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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Sharm El-Sheikh Gaza Peace Summit 2025: India’s Role and Strategic Implications

शार्म अल-शेख गाजा शांति शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी: वैश्विक कूटनीति में अवसर और चुनौतियाँ

परिचय

मध्य पूर्व के अस्थिर भू-राजनीतिक परिदृश्य में 13 अक्टूबर 2025 को शार्म अल-शेख में आयोजित होने वाला गाजा शांति शिखर सम्मेलन इजरायल-हमास संघर्ष को समाप्त करने के प्रयासों में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। यह सम्मेलन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी की संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित होगा और इसमें 20 से अधिक देशों के नेता शामिल होंगे। उद्देश्य युद्धविराम, बंधक आदान-प्रदान और गाजा में पुनर्निर्माण से जुड़े प्रारंभिक चरणों पर सहमति बनाना है।

हालांकि हमास ने शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया है, भारत की संभावित भागीदारी क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक कूटनीति में उसके बढ़ते कद को प्रदर्शित करेगी।


भारत की संभावित भागीदारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंतिम समय में निमंत्रण प्राप्त हुआ है। यद्यपि मोदी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं होंगे, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह भारत का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। इससे भारत सक्रिय रूप से भाग लेने के साथ-साथ घरेलू प्राथमिकताओं को भी संतुलित रख सकेगा।

भारत की भागीदारी:

  • युद्धविराम के मानवीय पहलुओं (बंधक रिहाई, नागरिक सुरक्षा) पर समर्थन।
  • गाजा में समावेशी शासन और पुनर्निर्माण में तकनीकी सहायता की पेशकश।
  • क्षेत्रीय और वैश्विक नेताओं (UNSC, G20 देशों) के साथ संवाद।

मध्य पूर्व में भारत के हित

  1. ऊर्जा सुरक्षा: भारत के 80% से अधिक कच्चे तेल का आयात GCC देशों से होता है।
  2. प्रवासियों का संरक्षण: लगभग 90 लाख भारतीय इस क्षेत्र में कार्यरत हैं।
  3. संतुलित कूटनीति: भारत ने इजरायल-फलस्तीन दोनों के साथ व्यावहारिक संबंध बनाए रखे हैं—इजरायल के साथ रक्षा और तकनीकी सहयोग, फलस्तीन को विकास सहायता।

शिखर सम्मेलन भारत को दोहरी रणनीति लागू करने का अवसर देगा—सुरक्षा और ऊर्जा हितों की रक्षा करते हुए मध्यस्थता की भूमिका निभाना।


कूटनीतिक अवसर और लाभ

  • वैश्विक मध्यस्थता की भूमिका: भारत की भागीदारी उसे “शांति निर्माता राष्ट्र” के रूप में प्रस्तुत कर सकती है।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रभाव: भारत को UNSC और G20 जैसे मंचों पर समर्थन मजबूत करने का अवसर।
  • आतंकवाद विरोधी सहयोग: क्षेत्रीय उग्रवादी समूहों के प्रति साझा चिंता के आधार पर दक्षिण एशियाई सहयोग।
  • समावेशी विकास: गाजा में पुनर्निर्माण और तकनीकी सहायता के माध्यम से भारत अपनी सॉफ्ट पावर दिखा सकता है।

चुनौतियाँ

  • हमास का बहिष्कार सम्मेलन की सफलता पर असर डाल सकता है।
  • इजरायल और अन्य क्षेत्रीय नेताओं की अनिश्चित उपस्थिति से परिणाम जटिल हो सकते हैं।
  • अमेरिका-केंद्रित ढांचा भारत के संतुलनकारी दृष्टिकोण के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • घरेलू आलोचना और विपक्ष की प्रतिक्रिया भारत की नीति को प्रभावित कर सकती है।

निष्कर्ष

शार्म अल-शेख शिखर सम्मेलन भारत के लिए मध्यस्थता और संतुलित कूटनीति का परीक्षण होगा। यह किसी बड़े “गेम-चेंजर” की अपेक्षा नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक भूमिका और जिम्मेदार शक्ति के रूप में उसकी बढ़ती छवि को दर्शाने का अवसर है। सम्मेलन के परिणाम भारत की रणनीतिक स्वायत्तता, मध्य पूर्व में स्थिरता और वैश्विक मंचों पर प्रभाव को परखने का आधार बनेंगे।


With Hindustan Times Inputs 

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