Global Child Deprivation Crisis: Key Insights from UNICEF’s State of the World’s Children 2025 Report
वैश्विक बाल-वंचना का संकट: UNICEF की ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2025’ रिपोर्ट का विश्लेषण
भूमिका
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) द्वारा विश्व बाल दिवस (20 नवंबर 2025) के अवसर पर जारी की गई रिपोर्ट “The State of the World’s Children 2025: Ending Child Poverty – Our Shared Imperative” वैश्विक बाल-वंचना पर गंभीर चिंताएँ व्यक्त करती है। रिपोर्ट के अनुसार, निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में हर पाँच में से एक से अधिक बच्चा, अर्थात् लगभग 400 मिलियन बच्चे, स्वास्थ्य, विकास और समग्र कल्याण के लिए आवश्यक कम से कम दो बुनियादी कारकों से वंचित हैं। यह आंकड़ा न केवल गरीबी की बहु-आयामी प्रकृति को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मौजूदा वैश्विक विकास ढांचे में बच्चों के अधिकार किस तरह संकटग्रस्त बने हुए हैं।
बहु-आयामी बाल-वंचना की प्रकृति
रिपोर्ट का प्रमुख योगदान यह है कि यह बाल गरीबी को केवल आय आधारित मानकों से नहीं, बल्कि बहु-आयामी वंचनाओं के समुच्चय के रूप में समझती है। इसमें निम्नलिखित कारक शामिल हैं—
- उचित पोषण,
- स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता,
- शिक्षा,
- सुरक्षा और संरक्षण,
- सुरक्षित आवास एवं स्वच्छता,
- सामाजिक एवं भावनात्मक समर्थन।
जब कोई बच्चा इन कारकों में से दो या अधिक से वंचित हो जाता है, तो उसकी समग्र वृद्धि और दीर्घकालिक विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं। UNICEF के अनुसार, यह वंचना न केवल वर्तमान में बच्चे के जीवन की गुणवत्ता को सीमित करती है, बल्कि उसके भविष्य की आर्थिक-सामाजिक संभावनाओं को भी कमजोर करती है।
आर्थिक असमानता और संरचनात्मक बाधाएँ
निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में संसाधनों की असमान उपलब्धता, महामारी के बाद आर्थिक पुनरुत्थान में विलंब, संघर्ष और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों ने बाल-वंचना को और तीव्र बनाया है।
- आर्थिक अस्थिरता परिवारों की आय में अनिश्चितता बढ़ाती है।
- जलवायु परिवर्तन बाढ़, सूखा और खाद्य असुरक्षा को बढ़ाकर बच्चों की भलाई को प्रभावित करता है।
- संरचनात्मक असमानताएँ—जैसे लैंगिक भेदभाव, ग्रामीण-शहरी विभाजन—बाल-अधिकारों के कार्यान्वयन को और जटिल करते हैं।
इन सभी परिस्थितियों में सबसे अधिक प्रभावित वे परिवार होते हैं जो पहले से ही गरीबी या सामाजिक बहिष्करण का सामना कर रहे होते हैं।
बाल-अधिकारों पर प्रभाव
UNICEF की रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि बच्चों की आवश्यक ज़रूरतों और अधिकारों की उपेक्षा, संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार संधि (UNCRC) में निहित कई मूलभूत सिद्धांतों के उल्लंघन के बराबर है।
- वंचना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
- सीखने की क्षमताएँ कमजोर होती हैं।
- भविष्य की उत्पादकता में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- सामाजिक गतिशीलता बाधित होती है।
इस प्रकार, बाल-वंचना केवल सामाजिक विकास का मुद्दा नहीं है, यह व्यापक मानवाधिकार प्रश्न भी है।
नीति-निहितार्थ
UNICEF का तर्क है कि बाल गरीबी उन्मूलन “वैश्विक साझी जिम्मेदारी (shared imperative)” है। इसके लिए निम्नलिखित नीतिगत हस्तक्षेप विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं—
1. सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का विस्तार, जैसे—नकद ट्रांसफर, मातृ-शिशु भत्ता, बाल समग्र पोषण योजनाएँ।
2. सस्ती और गुणवत्ता-युक्त शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ सार्वभौमिक बनाना।
3. जलवायु-लचीली नीतियों द्वारा बच्चों को चरम मौसम घटनाओं से सुरक्षित करना।
4. लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करना, ताकि बालिकाओं को समान अवसर मिल सकें।
5. बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण विकसित करना, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, जल एवं स्वच्छता को संयुक्त रूप से संबोधित किया जाए।
निष्कर्ष
UNICEF की 2025 रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि वैश्विक विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बच्चों की समस्याओं को केंद्र में रखना अनिवार्य है। यदि लगभग 400 मिलियन बच्चे बहु-आयामी वंचना का सामना कर रहे हैं, तो यह न केवल मानव पूंजी का नुकसान है, बल्कि वैश्विक असमानता को गहराने वाली स्थिति भी है। अतः बाल-वंचना को समाप्त करना केवल मानवीय दायित्व नहीं, बल्कि सतत विकास और वैश्विक स्थिरता के लिए अनिवार्य कदम है।
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