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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2025 को 'सुधारों का वर्ष' घोषित किया

रक्षा मंत्रालय द्वारा 2025 'सुधारों का वर्ष' घोषित: सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण और रणनीतिक सुदृढ़ीकरण

भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2025 को 'सुधारों का वर्ष' घोषित किया है, जिसका उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से उन्नत और युद्ध के लिए तैयार बनाना है। इस पहल के अंतर्गत विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिससे भारतीय सैन्य बल बहु-क्षेत्रीय एकीकृत संचालन के लिए अधिक सक्षम हो सकें। इस लेख में इन सुधारों, उनकी जरूरतों, संभावित प्रभावों और भविष्य की रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

1. संयुक्तता और एकीकरण को बढ़ावा देना

रक्षा मंत्रालय के इस सुधार कार्यक्रम का एक प्रमुख पहलू सशस्त्र बलों के बीच संयुक्तता और एकीकरण को मजबूत करना है। इसके तहत निम्नलिखित पहलें की जाएंगी:

  • एकीकृत थिएटर कमांड की स्थापना: सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच समन्वय को बढ़ाने के लिए संयुक्त थिएटर कमांड की स्थापना की जाएगी। इससे सैन्य संचालन अधिक कुशल और प्रभावी बन सकेंगे।
  • संयुक्त अभ्यास और प्रशिक्षण: तीनों सेनाओं के बीच अधिक प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त सैन्य अभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • संयुक्त साइबर और अंतरिक्ष रक्षा रणनीति: साइबर और अंतरिक्ष सुरक्षा के नए खतरों का मुकाबला करने के लिए एकीकृत रक्षा रणनीतियाँ विकसित की जाएंगी।

2. नए डोमेन और उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करना

आधुनिक युद्धों में प्रौद्योगिकी की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है। इसीलिए रक्षा मंत्रालय ने नए तकनीकी क्षेत्रों और उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित किया है:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML): सैन्य अभियानों में AI और ML का उपयोग बढ़ाने के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकियां: हाइपरसोनिक मिसाइलों और विमानन प्रणालियों का विकास तेज किया जाएगा, जिससे भारतीय सेना की क्षमताएं बढ़ेंगी।
  • रोबोटिक्स और स्वायत्त प्रणालियाँ: रोबोटिक्स और स्वायत्त प्रणालियों को सेना में शामिल कर युद्धक अभियानों को अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।
  • साइबर और अंतरिक्ष डिफेंस: साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और अंतरिक्ष में सैन्य क्षमताओं को विकसित करने पर जोर दिया जाएगा।

3. अधिग्रहण प्रक्रियाओं का सरलीकरण

भारत की सैन्य क्षमताओं को तीव्र और प्रभावी रूप से विकसित करने के लिए अधिग्रहण प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाया जाएगा। इसके अंतर्गत:

  • तेज और पारदर्शी खरीद प्रक्रिया: सैन्य उपकरणों और हथियारों की खरीद को तेजी से निपटाने के लिए नई नीतियाँ लागू की जाएंगी।
  • स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा: भारतीय रक्षा उद्योगों को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी उत्पादन को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • नवाचार और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन: रक्षा क्षेत्र में नवाचार और नई स्टार्टअप कंपनियों को अवसर प्रदान करने के लिए विभिन्न योजनाएँ शुरू की जाएंगी।

4. सार्वजनिक-निजी भागीदारी और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण

रक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएँ लागू की जाएंगी:

  • रक्षा क्षेत्र और असैन्य उद्योगों के बीच सहयोग: सैन्य उपकरणों और तकनीकों का असैन्य उद्योगों के साथ आदान-प्रदान बढ़ाया जाएगा।
  • विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी: विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं (OEMs) के साथ सहयोग करके भारतीय रक्षा उद्योग को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया जाएगा।
  • नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा: रक्षा अनुसंधान और विकास (R&D) को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए नए अनुसंधान केंद्रों की स्थापना की जाएगी।

5. भारत को रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित करना

भारत को रक्षा उत्पादों का एक प्रमुख निर्यातक बनाने की दिशा में भी रक्षा मंत्रालय काम कर रहा है। इसके लिए:

  • स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा: भारत में निर्मित हथियारों, रक्षा प्रणालियों और तकनीकों का निर्यात बढ़ाने के लिए नई योजनाएँ लागू की जाएंगी।
  • वैश्विक रक्षा बाजार में प्रतिस्पर्धा: भारतीय रक्षा कंपनियों को वैश्विक रक्षा बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जाएगा।
  • विदेशी ग्राहकों के लिए आकर्षक योजनाएँ: भारतीय रक्षा उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आकर्षक योजनाएँ और नीतियाँ लागू की जाएंगी।

6. रक्षा मंत्री का दृष्टिकोण

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ये सुधार देश की रक्षा तैयारियों में अभूतपूर्व प्रगति की नींव रखेंगे और 21वीं सदी की चुनौतियों के बीच भारत की सुरक्षा और संप्रभुता सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में प्रतिबद्ध है और इन सुधारों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।

निष्कर्ष

2025 को 'सुधारों का वर्ष' घोषित करना भारत के रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण, अंतर-सेवा सहयोग, और स्वदेशी क्षमताओं के विकास को बढ़ावा देगी। इसके माध्यम से भारत न केवल अपनी सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा, बल्कि वैश्विक रक्षा उद्योग में भी अपनी स्थिति को मजबूत करेगा। इन सुधारों के सफल क्रियान्वयन से भारतीय सैन्य शक्ति को और अधिक कुशल, प्रभावी और आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा।

सामान्य अध्ययन (GS) के पेपर में संभावित प्रश्न:

पेपर 2 (गवर्नेंस, संविधान, राजनीति, सामाजिक न्याय और अंतरराष्ट्रीय संबंध)

  1. वर्ष 2025 को 'सुधारों का वर्ष' घोषित करने के पीछे सरकार की प्रमुख रणनीति क्या है?
  2. रक्षा क्षेत्र में संयुक्त थिएटर कमांड की अवधारणा क्या है और यह सैन्य प्रभावशीलता को कैसे बढ़ाती है?
  3. रक्षा अधिग्रहण प्रक्रियाओं के सरलीकरण के क्या फायदे और चुनौतियाँ हैं?
  4. भारत की रक्षा नीति में 'आत्मनिर्भर भारत' पहल की भूमिका का विश्लेषण करें।
  5. साइबर और अंतरिक्ष रक्षा नीति में भारत के हालिया प्रयासों का मूल्यांकन करें।

पेपर 3 (विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव-विविधता, सुरक्षा और आपदा प्रबंधन)

  1. उभरती हुई रक्षा प्रौद्योगिकियों (AI, ML, रोबोटिक्स, हाइपरसोनिक हथियार) के संदर्भ में भारत की रणनीति की समीक्षा करें।
  2. भारत को रक्षा उत्पादों का निर्यातक बनाने की दिशा में सरकार की नीतियों का विश्लेषण करें।
  3. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) रक्षा उत्पादन में कैसे योगदान दे सकती है?
  4. भारतीय सैन्य आधुनिकीकरण में 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की भूमिका का विश्लेषण करें।
  5. अंतरराष्ट्रीय रक्षा सहयोग और विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं (OEMs) के साथ भारत की साझेदारी की चुनौतियाँ और अवसर क्या हैं?

ये प्रश्न यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी हो सकते हैं।


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