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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

China’s AI Military Revolution: DeepSeek, Drone Swarms, and Robot Dogs Redefining Modern Warfare

चीन का एआई-संचालित सैन्य अनुसंधान: डीपसीक के माध्यम से स्वायत्त ड्रोन स्वार्म और रोबोट कुत्तों का उदय

(एक गहन शैक्षणिक विश्लेषण)


प्रस्तावना

21वीं सदी का युद्धक्षेत्र केवल बंदूकों और मिसाइलों से नहीं, बल्कि एल्गोरिद्म और डेटा इंटेलिजेंस से संचालित हो रहा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence - AI) का सैन्यीकरण आज वैश्विक शक्ति-संतुलन का नया केंद्र बन चुका है। अमेरिका और चीन जैसे महाशक्तियों के बीच यह प्रतिस्पर्धा अब पारंपरिक हथियारों की नहीं, बल्कि “स्वायत्त निर्णय क्षमता” और “एल्गोरिद्मिक प्रभुत्व” (Algorithmic Dominance) की हो गई है।
हाल के वर्षों में, चीन ने अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के माध्यम से एआई-संचालित सैन्य अनुसंधान को जिस तीव्रता से आगे बढ़ाया है, उसने वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। विशेष रूप से डीपसीक (DeepSeek) जैसे उन्नत भाषा और निर्णय-आधारित एआई मॉडल का प्रयोग चीन के सैन्य और औद्योगिक ढांचे में एक बड़ा परिवर्तनकारी तत्व बन चुका है।

इस विश्लेषण में हम चीन की एआई रणनीति, डीपसीक की भूमिका, स्वायत्त ड्रोन स्वार्म और रोबोट कुत्तों जैसी प्रमुख तकनीकों, अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता, उभरती चुनौतियों और वैश्विक प्रभावों की विवेचना करेंगे।


1. चीन का एआई-संचालित सैन्य अनुसंधान: नीति से व्यवहार तक

चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में एआई को "Force Multiplier" के रूप में देखा जा रहा है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2017 में ही घोषणा की थी कि “2030 तक चीन विश्व का अग्रणी एआई शक्ति बनेगा।” उसी लक्ष्य के अंतर्गत एआई को रक्षा अनुसंधान, सामरिक योजना और हथियार प्रणालियों में समाहित किया जा रहा है।

डीपसीक जैसे भाषा-आधारित एआई मॉडल, जो मूलतः डेटा विश्लेषण और निर्णय प्रक्रिया को तेज करने के लिए बनाए गए हैं, अब युद्ध-परिदृश्य विश्लेषण (Battlefield Scenario Analysis) और लक्ष्य पहचान (Target Recognition) में उपयोग किए जा रहे हैं। 2025 में रॉयटर्स द्वारा प्रकाशित रिपोर्टों के अनुसार, पीएलए से जुड़ी दर्जनों निविदाओं (Military Procurement Tenders) में डीपसीक को शामिल किया गया है — जिनका लक्ष्य स्वायत्त युद्ध प्रणाली तैयार करना है जो बिना मानवीय हस्तक्षेप के त्वरित निर्णय ले सके।

चीन की रक्षा कंपनियाँ जैसे Norinco (North Industries Group) और विश्वविद्यालय जैसे Beihang University इस मॉडल को वास्तविक सैन्य अभियानों में एकीकृत करने पर कार्यरत हैं। इस दिशा में डीपसीक ने चीन के “एल्गोरिद्मिक संप्रभुता” (Algorithmic Sovereignty) की आकांक्षा को नई ऊर्जा दी है — अर्थात् विदेशी (विशेषकर अमेरिकी) तकनीक पर निर्भरता कम कर स्वदेशी एआई पारिस्थितिकी विकसित करना।


2. डीपसीक की भूमिका: सैन्य एआई का नया मस्तिष्क

डीपसीक एक उन्नत चीनी भाषा मॉडल है, जो मानव जैसी तार्किक और संदर्भ-आधारित निर्णय क्षमता रखता है।
इसका सैन्य उपयोग तीन प्रमुख क्षेत्रों में देखा जा रहा है:

  1. युद्धक्षेत्र निर्णय समर्थन (Battlefield Decision Support):
    डीपसीक विशाल उपग्रह इमेजरी, ड्रोन डेटा और रेडियो संचार से प्राप्त सूचनाओं का त्वरित विश्लेषण कर, कमांड सेंटर को वास्तविक समय में निर्णय लेने योग्य निष्कर्ष प्रदान करता है।

  2. स्वायत्त ड्रोन स्वार्म नियंत्रण:
    पारंपरिक रूप से, दर्जनों ड्रोन के समूह को एक साथ नियंत्रित करना कठिन होता है। डीपसीक के एल्गोरिद्म इन ड्रोन के बीच समन्वय और मिशन रणनीति तय करने में सक्षम हैं — जिससे वे बिना मानव निर्देशन के समूह में हमला, टोही या बचाव अभियान चला सकते हैं।

  3. युद्ध सिमुलेशन और एआई वॉर गेमिंग:
    बीजिंग और नानजिंग स्थित सैन्य अनुसंधान केंद्र डीपसीक का प्रयोग “वर्चुअल वार गेम्स” तैयार करने में कर रहे हैं, जो वास्तविक युद्ध स्थितियों की सटीक नकल कर भविष्य की रणनीतियों का पूर्वानुमान लगाने में सहायक है।


3. प्रमुख तकनीकें: स्वायत्त ड्रोन स्वार्म और रोबोट कुत्ते

(क) स्वायत्त ड्रोन स्वार्म

चीन की सैन्य एआई क्रांति का सबसे उन्नत उदाहरण है “Autonomous Drone Swarm” — दर्जनों या सैकड़ों ड्रोन का ऐसा नेटवर्क जो आपस में संवाद कर सामूहिक निर्णय लेता है।
इन स्वार्मों को मुख्यतः निम्नलिखित कार्यों के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है:

  • लक्ष्य पहचान और हमले का समन्वय
  • रडार से बचाव (Stealth Coordination)
  • इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic Warfare)
  • निगरानी और संचार पुनर्स्थापन

Landship Information Technology जैसी कंपनियाँ, हुवावे के Ascend चिप्स का उपयोग कर, सैन्य वाहनों और ड्रोन प्रणालियों में उच्च-गति वाले डेटा प्रोसेसिंग मॉड्यूल जोड़ रही हैं। इन प्रणालियों में मानव भूमिका “समीक्षक” (Reviewer) की रह जाती है, जबकि प्राथमिक निर्णय मशीनें लेती हैं।

(ख) रोबोट कुत्ते (Robot Dogs)

Unitree Robotics” जैसे चीनी एआई निर्माता पहले ही सशस्त्र रोबोट कुत्तों के प्रदर्शन वीडियो राज्य मीडिया में प्रसारित कर चुके हैं।
ये मशीनें पैक में चलती हैं, माइन क्लियरिंग (Mine Clearing), गश्त (Patrolling), और शहरी युद्ध (Urban Combat) में काम आती हैं।
हाल ही में पीएलए के अभ्यासों में इन्हें हथियारों से लैस रूप में देखा गया है, जो इंसानी सैनिकों की जगह अत्यधिक जोखिम भरे इलाकों में तैनात किए जा सकते हैं।

इन दोनों तकनीकों का सम्मिलन — ड्रोन स्वार्म और रोबोटिक ग्राउंड यूनिट्स — भविष्य के “हाइब्रिड ऑटोमेटेड बैटलफील्ड” का आधार तैयार कर रहा है, जहां निर्णय, गश्त और हमला तीनों एआई-संचालित होंगे।


4. अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता: एआई शस्त्रों की नई दौड़

अमेरिका लंबे समय से Project Maven और Replicator Initiative जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से एआई युद्धक्षमता में अग्रणी रहा है।
वहीं, चीन अब इस बढ़त को कम करने की कोशिश में है।
रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका 2025 के अंत तक “Thousands of Autonomous Drones” तैनात करने की तैयारी में है, जबकि चीन पहले ही अपनी घरेलू कंपनियों के सहयोग से सैकड़ों यूनिट्स का उत्पादन कर चुका है।

हालांकि, अमेरिकी निर्यात नियंत्रण नीतियाँ — विशेष रूप से NVIDIA के A100 और H100 चिप्स पर 2022 में लगाए गए प्रतिबंध — ने चीन की एआई क्षमता को आंशिक रूप से बाधित किया। इसके जवाब में चीन ने Huawei Ascend और Biren जैसी स्वदेशी चिप श्रृंखलाओं को बढ़ावा देना शुरू किया है।
फिर भी, अधिकांश सैन्य संस्थान अब भी पश्चिमी हार्डवेयर पर निर्भर हैं, जो इस प्रतिस्पर्धा की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी है।


5. चुनौतियाँ और नैतिक प्रश्न

चीन के एआई सैन्य कार्यक्रम के सामने कई तकनीकी और नैतिक चुनौतियाँ हैं:

  1. सत्यापन और पारदर्शिता की कमी:
    सैन्य अनुसंधान अत्यंत गोपनीय होने के कारण इनके परिणामों का स्वतंत्र मूल्यांकन असंभव है।

  2. मानव नियंत्रण का क्षरण:
    यदि स्वायत्त हथियार निर्णय स्वयं लेने लगें, तो “कौन जिम्मेदार होगा?” यह प्रश्न गंभीर बन जाता है।
    संयुक्त राष्ट्र सहित कई संस्थाएँ एआई-संचालित हथियारों पर वैश्विक आचार संहिता (Code of Conduct) की मांग कर रही हैं।

  3. तकनीकी पक्षपात और निर्णय त्रुटि:
    डेटा-संचालित एआई मॉडल युद्ध के दौरान गलत पहचान या निर्णय कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप नागरिक हताहत बढ़ सकते हैं।

  4. वैश्विक अस्थिरता का खतरा:
    यदि एआई हथियारों की दौड़ अनियंत्रित रही, तो यह परमाणु प्रतिस्पर्धा की तरह वैश्विक सुरक्षा संतुलन को अस्थिर कर सकती है।


6. वैश्विक निहितार्थ: युद्ध का बदलता चेहरा

एआई का सैन्य एकीकरण युद्ध को “Machine-Speed Warfare” की दिशा में ले जा रहा है, जहां निर्णय मानव से अधिक तेज और भावनारहित होंगे।
यह परिवर्तन युद्ध को अधिक कुशल तो बनाएगा, पर कम जवाबदेह भी बना देगा।
वैश्विक स्तर पर यह परिदृश्य तीन परिणाम ला सकता है:

  • (क) सामरिक निर्णयों की गति इतनी बढ़ जाएगी कि कूटनीतिक वार्ताओं का समय घटेगा।
  • (ख) छोटे देशों पर दबाव बढ़ेगा, क्योंकि वे इस तकनीकी शस्त्र-दौड़ में भाग लेने में सक्षम नहीं होंगे।
  • (ग) युद्ध और शांति के बीच की रेखा और धुंधली हो जाएगी — जहां ड्रोन और स्वायत्त इकाइयाँ निरंतर निगरानी और सीमित हमले करती रहेंगी।

निष्कर्ष

डीपसीक और अन्य एआई प्रणालियों के माध्यम से चीन ने सैन्य तकनीक की दिशा में एक निर्णायक छलांग लगाई है। यह केवल तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि एक रणनीतिक दर्शन का संकेत है — जहां “डेटा” अब “बारूद” बन चुका है।
हालांकि, यह प्रगति वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए नई चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है।

भविष्य का युद्ध शायद मशीनों के बीच होगा, पर इसके परिणाम मनुष्यों को ही भुगतने होंगे।
इसलिए, एआई-संचालित हथियारों पर वैश्विक नैतिक ढाँचा और बहुपक्षीय संवाद अब विलासिता नहीं, बल्कि आवश्यकता बन चुके हैं।
यदि ऐसा न हुआ, तो यह तकनीकी क्रांति मानवता के लिए विनाशकारी युग की प्रस्तावना सिद्ध हो सकती है।


संदर्भ:

  • Reuters Investigation (2025): "Robot dogs and AI drone swarms: How China could use DeepSeek for an era of war."
  • PLA National Defence University, Beihang University Defence Studies Reports (2024–25).
  • US Department of Defense, Replicator Initiative Brief, May 2025.
  • Chinese Ministry of Science & Technology, AI Development Strategy, 2030 Roadmap.


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