पीएम-कुसुम योजना का वैश्विक प्रदर्शन - एक सकारात्मक कदम
केंद्र सरकार द्वारा पीएम-कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान) योजना को अफ्रीकी देशों और द्वीपीय राष्ट्रों में प्रदर्शित करने की घोषणा एक स्वागत योग्य कदम है। केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने हाल ही में इसकी जानकारी दी, जो भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ते नेतृत्व और वैश्विक सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल को दर्शाता है।
पीएम-कुसुम योजना, जो 2019 में शुरू की गई थी, का उद्देश्य भारतीय किसानों को सौर ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना है। इस योजना के तहत, किसानों को सौर पंप स्थापित करने, सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने और बंजर भूमि पर सौर परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देकर पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देता है। भारत में इस योजना की सफलता ने इसे वैश्विक मंच पर एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया है।
अफ्रीकी देशों और द्वीपीय राष्ट्रों में इस योजना को प्रदर्शित करने का निर्णय कई मायनों में महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, ये क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध हैं, लेकिन ऊर्जा पहुंच और बुनियादी ढांचे की कमी से जूझ रहे हैं। सौर ऊर्जा आधारित यह योजना इन देशों के लिए किफायती और टिकाऊ ऊर्जा समाधान प्रदान कर सकती है। दूसरा, यह भारत की दक्षिण-दक्षिण सहयोग की नीति को मजबूत करता है, जिसके तहत भारत विकासशील देशों के साथ अपने अनुभव और तकनीकी विशेषज्ञता साझा करता है।
इसके अलावा, यह पहल जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। अफ्रीकी और द्वीपीय राष्ट्र, जो जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से सबसे अधिक प्रभावित हैं, इस योजना से लाभान्वित हो सकते हैं। सौर ऊर्जा का उपयोग न केवल इन देशों में ऊर्जा की कमी को पूरा करेगा, बल्कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करके पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा देगा।
हालांकि, इस योजना को वैश्विक स्तर पर लागू करने में कुछ चुनौतियां भी हैं। विभिन्न देशों की भौगोलिक, आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियां भारत से भिन्न हैं। इसलिए, योजना को स्थानीय जरूरतों के अनुरूप ढालना आवश्यक होगा। इसके लिए तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण और वित्तीय सहयोग की जरूरत पड़ेगी। भारत को इन देशों के साथ मिलकर एक ऐसी रणनीति बनानी होगी जो लागत प्रभावी और दीर्घकालिक हो।
कुल मिलाकर, पीएम-कुसुम योजना का वैश्विक प्रदर्शन भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्रांति को विश्व पटल पर ले जाने का एक साहसिक कदम है। यह न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करता है, बल्कि वैश्विक समुदाय के साथ सहयोग और साझेदारी को भी मजबूत करता है। सरकार को इस दिशा में तेजी से काम करना चाहिए ताकि यह पहल न केवल प्रेरणा का स्रोत बने, बल्कि वास्तविक परिणाम भी दे सके।
With The Hindu Inputs
पीएम-कुसुम योजना और इसके अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन से संबंधित संभावित यूपीएससी प्रश्न निम्नलिखित हो सकते हैं। ये प्रश्न प्रारंभिक परीक्षा (वस्तुनिष्ठ) और मुख्य परीक्षा (वर्णनात्मक) दोनों के लिए तैयार किए गए हैं:
प्रारंभिक परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न (वस्तुनिष्ठ):
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प्रश्न: पीएम-कुसुम योजना का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
a) शहरी क्षेत्रों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना
b) किसानों को सौर ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना
c) औद्योगिक क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना
d) परमाणु ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करना
उत्तर: b) किसानों को सौर ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना -
प्रश्न: हाल ही में समाचारों में रही पीएम-कुसुम योजना को किन देशों में प्रदर्शित करने की योजना है?
a) यूरोपीय देश
b) अफ्रीकी देश और द्वीपीय राष्ट्र
c) दक्षिण अमेरिकी देश
d) मध्य पूर्वी देश
उत्तर: b) अफ्रीकी देश और द्वीपीय राष्ट्र -
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा मंत्रालय पीएम-कुसुम योजना को लागू करने के लिए जिम्मेदार है?
a) कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
b) नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
c) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
d) ग्रामीण विकास मंत्रालय
उत्तर: b) नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न (वर्णनात्मक):
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प्रश्न: पीएम-कुसुम योजना के उद्देश्यों और विशेषताओं की चर्चा करें। यह योजना भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने में कैसे योगदान दे रही है?
संभावित उत्तर संरचना:- परिचय: पीएम-कुसुम योजना का संक्षिप्त अवलोकन और इसका महत्व।
- उद्देश्य: किसानों को सौर ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना, ग्रामीण विद्युतीकरण, पर्यावरण संरक्षण।
- विशेषताएं: सौर पंप, सौर संयंत्र, बंजर भूमि पर सौर परियोजनाएं।
- प्रभाव: किसानों की आय में वृद्धि, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में कमी, स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा।
- निष्कर्ष: योजना की सफलता और भविष्य की संभावनाएं।
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प्रश्न: भारत द्वारा पीएम-कुसुम योजना को अफ्रीकी देशों और द्वीपीय राष्ट्रों में प्रदर्शित करने की पहल वैश्विक सहयोग और जलवायु परिवर्तन से निपटने में कैसे योगदान दे सकती है? इसकी संभावित चुनौतियों का विश्लेषण करें।
संभावित उत्तर संरचना:- परिचय: भारत का नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में नेतृत्व और दक्षिण-दक्षिण सहयोग।
- योगदान: सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा समाधान, जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद, वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा।
- चुनौतियां: स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप ढालना, वित्तीय और तकनीकी बाधाएं, प्रशिक्षण की आवश्यकता।
- निष्कर्ष: भारत की भूमिका और भविष्य के लिए सुझाव।
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प्रश्न: पीएम-कुसुम योजना भारत की नवीकरणीय ऊर्जा नीतियों और जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता को कैसे दर्शाती है? इसके वैश्विक प्रदर्शन के संदर्भ में भारत की कूटनीतिक रणनीति का मूल्यांकन करें।
संभावित उत्तर संरचना:- परिचय: भारत की नवीकरणीय ऊर्जा नीतियां और वैश्विक जलवायु लक्ष्य।
- योजना का महत्व: स्वच्छ ऊर्जा, ग्रामीण विकास, और किसान सशक्तिकरण।
- वैश्विक प्रदर्शन: दक्षिण-दक्षिण सहयोग, भारत का सॉफ्ट पावर, तकनीकी नेतृत्व।
- कूटनीतिक रणनीति: वैश्विक मंचों पर भारत की स्थिति, अफ्रीका और द्वीपीय राष्ट्रों के साथ संबंध।
- निष्कर्ष: दीर्घकालिक प्रभाव और सुझाव।
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प्रश्न: नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रगति को ध्यान में रखते हुए, पीएम-कुसुम योजना के वैश्विक विस्तार से भारत को क्या आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ हो सकते हैं?
संभावित उत्तर संरचना:- परिचय: भारत का नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र और पीएम-कुसुम।
- आर्थिक लाभ: तकनीकी निर्यात, रोजगार सृजन, वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी।
- पर्यावरणीय लाभ: कार्बन उत्सर्जन में कमी, टिकाऊ विकास को बढ़ावा।
- चुनौतियां: तकनीकी स्थानांतरण, वित्तीय सहायता।
- निष्कर्ष: भारत के लिए अवसर और रणनीति।
निबंध के लिए संभावित प्रश्न:
- पीएम-कुसुम योजना: भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्रांति और वैश्विक सहयोग का एक नया अध्याय।
- नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रामीण सशक्तिकरण: पीएम-कुसुम योजना के माध्यम से भारत का योगदान।
- वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की भूमिका: पीएम-कुसुम योजना के वैश्विक प्रदर्शन के संदर्भ में।
ये प्रश्न यूपीएससी की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं, विशेष रूप से पर्यावरण, अर्थव्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय संबंध और नीति निर्माण जैसे विषयों को लक्षित करते हुए। उम्मीदवारों को इन प्रश्नों के लिए तथ्यात्मक जानकारी के साथ-साथ विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए।
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