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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

David Szalay Wins 2025 Booker Prize for "Flesh": A Landmark in the Aesthetics of Absence in Contemporary Fiction

डेविड स्ज़ालाई की फ्लेश और बुकर पुरस्कार: समकालीन कथा-साहित्य में लोप की सौंदर्यशास्त्र

कैनेडियन-हंगेरियन-ब्रिटिश लेखक डेविड स्ज़ालाई (David Szalay) को 10 नवंबर 2025 को उनकी नवीनतम कृति Flesh के लिए 2025 का बुकर पुरस्कार (Booker Prize) प्रदान किया गया। यह पुरस्कार, जो अंग्रेज़ी साहित्य में “यूके और आयरलैंड में प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ अंग्रेज़ी कथा-कृति” को दिया जाता है, विश्व साहित्य का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है। 51 वर्षीय स्ज़ालाई ने इस बार अपने साथ दौड़ में रहे एंड्र्यू मिलर, किरण देसाई और अन्य पाँच फाइनलिस्टों को पीछे छोड़ते हुए यह सम्मान प्राप्त किया। निर्णायकों ने Flesh को “संयम और सूक्ष्मता की मास्टरक्लास” बताते हुए कहा कि “इस उपन्यास में पृष्ठ पर जो अनुपस्थित है, वह उतना ही प्रभावी है जितना कि जो लिखा गया है।”


लोप की सौंदर्यशास्त्र: कथा का अभाव ही उसका रूप

स्ज़ालाई की Flesh अपने समय की एक अनोखी प्रयोगात्मक रचना है। यह उपन्यास एक अनाम पुरुष नायक के जीवन की किशोरावस्था से लेकर मध्यायु तक की यात्रा को प्रस्तुत करता है, किंतु पारंपरिक बिल्डुंग्सरोमन (bildungsroman) या “जीवन के पाठ” जैसी संरचना से हटकर यह “लोप” (absence) को ही अपनी शैली का आधार बनाता है।

उपन्यास में घटनाओं की निरंतरता नहीं है; यहाँ कथानक से अधिक महत्व उन रिक्त स्थानों का है जो दृश्यों के बीच छोड़ दिए गए हैं। प्रत्येक दृश्य छोटा, लगभग एक पृष्ठ का है, और उनके बीच का सफेद स्थान पाठक को न केवल समय की छलांग का एहसास कराता है, बल्कि उसे व्याख्या करने के लिए भी आमंत्रित करता है। यह तकनीक हेमिंग्वे के “आइसबर्ग सिद्धांत” की याद दिलाती है, जहाँ सतह के नीचे छिपी बातें ही असली कथा बन जाती हैं। परंतु स्ज़ालाई इसे एक कदम आगे बढ़ाते हैं—यहाँ अनकहा ही नायक है।

निर्णायक मंडल ने भी इस दृष्टिकोण की सराहना की। उनके शब्दों में, “स्ज़ालाई पाठक को उन खामोशियों में अर्थ खोजने के लिए आमंत्रित करते हैं, जहाँ लेखक कुछ नहीं कहता।” यह विश्वास कि पाठक स्वयं रिक्त स्थानों में जीवन का अनुभव भर देगा, Flesh को एक “नकारात्मक क्षमता” (negative capability) का अद्भुत उदाहरण बनाता है।


समकालीन कथा में प्रतिआंदोलन

आज जब ऑटोफिक्शन, आत्मकथात्मक उपन्यास और व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित कथाएँ साहित्यिक जगत में प्रमुखता पा रही हैं, Flesh एक अलग राह चुनता है। यह संक्षिप्तता और मौन के माध्यम से अर्थ का निर्माण करता है, और यह प्रश्न उठाता है कि क्या आधुनिक उपन्यास अब भी “घटाव” (subtraction) से गहराई पैदा कर सकता है।

यह दृष्टिकोण, समकालीन कथा-साहित्य के लिए एक साहसिक प्रतिआंदोलन है—जहाँ लेखक विस्तार नहीं, बल्कि लोप को भाषा का हिस्सा बनाता है। Flesh में हर अधूरा दृश्य, हर छोड़ी गई बातचीत, हर रिक्त पृष्ठ स्वयं में एक कथा है, जो पाठक की चेतना में पूरी होती है।


स्ज़ालाई की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और विषयगत गहराई

डेविड स्ज़ालाई की बहुसांस्कृतिक पृष्ठभूमि—कैनेडा में जन्म, हंगरी में बचपन और ब्रिटेन में साहित्यिक परिपक्वता—उनकी रचनाओं में एक “बेगानगी” (estrangement) का भाव रचती है। उनकी पूर्व प्रसिद्ध कृतियाँ All That Man Is (2016) और Turbulence (2018) भी पुरुष अनुभव की उदासी, अकेलेपन और आधुनिकता के विस्थापन को उकेरती हैं।

परंतु Flesh में यह वैश्विक भटकाव गायब है। इसका नायक इंग्लिश मिडलैंड्स से बाहर शायद ही कभी जाता है। यहाँ भौगोलिक गतिशीलता के बजाय अंतर्मन की स्थिरता है—एक स्थानीय, सीमित जीवन के भीतर ब्रह्मांडीय अर्थ खोजने का प्रयास। स्ज़ालाई इस प्रकार “वैश्विक लेखक” की पहचान और “स्थानीय कथा” के बीच तनाव को उजागर करते हैं। यह प्रश्न उठाते हैं कि क्या “ब्रिटिश उपन्यास” की श्रेणी में वैश्विक अनुभव समा सकता है?


आलोचनात्मक और बाज़ार-परक परिप्रेक्ष्य

इतिहास बताता है कि बुकर पुरस्कार मिलने के बाद किसी भी उपन्यास की बिक्री औसतन 500 से 800 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। Flesh, जो अब तक समीक्षकों की प्रिय किंतु सीमित पाठकीय पहुँच वाली पुस्तक थी, अब वैश्विक पाठकवर्ग तक पहुँचेगी। यह पुरस्कार न केवल स्ज़ालाई को मुख्यधारा में स्थापित करेगा, बल्कि संयमित लेखन शैली की पुनः मान्यता भी दिलाएगा।

आलोचनात्मक दृष्टि से भी Flesh महत्वपूर्ण है। पिछले कुछ वर्षों में बुकर पुरस्कारों ने प्रायः ऐतिहासिक महाकाव्य, राजनीतिक पहचान-केंद्रित कथाएँ, या वृहद् सामाजिक परिदृश्यों को प्राथमिकता दी है। स्ज़ालाई की जीत इससे एक अलग रुझान प्रस्तुत करती है—अस्तित्वगत संकोच, औपचारिक जोखिम और मनुष्य की मौन त्रासदी की ओर लौटने का संकेत।

यह वही बौद्धिक वातावरण है जिसने कभी इयान मैकइवान, जूलियन बार्न्स और काज़ुओ इशिगुरो जैसे लेखकों को बुकर दिलाया था। स्ज़ालाई अब उसी परंपरा में जुड़ते हैं, लेकिन अपनी पीढ़ी की भाषा में—मौन को अर्थ में बदलते हुए


Flesh की व्याख्या: साधारण जीवन, असाधारण मौन

मूल रूप से, Flesh किसी साधारण व्यक्ति के जीवन की कहानी है—बचपन, प्रेम, विफलता, उम्र और मृत्यु का क्रम। परंतु यह केवल “घटनाओं” की कथा नहीं है; यह “जीवन के अवशेषों” की कविता है। इसमें हम देखते हैं कि मनुष्य के अनुभवों का अधिकांश हिस्सा शब्दों में नहीं समा सकता।

स्ज़ालाई इस बात को समझते हैं कि साहित्य की असली शक्ति उसके कहे में नहीं, बल्कि अनकहे में होती है। Flesh इसीलिए किसी समापन या नैतिक संदेश की खोज नहीं करता; यह बस पाठक को यह अनुभव कराता है कि जीवन की संपूर्णता कभी भी कथात्मक नहीं हो सकती।


निष्कर्ष: लोप ही आधुनिक कथा का नया सत्य

डेविड स्ज़ालाई का Flesh समकालीन कथा-साहित्य में एक मौलिक हस्तक्षेप (aesthetic intervention) है। यह उपन्यास यह स्थापित करता है कि शब्दों की अधिकता से नहीं, बल्कि रणनीतिक मौन और लोप की संरचना से भी गहन कला उत्पन्न हो सकती है।

बुकर निर्णायकों ने स्ज़ालाई को सम्मानित कर यह संकेत दिया है कि साहित्य में अब भी वह स्थान है जहाँ “साधारण जीवन” को, बिना सजावट और बिना व्याख्या के, सच की तरह प्रस्तुत किया जा सकता है।

Flesh न केवल एक उपन्यास है, बल्कि यह नैतिक और सौंदर्यशास्त्रीय प्रश्न भी उठाता है—कि क्या हम उस कथा से प्रेम कर सकते हैं जो हमें कुछ भी सुनिश्चित नहीं देती?
और शायद यही Flesh का सबसे बड़ा योगदान है:
कहना नहीं, बल्कि छिपा लेना—और उसी में अर्थ को खोजने की कला।

With The Hindu Inputs 

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