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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

India-U.S. Relations: A New Direction in Counterterrorism, Trade, and Diplomatic Partnership

यह संपादकीय भारत-अमेरिका संबंधों में एक नए आयाम पर केंद्रित है, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, व्यापारिक साझेदारी, और कूटनीतिक संबंधों की मजबूती पर चर्चा की गई है। ताहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की स्वीकृति, व्यापारिक लक्ष्यों को 2030 तक $500 बिलियन तक बढ़ाने की रणनीति, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की द्विपक्षीय वार्ताओं के प्रभाव जैसे महत्वपूर्ण विषयों का विश्लेषण किया गया है। यह लेख भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और अमेरिका के साथ उसकी मजबूत होती साझेदारी को दर्शाता है।

India-U.S. Relations


इंडो-अमेरिका संबंधों में नई दिशा: आतंकवाद, व्यापार और कूटनीतिक साझेदारी

भारत और अमेरिका दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र हैं, जिनके संबंध दशकों से बदलते वैश्विक परिदृश्य के साथ विकसित हुए हैं। इन संबंधों में रणनीतिक, आर्थिक, और कूटनीतिक पहलुओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हाल ही में अमेरिका ने 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को स्वीकृति दी, जो आतंकवाद के खिलाफ भारत-अमेरिका की साझा लड़ाई का एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह निर्णय केवल आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत और अमेरिका के साथ इसके संबंधों की मजबूती को भी दर्शाता है।

इस संपादकीय में हम भारत-अमेरिका संबंधों के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करेंगे—

↪आतंकवाद के खिलाफ साझेदारी।

व्यापार और निवेश सहयोग।

रक्षा और सुरक्षा संबंध।

कूटनीतिक आपसी सम्मान।

भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां।

आतंकवाद के खिलाफ साझा संघर्ष

भारत दशकों से आतंकवाद से जूझ रहा है, और 26/11 मुंबई हमले इसके सबसे भयावह उदाहरणों में से एक था। इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था, और तहव्वुर राणा पर इस हमले में शामिल आतंकियों की मदद करने का आरोप है।

अमेरिका द्वारा उसका प्रत्यर्पण भारत को सौंपने की स्वीकृति इस बात का प्रमाण है कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ा है। यह निर्णय दर्शाता है कि अमेरिका, भारत की चिंताओं को गंभीरता से ले रहा है और आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह देने के खिलाफ खड़ा है।

अमेरिका और भारत पहले भी आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम कर चुके हैं। दोनों देशों के बीच 2010 में एक आतंकवाद-रोधी सहयोग संधि (Counterterrorism Cooperation Initiative) हुई थी, जिससे खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान और आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखना संभव हुआ।

इस प्रत्यर्पण से भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया आयाम जुड़ गया है। यह न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता है, बल्कि यह भविष्य में अन्य आतंकवादियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त करेगा।

व्यापार और आर्थिक सहयोग

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 2030 तक भारत-अमेरिका व्यापार को $500 बिलियन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों की वर्तमान स्थिति

2024 में दोनों देशों के बीच व्यापार $129.2 बिलियन तक पहुंच गया।

भारत अमेरिका को आईटी सेवाओं, फार्मास्युटिकल्स, कपड़ा, और कृषि उत्पादों का निर्यात करता है।

अमेरिका भारत में रक्षा, ऊर्जा, और तकनीकी निवेश बढ़ा रहा है।

आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने के प्रमुख क्षेत्र

1. आईटी और डिजिटल साझेदारी: भारत की आईटी कंपनियां अमेरिकी बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारतीय कंपनियां अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र में भारी निवेश कर रही हैं, और अमेरिका भी भारत में स्टार्टअप्स और डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश कर रहा है।

2. ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा: अमेरिका और भारत के बीच स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर सहयोग बढ़ा है। भारत सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में अमेरिकी कंपनियों को आमंत्रित कर रहा है।

3. रक्षा और विनिर्माण: अमेरिका से भारत को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति तेजी से बढ़ी है। अमेरिका, भारत के रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में निवेश कर रहा है, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बल मिल रहा है।

4. फार्मास्युटिकल और हेल्थकेयर: भारत, अमेरिका को सस्ती दवाइयां और वैक्सीन निर्यात करता है, जिससे दोनों देशों के स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग मजबूत हुआ है।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक नीतियों को और उदार बनाने, टैरिफ को कम करने और नई तकनीकों को साझा करने से दोनों देशों को भारी आर्थिक लाभ मिल सकता है।

रक्षा और सुरक्षा संबंध

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है। अमेरिका ने भारत को अत्याधुनिक रक्षा तकनीक उपलब्ध कराने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

रक्षा संबंधों में प्रमुख उपलब्धियां

BECA, COMCASA और LEMOA समझौते: ये तीनों रक्षा समझौते भारत को अमेरिकी सैन्य प्रौद्योगिकी तक पहुंच प्रदान करते हैं।

F-35 विमानों की संभावित खरीद: भारत, अमेरिका से उन्नत लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बना रहा है।

QUAD सहयोग: अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सैन्य सहयोग बढ़ा है, जिससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन बना हुआ है।

अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी से न केवल दोनों देशों की सैन्य क्षमताओं में वृद्धि हुई है, बल्कि इससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में भी मदद मिली है।

कूटनीतिक आपसी सम्मान और नेतृत्व स्तर पर तालमेल

भारत-अमेरिका संबंध केवल रणनीतिक और आर्थिक सहयोग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि व्यक्तिगत कूटनीति भी इसमें अहम भूमिका निभाती है।

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के लिए कुर्सी खींचने जैसी छोटी घटनाएं भी इन संबंधों में गर्मजोशी और आपसी सम्मान को दर्शाती हैं। इसके अलावा, मोदी द्वारा ट्रंप को भारत आने का निमंत्रण देना इस साझेदारी को और प्रगाढ़ करने का संकेत है।

भारत और अमेरिका की नेतृत्व स्तर की मित्रता अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी दिखाई देती है, चाहे वह संयुक्त राष्ट्र हो, G20 हो, या फिर QUAD जैसे बहुपक्षीय संगठन।

चुनौतियां और आगे की राह

हालांकि भारत-अमेरिका संबंध तेजी से मजबूत हो रहे हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं:

1. व्यापारिक मतभेद और टैरिफ नीति

अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाजार को और अधिक खोले, जबकि भारत अपनी घरेलू कंपनियों की रक्षा करने के लिए टैरिफ नीतियों को जारी रखना चाहता है।

2. वीज़ा और आव्रजन नीतियां

अमेरिका की एच-1बी वीज़ा नीति भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसमें सख्त नियम भारत के हितों के खिलाफ जा सकते हैं।

3. चीन नीति पर मतभेद

अमेरिका भारत को अपने साथ चीन के खिलाफ एक मजबूत मोर्चे में शामिल करना चाहता है, लेकिन भारत संतुलन की नीति अपनाना चाहता है।

4. रूस-भारत रक्षा संबंध

भारत के रूस के साथ पुराने रक्षा संबंध अमेरिका को चिंतित करते हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस पर अपनी निर्भरता कम करे, जबकि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखना चाहता है।

निष्कर्ष

भारत और अमेरिका के संबंध सिर्फ कूटनीतिक साझेदारी नहीं हैं, बल्कि वैश्विक स्थिरता और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पहल हैं। दोनों देश आतंकवाद, व्यापार, रक्षा और कूटनीतिक स्तर पर लगातार सहयोग बढ़ा रहे हैं।

तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण इस साझेदारी का एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह दिखाता है कि अमेरिका और भारत आतंकवाद को लेकर एक सख्त रुख अपना रहे हैं।

2030 तक $500 बिलियन के व्यापार लक्ष्य को हासिल करने के लिए दोनों देशों को व्यापारिक नीतियों में लचीलापन लाना होगा। रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने की जरूरत है।

हालांकि, कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन यदि भारत और अमेरिका आपसी मतभेदों को हल कर लेते हैं, तो यह साझेदारी न केवल इन दोनों देशों के लिए, बल्कि वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभकारी साबित होगी।


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✍️ARVIND SINGH PK REWA

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