Skip to main content

MENU👈

Show more

Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

India’s Global Trade 2025: Record Exports, Key Challenges and Emerging Opportunities

भारत का वैश्विक व्यापार: 2025 की नई ऊँचाइयाँ, चुनौतियाँ और अवसर

भारत जो कभी “सोने की चिड़िया” कहा जाता था,आज वैश्विक व्यापार का एक बड़ा खिलाड़ी बन चुका है। 2025 में जब पूरी दुनिया सप्लाई चेन की उथल-पुथल और प्रोटेक्शनिज़्म की चुनौतियों से जूझ रही है, भारत ने अपने निर्यात को 6% बढ़ाकर रिकॉर्ड 824.9 बिलियन डॉलर तक पहुँचा दिया है। यह सिर्फ आंकड़ों की कहानी नहीं है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक साझेदारी की एक जीवंत तस्वीर है।

1. वर्तमान स्थिति – रिकॉर्ड निर्यात, पर घाटे की छाया

वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत का कुल निर्यात (माल + सेवाएँ) 824.9 बिलियन डॉलर रहा। इसमें सेवाओं ने सबसे तेज़ उछाल मारी – 387.50 बिलियन डॉलर – जबकि माल निर्यात लगभग स्थिर रहा।
आयात 915.19 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया, जिससे 94.26 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा सामने आया।
इस दौरान जीडीपी वृद्धि 7.4% रही, जो भारत की मजबूती को दर्शाती है। लेकिन मासिक आंकड़े बताते हैं कि वैश्विक मांग के कारण निर्यात में उतार-चढ़ाव बने हुए हैं।

2. भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदार

भारत के व्यापार का आधा हिस्सा उसके 5 बड़े साझेदार देशों के साथ होता है।

  • अमेरिका लगातार चौथे साल सबसे बड़ा साझेदार बना, 131.84 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ।
  • चीन दूसरे स्थान पर है, लेकिन यहाँ भारत को 99.2 बिलियन डॉलर का घाटा हो रहा है।
  • यूएई, नीदरलैंड्स और सऊदी अरब क्रमशः तीसरे, चौथे और पाँचवें स्थान पर हैं।

ये आंकड़े बताते हैं कि भारत दुनिया की सप्लाई चेन में कितना अहम बन चुका है, पर चीन के साथ बढ़ता असंतुलन चिंता का कारण है।

3. निर्यात और आयात – विविधता ही ताकत

भारत के निर्यात की खासियत उसकी विविधता है।

  • फार्मा और रसायन: 50 बिलियन डॉलर से अधिक।
  • रत्न-आभूषण: 41.69 बिलियन डॉलर।
  • आईटी और सेवाएँ: 387 बिलियन डॉलर, जो डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
  • कृषि और टेक्सटाइल: 20 बिलियन डॉलर से अधिक।

आयात में कच्चा तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और सोना शीर्ष पर हैं। इससे भारत की ऊर्जा और तकनीक पर निर्भरता झलकती है, लेकिन सरकार की PLI (Production Linked Incentive) स्कीम इसे बदलने की दिशा में कदम है।

4. नीतियाँ और रुझान – आत्मनिर्भर भारत से वैश्विक साझेदारी तक

भारत ने 2025 में वैश्विक व्यापार को नई दिशा देने के लिए कई कदम उठाए:

  • फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTA) – यूएई, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ।
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान – निर्यात को 20% बढ़ावा।
  • फोकस प्रोडक्ट स्कीम – 400+ उत्पादों को प्राथमिकता।

सबसे बड़ी बात – सेवाओं का उभार। रिमोट वर्क और डिजिटल ट्रेड ने भारत को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाई है।

5. चुनौतियाँ – घाटा और वैश्विक अनिश्चितताएँ

भारत के सामने कई चुनौतियाँ भी हैं:

  • चीन के साथ बढ़ता व्यापार घाटा।
  • अमेरिकी चुनावों जैसी वैश्विक राजनीतिक अनिश्चितताएँ।
  • जलवायु परिवर्तन और प्रतिस्पर्धा (वियतनाम, इंडोनेशिया) से बढ़ती कठिनाई।
  • मुद्रा अवमूल्यन का दबाव।

UNCTAD के अनुसार 2025 में वैश्विक व्यापार वृद्धि मात्र 2.5% रहने की उम्मीद है, जो भारत के लिए दबाव पैदा कर सकती है।

6. अवसर – $1 ट्रिलियन का लक्ष्य

मैकिंसे की रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19, चीन-अमेरिका तनाव, और सप्लाई चेन बाधाओं के बाद कंपनियाँ अब केवल चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहतीं। वे चीन के साथ एक अन्य विकल्प (China+1) की तलाश में हैं। अतः यदि ये कम्पनियाँ चीन के साथ अन्य विकल्प की तलाश करती हैं तो इसका सबसे बड़ा लाभ भारत को हो सकता है। EV बैटरी, सोलर सेल, सेमीकंडक्टर जैसे हाई-टेक सेक्टर में निवेश तेजी से बढ़ रहा है।

क्वाड और इंडो-पैसिफिक फ्रेमवर्क जैसे मंच भारत को एशिया का ट्रेड हब बना सकते हैं।
अगर नीतियाँ स्थिर और सशक्त रहीं तो 2030 तक भारत के निर्यात $1 ट्रिलियन तक पहुँच सकते हैं।

7. निष्कर्ष – उभरता हुआ वैश्विक ट्रेड जायंट

भारत का वैश्विक व्यापार 2025 में सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय दृष्टि का प्रतीक है।
जहाँ एक ओर रिकॉर्ड निर्यात और सेवाओं की ताकत है, वहीं घाटे और वैश्विक अनिश्चितताएँ भी चुनौती बनी हुई हैं।
आत्मनिर्भर भारत, FTA और हाई-टेक निवेश जैसे कदम भारत को अगले दशक में $2 ट्रिलियन निर्यात की दिशा में ले जा सकते हैं।
भारत अब वह देश बन चुका है जो चुनौतियों को अवसरों में बदलना जानता है – और यही उसे वैश्विक पटल पर अलग पहचान दिलाता है।


प्रमुख स्रोत

  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार)
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) – विदेशी मुद्रा भंडार और व्यापार आंकड़े
  • UNCTAD (United Nations Conference on Trade and Development) – वैश्विक व्यापार रिपोर्ट 2025
  • OECD और मैकिंसे रिपोर्ट – व्यापार वृद्धि एवं अवसर
  • समाचार एजेंसियाँ और आर्थिक विश्लेषण पोर्टल्स (सितंबर 2025 तक के आंकड़े)


🔹 संभावित UPSC GS प्रश्न

GS Paper 2 – अंतर्राष्ट्रीय संबंध एवं नीतियाँ

  1. भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों की बदलती संरचना पर चर्चा कीजिए। यह भारत की विदेश नीति और कूटनीतिक संबंधों को कैसे प्रभावित करता है?
  2. भारत के व्यापार घाटे में चीन की भूमिका का विश्लेषण कीजिए। इसके निवारण के लिए कौन-सी नीतियाँ अपनाई जा सकती हैं?
  3. वैश्विक प्रोटेक्शनिज़्म और मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) के संदर्भ में भारत की व्यापार नीति का मूल्यांकन कीजिए।

GS Paper 3 – अर्थव्यवस्था

  1. भारत के वैश्विक व्यापार में सेवाओं के निर्यात की भूमिका पर चर्चा कीजिए। यह माल निर्यात की तुलना में क्यों अधिक स्थिर है?
  2. ‘आत्मनिर्भर भारत’ और PLI स्कीम ने भारत के निर्यात व आयात ढाँचे को किस प्रकार प्रभावित किया है?
  3. 2025 में भारत के निर्यात व आयात पैटर्न के प्रमुख रुझानों पर टिप्पणी कीजिए।
  4. EV बैटरी, सोलर सेल और सेमीकंडक्टर जैसे हाई-टेक क्षेत्रों में निवेश से भारत को क्या लाभ हो सकता है?
  5. भारत के निर्यात में स्थायित्व के लिए किन संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है?

निबंध (Essay)

  1. “भारत का वैश्विक व्यापार: अवसर और चुनौतियाँ” – इस विषय पर 250 शब्दों का संक्षिप्त निबंध लिखिए।
  2. “चीन से भारत की ओर उत्पादन का स्थानांतरण – क्या भारत के लिए अवसर या चुनौती?” पर चर्चा कीजिए।

🔹 संक्षिप्त बिंदुवार नोट्स

1. मुख्य आँकड़े (2024-25)

  • कुल निर्यात (माल + सेवाएँ): $824.9 बिलियन (6% वृद्धि)।
  • सेवाओं का निर्यात: $387.5 बिलियन (12.45% वृद्धि)।
  • आयात: $915.19 बिलियन
  • व्यापार घाटा: $94.26 बिलियन
  • जीडीपी वृद्धि: 7.4%

2. प्रमुख व्यापारिक साझेदार

  • अमेरिका – चौथे साल शीर्ष पर (131.84 बिलियन डॉलर व्यापार)।
  • चीन – 99.2 बिलियन डॉलर घाटा।
  • यूएई, नीदरलैंड्स, सऊदी अरब – अगले स्थान।

3. प्रमुख निर्यात

  • फार्मा और रसायन।
  • रत्न-आभूषण।
  • आईटी व डिजिटल सेवाएँ।
  • कृषि व वस्त्र उत्पाद।

4. प्रमुख आयात

  • कच्चा तेल।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स।
  • सोना।

5. प्रमुख रुझान और नीतियाँ

  • FTA: यूएई, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन।
  • PLI स्कीम व आत्मनिर्भर भारत अभियान।
  • सेवाओं और डिजिटल ट्रेड में तेजी।

6. चुनौतियाँ

  • चीन के साथ असंतुलित व्यापार।
  • वैश्विक राजनीतिक अनिश्चितताएँ।
  • जलवायु परिवर्तन और प्रतिस्पर्धा।
  • मुद्रा अवमूल्यन।

7. अवसर

  • चीन +1 रणनीति से लाभ।
  • EV बैटरी, सोलर सेल, सेमीकंडक्टर में निवेश।
  • क्वाड और इंडो-पैसिफिक फ्रेमवर्क से सहयोग।
  • 2030 तक $1 ट्रिलियन निर्यात का लक्ष्य।

8. निष्कर्ष

भारत एक उभरता हुआ वैश्विक ट्रेड जायंट है। चुनौतियों के बावजूद, सही नीतियों और साझेदारियों से 2047 तक “विकसित भारत” का सपना साकार हो सकता है।




Comments

Advertisement

POPULAR POSTS