🧠 2025 का नोबेल भौतिकी पुरस्कार: क्वांटम दुनिया की नई खोज
पुरस्कार विजेता: जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोरेट और जॉन मार्टिनिस
खोज: मैक्रोस्कोपिक क्वांटम टनलिंग और इलेक्ट्रिक सर्किट्स में ऊर्जा क्वांटीकरण
स्रोत: Reuters
🔬 क्या है मैक्रोस्कोपिक क्वांटम टनलिंग?
क्वांटम टनलिंग में छोटे-छोटे कण (जैसे इलेक्ट्रॉन) ऐसे अवरोधों को पार कर लेते हैं, जिन्हें सामान्य भौतिकी के अनुसार पार करना असंभव होता है।
इन वैज्ञानिकों ने यह दिखाया कि यह प्रभाव बड़े सिस्टमों, जैसे इलेक्ट्रिक सर्किट्स, में भी हो सकता है।
यानी, अब यह साबित हो गया कि क्वांटम प्रभाव केवल परमाणुओं तक सीमित नहीं, बल्कि बड़ी चीजों में भी देखा जा सकता है।
⚡ इलेक्ट्रिक सर्किट्स में ऊर्जा का क्वांटीकरण
उन्होंने यह भी पाया कि कुछ सर्किट्स में ऊर्जा लगातार नहीं बढ़ती या घटती, बल्कि छोटे-छोटे निश्चित स्तरों (energy levels) में होती है — जैसे परमाणुओं में।
यही सिद्धांत अब क्वांटम कंप्यूटरों में इस्तेमाल हो रहा है, जहाँ इन असतत ऊर्जा स्तरों से क्यूबिट्स (qubits) को नियंत्रित किया जाता है।
🌍 इसका महत्व क्या है?
इन खोजों ने यह साबित किया कि क्वांटम दुनिया और हमारी रोज़मर्रा की दुनिया के बीच की दूरी को पाटा जा सकता है।
इससे भविष्य में
- तेज़ और शक्तिशाली क्वांटम कंप्यूटर,
- सुरक्षित डेटा एन्क्रिप्शन (cryptography), और
- नई स्मार्ट सामग्री (materials)
जैसी तकनीकें विकसित होंगी।
👩🔬 विजेताओं के बारे में
- जॉन क्लार्क – सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रॉनिक्स और चुंबकीय सेंसर (SQUIDs) के विशेषज्ञ।
- मिशेल डेवोरेट – क्वांटम सर्किट्स के नियंत्रण में अग्रणी वैज्ञानिक।
- जॉन मार्टिनिस – गूगल के शुरुआती क्वांटम कंप्यूटर प्रोजेक्ट के प्रमुख वैज्ञानिक।
🔭 निष्कर्ष
यह नोबेल पुरस्कार यह दिखाता है कि अब क्वांटम भौतिकी केवल सूक्ष्म स्तर की नहीं रही, बल्कि इसका उपयोग बड़े पैमाने की तकनीकों में भी संभव है।
यह खोज आने वाले दशकों की टेक्नोलॉजिकल क्रांति की नींव रखती है।
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