Venezuela’s Socio-Economic Collapse: Hyperinflation, Poverty, and Political Repression Amid External Tensions (2025–26 Analysis)
वेनेज़ुएला में सामाजिक-आर्थिक संकट: अतिमहंगाई, गरीबी और राजनीतिक उत्पीड़न के बीच डूबता राष्ट्र
सारांश
तेल संपन्नता के बावजूद वेनेज़ुएला आज गहरे सामाजिक और आर्थिक अंधकार में डूबा है। 2026 तक महंगाई दर 680% से अधिक पहुँचने का अनुमान है, जबकि 70% परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। राज्य-प्रायोजित उत्पीड़न ने असहमति की आवाज़ों को दबा दिया है।
यह विश्लेषण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), यूनिवर्सिडाड कैटोलिका आंद्रेस बेलो (UCAB) और अन्य स्रोतों के नवीनतम आँकड़ों पर आधारित है। यह बताता है कि आर्थिक विनाश, सामाजिक पतन और राजनीतिक निरंकुशता एक-दूसरे को सुदृढ़ कर रहे हैं। पुनर्बहाली के लिए केवल आर्थिक स्थिरीकरण नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक पुनर्संरचना और मानवीय सहयोग आवश्यक है।
1. परिचय: तेल से आतंक तक की यात्रा
एक समय जब वेनेज़ुएला लैटिन अमेरिका का सबसे धनी राष्ट्र कहा जाता था, वही देश अब इतिहास के सबसे गंभीर शांतिकालीन आर्थिक संकटों में से एक से गुजर रहा है।
2013 से 2024 के बीच इसका वास्तविक GDP लगभग 75% गिर चुका है (IMF, 2025)। राष्ट्रीय मुद्रा बोलिवार का मूल्य लगभग समाप्त हो चुका है, आवश्यक वस्तुएँ दुर्लभ हैं, और लगभग 77 लाख नागरिक अपने ही देश से पलायन कर चुके हैं (UNHCR, 2025)।
यह अध्ययन तीन परस्पर संबंधित आयामों पर केंद्रित है—अतिमहंगाई, बहुआयामी गरीबी और राजनीतिक दमन—और यह दर्शाता है कि बाहरी खतरे की तुलना में घरेलू अस्थिरता कहीं अधिक विनाशकारी है।
2. अतिमहंगाई और मुद्रा पतन: बोलिवार की मौत
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के नवीनतम अनुमानों के अनुसार, 2025 के अंत तक महंगाई 269.9%, और 2026 के अंत तक 680% से अधिक हो सकती है।
यह केवल आँकड़ों का नहीं, बल्कि आम नागरिक के दैनिक जीवन का त्रासद वर्णन है।
महंगाई की जड़ें तीन प्रमुख कारणों में निहित हैं—
- राजकोषीय घाटे का मुद्रीकरण: वेनेज़ुएला का केंद्रीय बैंक GDP के 20–30% तक के घाटे को प्रतिवर्ष नोट छापकर पूरा कर रहा है।
- अनौपचारिक डॉलरीकरण: अब 65% से अधिक लेनदेन अमेरिकी डॉलर में होते हैं, परंतु सरकारी दरें वास्तविक बाजार से बहुत पीछे हैं।
- तेल उत्पादन में गिरावट: एक समय 32 लाख बैरल/दिन का उत्पादन अब घटकर 8 लाख बैरल/दिन से कम रह गया है (OPEC, 2025)।
जैसे-जैसे काला बाजार में डॉलर की दर गिरती है, वैसे-वैसे स्थानीय कीमतें विस्फोटक रूप से बढ़ती हैं।
सरकारी मूल्य नियंत्रण और राशनिंग ने स्थिरता के बजाय और अधिक कमी और ब्लैकमार्केट को जन्म दिया है।
3. बहुआयामी गरीबी और मानवीय संकट
2024 में UCAB के “एनकोवी सर्वेक्षण” के अनुसार, 70% परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रहे हैं।
खाद्य और दवा की उपलब्धता गंभीर रूप से प्रभावित है—
- खाद्य असुरक्षा: 63% परिवारों ने भोजन कम किया या छोड़ना पड़ा।
- स्वास्थ्य: शिशु मृत्यु दर बढ़कर 24.2 प्रति 1,000 जीवित जन्म हो गई है (UNICEF, 2024)।
- शिक्षा: शिक्षकों की हड़तालों और संसाधन-संकट के कारण माध्यमिक शिक्षा में नामांकन 40% तक गिरा है।
अब गरीबी केवल झुग्गी बस्तियों तक सीमित नहीं; मध्यम वर्ग के नागरिक भी भोजन के लिए सामुदायिक किचनों पर निर्भर हैं।
यह विडंबना है कि “चाविज़्मो” (Hugo Chávez की विरासत) के गढ़ों में आज सबसे अधिक अभाव और बेरोजगारी दर्ज की जा रही है।
4. सरकारी उत्पीड़न और लोकतांत्रिक पतन
आर्थिक असफलता के साथ-साथ मादुरो शासन ने राजनीतिक असहमति को कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
फोरो पेनल (2025) की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2025 तक 2,014 राजनीतिक कैदी बंद थे, जिनमें से 68% मामलों में यातना के प्रमाण मिले हैं।
2024 के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दल की स्पष्ट जीत के बावजूद सरकार ने विपरीत परिणाम घोषित कर दिए।
इंटरनेट ब्लैकआउट, पत्रकारों की गिरफ्तारी और विपक्षी नेताओं की अयोग्यता इस बात के प्रतीक हैं कि शासन अब “लोकतंत्र की औपचारिकता” भी नहीं निभा रहा।
5. बाहरी खतरे और जनता की धारणा
अमेरिका द्वारा संभावित सैन्य हस्तक्षेप की चर्चाएँ मीडिया में भले ही छाई रहती हों, परंतु आम वेनेज़ुएलावासी के लिए यह चिंता “दूर की बात” है।
वॉशिंगटन पोस्ट (अक्टूबर 2025) के साक्षात्कारों में अधिकांश नागरिकों ने कहा—
“अगर अमेरिका हमला करे, तो हम कुछ नहीं कर सकते; पर अभी तो हमारे पास रोटी नहीं है।”
यह कथन वेनेज़ुएला की जन-मानसिकता को उजागर करता है—भूख और दवा की कमी जैसे तात्कालिक संकट किसी भी भू-राजनीतिक भय से कहीं अधिक वास्तविक हैं।
6. नीतिगत निहितार्थ और आगे का रास्ता
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मैक्रोआर्थिक स्थिरीकरण:
IMF समर्थित वित्तीय अनुशासन और विनिमय नियंत्रणों की क्रमिक समाप्ति से अगले दो वर्षों में महंगाई को 50% से नीचे लाया जा सकता है (Hausmann & Mussi, 2024)। -
मानवीय गलियारे:
संयुक्त राष्ट्र, लैटिन अमेरिकी साझेदारों और NGO नेटवर्क के सहयोग से “तटस्थ मानवीय गलियारे” स्थापित किए जाने चाहिए ताकि भोजन और दवा की आपूर्ति राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना हो सके। -
लोकतांत्रिक पुनर्स्थापना:
अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सैन्य बयानबाजी से बचते हुए सत्यापन योग्य चुनावी सुधार, राजनीतिक कैदियों की रिहाई और नागरिक स्वतंत्रता की बहाली पर जोर देना चाहिए।
बलपूर्वक हस्तक्षेप केवल शासन को “विदेशी खतरे” का बहाना देगा और राष्ट्रवाद के आवरण में दमन को बढ़ाएगा।
7. निष्कर्ष
वेनेज़ुएला का संकट बाहर से नहीं, भीतर से उपजा है—राजकोषीय अराजकता, संसाधन-निर्भरता और लोकतांत्रिक विफलता का संगम।
आज वेनेज़ुएला में भय बाहरी आक्रमण का नहीं, बल्कि भीतर से क्षीण हो रही उम्मीद का है।
स्थायी पुनर्बहाली तभी संभव होगी जब मुद्रा की विश्वसनीयता, सामाजिक सुरक्षा और राजनीतिक स्वतंत्रता को समान रूप से पुनर्जीवित किया जाए।
जब तक शासन अपनी नीतिगत विफलताओं को स्वीकार नहीं करता और लोकतांत्रिक पुनर्निर्माण की राह नहीं अपनाता, तब तक कोई भी बाहरी सहायता केवल अस्थायी राहत बनकर रह जाएगी।
संदर्भ स्रोत
- Corales, J. (2025). Authoritarian Entrenchment in Venezuela. Journal of Democracy, 36(1), 45–62.
- ENCOVI (2024). National Living Conditions Survey 2024. Universidad Católica Andrés Bello.
- Hausmann, R. & Mussi, F. (2024). Hyperinflation and Stabilization in Venezuela. NBER Working Paper No. 31987.
- International Monetary Fund (2025). World Economic Outlook Database, October 2025.
- UNHCR (2025). Venezuela Situation Update.
- UNICEF (2024). State of the World’s Children: Venezuela Supplement.
- Foro Penal (2025). Report on Repression in Venezuela.
- OPEC (2025). Monthly Oil Market Report, October.
- The Washington Post (2025). “Venezuelans Focus on Survival Amid Economic Collapse.”
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