई नेता पहले भी करते रहे हैं। लेकिन आगे जो कहा, वही विस...

Fatima Bosch Fernández and Miss Universe Controversy: A New Global Debate on Gender Respect and Dignity

फ़ातिमा बोश फ़र्नांडीज़ और मिस यूनिवर्स विवाद: गरिमा, लैंगिक सम्मान और वैश्विक विमर्श का नया अध्याय भूमिका मिस यूनिवर्स जैसी प्रतियोगिताएँ अक्सर ग्लैमर और मनोरंजन की सुर्खियों तक सीमित मानी जाती हैं, लेकिन वर्ष 2025 की विजेता फ़ातिमा बोश फ़र्नांडीज़ के इर्द-गिर्द उभरा घटनाक्रम इससे कहीं अधिक व्यापक सामाजिक संदेश देता है। केवल कुछ दिन पहले एक प्रभावशाली अधिकारी द्वारा कैमरे के सामने “ dumb ” कहकर उनका अपमान किया गया। किंतु परिणाम घोषित होते ही वही महिला—दृढ़, शांत और आत्मविश्वासी—वैश्विक मंच पर सौंदर्य से अधिक सम्मान और सहनशक्ति का प्रतीक बनकर उभरी। यह विवाद केवल एक मॉडल की व्यक्तिगत यात्रा नहीं है; यह लैंगिक गरिमा , सार्वजनिक भाषा की मर्यादा , कार्यस्थल में शक्ति असमानता , और महिला-सम्मान से जुड़ी व्यापक समस्याओं को उजागर करता है। UPSC के दृष्टिकोण से यह घटना सामाजिक-नैतिक मूल्यों , महिला अधिकारों , और सार्वजनिक संस्थानों की जवाबदेही जैसे बड़े विमर्शों से जुड़ी है। घटना का सार 16 नवंबर 2025 को आयोजित मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता के दौरान एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फ़ातिमा “du...

Temple–Mosque Dispute: Path to Resolution or Escalation of Tensions?

मंदिर–मस्जिद विवाद: समाधान का मार्ग या तनाव का विस्तार? एक समग्र विश्लेषण परिचय भारतीय समाज में धार्मिक स्थलों को लेकर उत्पन्न होने वाले विवाद कोई नई बात नहीं हैं। इतिहास, आस्था और राजनीति—इन तीनों के संगम पर खड़े ऐसे मुद्दे अक्सर समाज को विचार-विमर्श और टकराव, दोनों की ओर ले जाते हैं। हाल ही में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक के.के. मुहम्मद ने एक इंटरव्यू में सुझाव दिया है कि धार्मिक विवादों को अयोध्या, मथुरा और ज्ञानवापी जैसे तीन स्थलों तक सीमित रखा जाए। उन्होंने ताजमहल के “हिंदू मूल” के दावों को पूरी तरह खारिज करते हुए चेताया कि नए और आधारहीन दावे सामाजिक तनाव को और बढ़ाएँगे। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश के कई हिस्सों में धार्मिक स्थलों को लेकर अदालती कार्यवाहियाँ जारी हैं और जनमत निरंतर विभाजित हो रहा है। यह लेख इसी पृष्ठभूमि में यह समझने का प्रयास करता है कि क्या और अधिक विवाद उठाना न्याय की ओर बढ़ना होगा या केवल तनाव को ही बढ़ाएगा। ऐतिहासिक संदर्भ भारत का इतिहास धार्मिक संरचनाओं के निर्माण–विध्वंस और पुनर्निर्माण की घटनाओं से भरा पड़ा...

DynamicGK.in: Rural and Hindi Background Candidates UPSC and Competitive Exam Preparation

डायनामिक जीके: ग्रामीण और हिंदी पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों के सपनों को साकार करने का सहायक लेखक: RITU SINGH भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी एक चुनौतीपूर्ण यात्रा है, खासकर उन अभ्यर्थियों के लिए जो ग्रामीण इलाकों से आते हैं या हिंदी माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। अंग्रेजी-प्रधान संसाधनों की भरमार में हिंदी भाषी छात्रों को अक्सर कठिनाई होती है। ऐसे में dynamicgk.in जैसी वेबसाइट एक वरदान साबित हो रही है। यह न केवल सामान्य ज्ञान (जीके) और समसामयिक घटनाओं पर केंद्रित है, बल्कि ग्रामीण और हिंदी पृष्ठभूमि के युवाओं के सपनों को साकार करने में विशेष रूप से सहायक भूमिका निभा रही है। इस लेख में हम समझेंगे कि यह प्लेटफॉर्म कैसे इन अभ्यर्थियों की मदद करता है। हिंदी माध्यम की पहुंच: भाषा की बाधा को दूर करना ग्रामीण भारत में अधिकांश छात्र हिंदी माध्यम से पढ़ते हैं, लेकिन अधिकांश प्रतियोगी परीक्षा संसाधन अंग्रेजी में उपलब्ध होते हैं। dynamicgk.in इस कमी को पूरा करता है। वेबसाइट का अधिकांश कंटेंट हिंदी में उपलब्ध है, जो हिंदी भाषी अभ्यर्थियों को सहज रूप से समझने में मद...

India’s Strong Economic Momentum: A Comprehensive Analysis of Q2 FY26 GDP Growth Amid Global Challenges

भारत की सुदृढ़ आर्थिक प्रगति: वैश्विक चुनौतियों के बीच Q2 FY26 की GDP वृद्धि का विश्लेषण भारत की अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर अपनी अंतर्निहित मजबूती का परिचय दिया है। वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) की दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़े इस तथ्य को मजबूती से रेखांकित करते हैं कि वैश्विक अनिश्चितताओं—विशेषकर अमेरिकी व्यापार शुल्कों—के बावजूद भारत की विकास गति प्रभावशाली बनी हुई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, वास्तविक GDP वृद्धि 8.2% तक पहुँच गई, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही के 5.6% और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 7.8% से स्पष्ट रूप से अधिक है। यह छह तिमाहियों में सर्वाधिक वृद्धि है, जो भारत की आर्थिक संरचना की सहनशीलता और नीति-निर्माण की तत्परता को दर्शाती है। क्षेत्रीय प्रदर्शन: विकास का आधारभूत ढाँचा Q2 FY26 की वृद्धि का स्रोत व्यापक और बहुआयामी रहा। विनिर्माण, निर्माण और सेवाओं—इन तीनों क्षेत्रों ने मिलकर विकास को न केवल मजबूत आधार दिया, बल्कि संतुलन भी सुनिश्चित किया। 1. विनिर्माण—स्वदेशी उत्पादन का उभार विनिर्माण क्षे...

Parasocial Relationships in the AI Era: Why Cambridge’s 2025 Word of the Year Signals a New Social Reality

पैरासोशल संबंधों का उदय—डिजिटल युग का नया सामाजिक संकट कैम्ब्रिज डिक्शनरी द्वारा वर्ष 2025 के लिए “parasocial” शब्द को वर्ड ऑफ द ईयर घोषित किया जाना मात्र भाषाई घटना नहीं, बल्कि हमारे समय के सामाजिक परिवर्तन का दस्तावेज़ है। यह उस युग की स्वीकृति है जहाँ मनुष्य का गहनतम संबंध किसी जीवित व्यक्ति से नहीं, बल्कि एक एल्गोरिदम या स्क्रीन पर दिखने वाली हस्ती से बन रहा है। एकतरफा घनिष्ठता की जड़ें 1956 में हॉर्टन और वोल ने पैरासोशलिटी को उस भ्रमपूर्ण संबंध के रूप में परिभाषित किया जहाँ दर्शक किसी मीडिया हस्ती के प्रति घनिष्ठता महसूस करता है, जबकि वह हस्ती उससे पूर्णतः अनजान रहती है। तब यह अनुभव रेडियो और टीवी तक सीमित था—एकतरफा, पर नियंत्रित। परन्तु आज यह अवधारणा नियंत्रण से बाहर जा चुकी है। AI ने पैरासोशल संबंधों को नया रुप दिया कैम्ब्रिज डिक्शनरी ने इस वर्ष एक साहसिक कदम उठाते हुए पैरासोशल की परिभाषा में AI और बड़े भाषा मॉडल्स के साथ बनने वाले भावनात्मक लगाव को भी शामिल कर लिया है। यह निर्णय बताता है कि तकनीक अब केवल उपकरण नहीं, बल्कि रिश्तों का विकल्प बन चुकी है। Replika, Charact...

UPSC 2024 Topper Shakti Dubey’s Strategy: 4-Point Study Plan That Led to Success in 5th Attempt

UPSC 2024 टॉपर शक्ति दुबे की रणनीति: सफलता की चार सूत्रीय योजना से सीखें स्मार्ट तैयारी का मंत्र लेखक: Arvind Singh PK Rewa | Gynamic GK परिचय: हर साल UPSC सिविल सेवा परीक्षा लाखों युवाओं के लिए एक सपना और संघर्ष बनकर सामने आती है। लेकिन कुछ ही अभ्यर्थी इस कठिन परीक्षा को पार कर पाते हैं। 2024 की टॉपर शक्ति दुबे ने न सिर्फ परीक्षा पास की, बल्कि एक बेहद व्यावहारिक और अनुशासित दृष्टिकोण के साथ सफलता की नई मिसाल कायम की। उनका फोकस केवल घंटों की पढ़ाई पर नहीं, बल्कि रणनीतिक अध्ययन पर था। कौन हैं शक्ति दुबे? शक्ति दुबे UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 की टॉपर हैं। यह उनका पांचवां  प्रयास था, लेकिन इस बार उन्होंने एक स्पष्ट, सीमित और परिणामोन्मुख रणनीति अपनाई। न उन्होंने कोचिंग की दौड़ लगाई, न ही घंटों की संख्या के पीछे भागीं। बल्कि उन्होंने “टॉपर्स के इंटरव्यू” और परीक्षा पैटर्न का विश्लेषण कर अपनी तैयारी को एक फोकस्ड दिशा दी। शक्ति दुबे की UPSC तैयारी की चार मजबूत आधारशिलाएँ 1. सुबह की शुरुआत करेंट अफेयर्स से उन्होंने बताया कि सुबह उठते ही उनका पहला काम होता था – करेंट अफेयर्...