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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

India-Russia Relations 2025: How Putin’s New Delhi Visit Reshapes Strategic and Geopolitical Dynamics

भारत-रूस संबंधों का नया अध्याय: पुतिन की 2025 भारत यात्रा और बदलती वैश्विक भू-राजनीति का संकेत

परिचय

दिसंबर 2025 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा ने वैश्विक कूटनीति में अनेक परतों वाले संदेश दिए। यह यात्रा न केवल यूक्रेन युद्ध (फरवरी 2022) के बाद उनकी पहली भारतीय यात्रा थी, बल्कि भारत-रूस संबंधों को एक नए रणनीतिक चरण में ले जाने के लिहाज़ से भी अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुई। 16 समझौतों पर हस्ताक्षर, भविष्य के लिए संयुक्त आर्थिक रोडमैप, और उभरते तकनीकी—भू-राजनीतिक आयामों में सहयोग ने स्पष्ट कर दिया कि दोनों देश बदलते वैश्विक परिदृश्य में एक-दूसरे को अपरिहार्य साझेदार के रूप में देखते हैं।


1. आर्थिक सहयोग का उभरता क्षितिज

1.1 व्यापार में नई वृद्धि और संतुलन की ओर संकेत

पश्चिमी प्रतिबंधों एवं वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत-रूस व्यापारिक संबंध अभूतपूर्व गति से विस्तारित हुए हैं। पिछले चार वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार पाँच गुना बढ़कर 65 अरब डॉलर के स्तर को पार कर चुका है।

यह वृद्धि ऊर्जा व्यापार (विशेष रूप से रियायती रूसी तेल) के कारण अवश्य है, पर 2025 के समझौते स्पष्ट करते हैं कि दोनों देश इस संबंध को ऊर्जा-निर्भरता से निकलकर विविधतापूर्ण आर्थिक साझेदारी में बदलना चाहते हैं।

1.2 नए सहयोग क्षेत्र: तकनीक, लॉजिस्टिक्स, स्वास्थ्य

यात्रा के दौरान जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, वे सहयोग के नए आयाम खोलते हैं:

  • डिजिटल भुगतान और फिनटेक सहयोग
  • स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी और फार्मा सप्लाई-चेन
  • मरीन लॉजिस्टिक्स और समुद्री सुरक्षा सहयोग
  • श्रम गतिशीलता समझौता – भारतीय पेशेवरों के लिए अवसर
  • रूसी नागरिकों के लिए 30 दिन का मुफ्त पर्यटक वीजा – सांस्कृतिक संपर्कों में वृद्धि

इसके साथ ही 2030 तक का संयुक्त आर्थिक कार्यक्रम बताता है कि भारत और रूस दीर्घकालिक आपूर्ति-श्रृंखलाओं में एक-दूसरे के लिए स्थिर साझेदार बनने को तैयार हैं।


2. भू-राजनीतिक संदर्भ: एशिया में बदलता शक्ति-संतुलन

2.1 चीन का दृष्टिकोण — लाभ और संतुलन

वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ श्याम सरन द्वारा किया गया विश्लेषण अत्यंत महत्वपूर्ण है। चीन इस भारत-रूस निकटता में संभावित लाभ देखता है:

  1. भारत पर अमेरिकी दबाव बढ़ने की संभावना (Trump 2.0) में रूस का सहयोग भारत को वाशिंगटन के मुकाबले अधिक संतुलन देता है — जिसका चीन स्वागत कर सकता है।
  2. रूस की नो-लिमिट्स पार्टनरशिप पहले से ही चीन-केन्द्रित है, जिसे भारत-रूस संबंध चुनौती नहीं देते।

चीन के लिए यह स्थिति "सुरक्षित" है, क्योंकि भारत रूस के माध्यम से चीन के और करीब नहीं आ रहा, न ही रूस भारत के माध्यम से चीन से दूर हो रहा है।

2.2 रूस की सीमाएँ: चीन पर बढ़ती निर्भरता

भारत को यह समझना होगा कि:

  • रूस की अर्थव्यवस्था
  • उसकी ऊर्जा निर्यात व्यवस्था
  • उसकी सैन्य आपूर्ति प्रणाली

— तीनों चीन पर अत्यधिक निर्भर हो चुकी हैं।
ऐसे में भारत यह कल्पना नहीं कर सकता कि मॉस्को बीजिंग के खिलाफ खड़ा होगा, भले ही नई दिल्ली की रणनीतिक चिंताएँ चीन को लेकर बढ़ती जा रही हों।

यह यथार्थ भारत की रूस नीति को हमेशा व्यावहारिकता के दायरे में रखता है।


3. भारत की बहु-संरेखण नीति: 21वीं सदी की विदेश नीति का मूल आधार

3.1 रणनीतिक स्वायत्तता की दृढ़ पुनर्पुष्टि

पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद भारत का रुख स्पष्ट रहा:

  • रियायती रूसी तेल की खरीद जारी
  • रक्षा सहयोग में निरंतरता
  • न्यूक्लियर ऊर्जा, अंतरिक्ष कार्यक्रम, साइबर-टेक्नोलॉजी में तालमेल
  • EAEU के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर तेजी से आगे बढ़ने की प्रतिबद्धता

भारत ने दिखाया है कि उसकी विदेश नीति व्यक्तित्व-निर्भर या दबाव-निर्भर नहीं, बल्कि हित-निर्भर (interest-based foreign policy) है।

3.2 अमेरिका और यूरोप के साथ संतुलन

भारत जानता है कि:

  • सुरक्षा तकनीक
  • उच्च-स्तरीय रक्षा प्लेटफॉर्म
  • उभरती प्रौद्योगिकियाँ
  • वैश्विक वित्तीय व्यवस्था

— इन क्षेत्रों में सहयोग पश्चिम के बिना संभव नहीं है।
इसलिए भारत का बहु-संरेखण मॉडल उसे रूस–अमेरिका–यूरोप–जापान–मध्य-पूर्व के बीच संतुलन बनाए रखने की क्षमता देता है।


4. पुतिन की यात्रा भारत-रूस संबंधों के नए युग का प्रारंभ क्यों है?

  1. द्विपक्षीय संबंध रक्षा-निर्भरता से आगे बढ़कर आर्थिक-प्रौद्योगिक साझेदारी में बदल रहे हैं।
  2. यह संबंध किसी वैचारिक गठबंधन पर आधारित नहीं, बल्कि परस्पर हितों की यथार्थवादी समझ पर टिका है।
  3. रूस भारत को "पावर बैलेंसर" के रूप में देखता है, जबकि भारत रूस को ऊर्जा सुरक्षा + रणनीतिक लचीलापन देने वाले साझेदार के रूप में देखता है।
  4. भारत इस साझेदारी का उपयोग चीन के खिलाफ प्रत्यक्ष मोर्चेबंदी के बजाय, बहुध्रुवीय संतुलन बनाए रखने के लिए करता है।

निष्कर्ष: एक परिपक्व, व्यवहारिक और भविष्य-उन्मुख साझेदारी

पुतिन की 2025 यात्रा यह स्पष्ट संदेश देती है कि भारत-रूस संबंध अब एक नए रूपांतरण के दौर में हैं। यह साझेदारी:

  • न तो सोवियत युग की भावनात्मक विरासत है,
  • न ही यह किसी प्रतिस्पर्धी धुरी (Axis) का हिस्सा है,
  • और न ही यह पश्चिम-विरोधी गठबंधन का विकल्प है।

बल्कि यह एक लचीली, बहु-स्तरीय, हित-आधारित और वैश्विक दक्षिण केंद्रित साझेदारी है, जो आने वाले दशक में ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, आपूर्ति-श्रृंखलाओं की स्थिरता, तकनीकी संप्रभुता और वैश्विक शासन सुधार जैसे विषयों को केंद्र में रखकर आगे बढ़ेगी।

भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वह:

  • रूस के साथ संबंधों को मज़बूत रखे
  • चीन के प्रति अपनी सुरक्षा चिंताओं को स्पष्ट बनाए रखे
  • और साथ ही अमेरिका व यूरोप से दूरी भी न बढ़ने दे

यही भारत की बहु-संरेखण विदेश नीति की वास्तविक परीक्षा भी होगी — और भारतीय रणनीतिक कूटनीति की परिपक्वता का द्योतक भी।


With Indian Express Inputs 

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