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Pahalgam Attack Fallout: How a Pakistani Mother Lost Her Child at the Wagah Border

सत्यकथा: सरहद की एक माँ भारत-पाक सीमा पर माँ-बेटे की जुदाई: एक मर्मस्पर्शी मानवीय संकट अटारी बॉर्डर पर ठंडी हवाएँ चल रही थीं, पर फ़रहीन की आँखों से गर्म आँसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। उसके कांपते हाथों में 18 महीने का मासूम बेटा सिकुड़ा हुआ था, जैसे उसे भी पता हो कि कुछ अनहोनी होने वाली है। सिर पर दुपट्टा था, पर चेहरे पर मातृत्व की वेदना ने जैसे सारी दुनिया की नज़रों को थाम रखा था। "उतर जा बेटा... उतर जा," — सास सादिया की आवाज़ रिक्शे के भीतर से आई, लेकिन वह आवाज़ न तो कठोर थी, न ही साधारण। वह टूटे हुए रिश्तों की वह कराह थी जिसे सिर्फ़ एक माँ ही समझ सकती है। रिक्शा भारत की ओर था, पर फ़रहीन को पाकिस्तान जाना था—अपनी जन्मभूमि, पर अब बेगानी सी लगने लगी थी। फ़रहीन, प्रयागराज के इमरान से दो साल पहले ब्याही गई थी। प्यार हुआ, निकाह हुआ और फिर इस प्यार की निशानी—एक नन्हा बेटा हुआ। बेटे का नाम उन्होंने आरिफ़ रखा था, जिसका मतलब होता है—“जानने वाला, पहचानने वाला।” लेकिन आज वो नन्हा आरिफ़ समझ नहीं पा रहा था कि उसकी माँ उसे क्यों छोड़ रही है। "मैं माँ हूँ... कोई अपराधी नही...

Bloom Ventures Report: Analyzing India's Economic Reality

 ब्लूम वेंचर्स की रिपोर्ट और भारत की वास्तविक आर्थिक स्थिति

हाल ही में ब्लूम वेंचर्स की एक रिपोर्ट ने यह दावा किया कि भारत की बड़ी आबादी के पास विवेकाधीन खर्च (discretionary spending) करने की क्षमता नहीं है और देश का मध्यम वर्ग सिकुड़ रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार, केवल एक छोटा सा वर्ग ही ऐसा है जो अपनी आवश्यक जरूरतों से परे खर्च कर सकता है। हालांकि, इस रिपोर्ट को कई आर्थिक विशेषज्ञों, सरकारी आंकड़ों और अन्य अध्ययनों ने चुनौती दी है।

Bloom Ventures Report: Analyzing India's Economic Reality

ब्लूम वेंचर्स की रिपोर्ट के प्रमुख दावे

ब्लूम वेंचर्स ने अपनी रिपोर्ट में कुछ मुख्य बिंदु प्रस्तुत किए, जिनमें शामिल हैं:

↪लगभग एक अरब भारतीयों के पास अतिरिक्त खर्च की क्षमता नहीं है।

↪भारत का मध्यम वर्ग धीरे-धीरे घट रहा है।

↪अधिकांश भारतीय अपनी आवश्यक जरूरतों पर ही खर्च करते हैं और बचत करने में असमर्थ हैं।

↪स्टार्टअप और उद्यमियों के लिए भारतीय बाजार उतना आकर्षक नहीं है जितना अनुमान लगाया जाता है।

क्या कहते हैं सरकारी और अन्य आर्थिक आंकड़े?

ब्लूम वेंचर्स की रिपोर्ट के दावों के विपरीत, भारत की आर्थिक स्थिति को मापने वाले कई महत्वपूर्ण संकेतक एक अलग तस्वीर पेश करते हैं।

1. उपभोक्ता खर्च में वृद्धि

↪नीति आयोग और CEIC के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत के निजी उपभोग व्यय (Private Consumption Expenditure) में 8.6% की वृद्धि हुई।

↪फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म्स की रिपोर्ट बताती है कि टियर-2 और टियर-3 शहरों से होने वाली बिक्री में 50% से अधिक की वृद्धि देखी गई है।

2. डिजिटल लेनदेन और आर्थिक गतिविधि में इजाफा

↪भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, जनवरी 2024 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (UPI) लेनदेन 14 बिलियन को पार कर गया, जो उपभोक्ताओं की बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है।

↪UPI और डिजिटल पेमेंट्स का बढ़ता उपयोग यह संकेत देता है कि भारत का मध्यम वर्ग तकनीकी रूप से अधिक सक्षम और आर्थिक रूप से अधिक सक्रिय हो रहा है।

3. मध्यम वर्ग का विस्तार

↪प्राइसवाटरहाउसकूपर्स (PwC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत में मध्यम वर्ग में 200 मिलियन लोग जुड़ेंगे।

↪शहरीकरण, बढ़ती आय और नई नौकरियों के अवसर मध्यम वर्ग के विस्तार में सहायक हो रहे हैं।

ब्लूम वेंचर्स की रिपोर्ट पर सवाल

ब्लूम वेंचर्स की रिपोर्ट ने भारत की आर्थिक वास्तविकता का एक सीमित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। निम्नलिखित कारणों से रिपोर्ट की आलोचना की जा रही है:

↪डाटा स्रोतों की पारदर्शिता नहीं – रिपोर्ट में किन स्रोतों से डाटा लिया गया, इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई।

↪लंबी अवधि के आर्थिक रुझानों की अनदेखी – मध्यम वर्ग के विस्तार से जुड़े दीर्घकालिक आर्थिक रुझानों को नजरअंदाज किया गया।

↪नकारात्मक पक्ष पर अधिक ध्यान – रिपोर्ट ने उन सकारात्मक आर्थिक संकेतकों को पर्याप्त रूप से शामिल नहीं किया जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाते हैं।

निष्कर्ष

जबकि ब्लूम वेंचर्स की रिपोर्ट भारत के आर्थिक परिदृश्य पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, इसके निष्कर्षों को वास्तविक सरकारी आंकड़ों और स्वतंत्र आर्थिक रिपोर्टों के साथ संतुलित करके देखना आवश्यक है। उपभोक्ता खर्च, डिजिटल लेनदेन और मध्यम वर्ग के विस्तार के आंकड़े इस बात को स्पष्ट करते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था सतत विकास कर रही है और मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ रही है।

इसलिए, भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर कोई भी निष्कर्ष निकालने से पहले बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है, जिससे वास्तविकता का संतुलित आकलन किया जा सके।


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✍️ARVIND SINGH PK REWA

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