भारत का वैश्विक वित्तीय केंद्र बनने की दिशा में ऐतिहासिक कदम
7 अक्टूबर 2025 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुजरात के गिफ्ट सिटी (GIFT City) में विदेशी मुद्रा निपटान प्रणाली (Foreign Currency Settlement System) की शुरुआत की। यह कदम भारत की वित्तीय प्रणाली को आधुनिक, आत्मनिर्भर और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
🔹 गिफ्ट सिटी क्या है?
गिफ्ट सिटी (Gujarat International Finance Tec-City) भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (International Financial Services Centre - IFSC) है, जो गुजरात के गांधीनगर और अहमदाबाद के बीच स्थित है। इसे भारत को एक वैश्विक वित्तीय हब बनाने के उद्देश्य से विकसित किया गया है — ठीक वैसे ही जैसे सिंगापुर, दुबई या लंदन वित्तीय दुनिया में प्रसिद्ध हैं।
यह शहर अत्याधुनिक तकनीक, स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर और विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) जैसी सुविधाओं से लैस है। यहां कार्यरत संस्थानों को कर रियायतें (tax incentives) और लचीले नियामक प्रावधान प्रदान किए गए हैं, ताकि विदेशी बैंकों, बीमा कंपनियों, निवेश फंडों और फिनटेक कंपनियों को भारत में आकर्षित किया जा सके।
गिफ्ट सिटी की गतिविधियों की निगरानी और नियमन के लिए केंद्र सरकार ने IFSCA (International Financial Services Centres Authority) नामक एक स्वतंत्र प्राधिकरण की स्थापना की है, जो बैंकिंग, बीमा, पूंजी बाजार और वित्तीय सेवाओं को नियंत्रित करता है।
🔹 विदेशी मुद्रा निपटान प्रणाली का महत्व
अब इस नई प्रणाली के तहत विदेशी मुद्रा लेनदेन वास्तविक समय (real-time) में निपटाए जा सकेंगे। पहले भारत को ऐसे निपटान के लिए विदेशी बैंकों और वैश्विक प्रणालियों पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे समय, लागत और जोखिम — तीनों बढ़ जाते थे।
यह प्रणाली भारत को न केवल तेज और पारदर्शी वित्तीय लेनदेन की सुविधा देगी, बल्कि उसे वैश्विक निवेशकों के भरोसेमंद केंद्र के रूप में स्थापित करेगी।
🔹 संभावित लाभ
- विदेशी निवेश में वृद्धि: त्वरित और सुरक्षित निपटान से विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। इससे भारत के पूंजी बाजारों में पूंजी प्रवाह तेज होगा।
- व्यापारिक जोखिम में कमी: निर्यातकों और आयातकों को विदेशी मुद्रा के उतार-चढ़ाव से बेहतर सुरक्षा मिलेगी, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
- गिफ्ट सिटी की पहचान में वृद्धि: इस पहल से गिफ्ट सिटी को सिंगापुर, हांगकांग और दुबई जैसे वित्तीय केंद्रों की श्रेणी में लाने की दिशा में मजबूती मिलेगी।
🔹 चुनौतियाँ भी हैं
हालांकि यह पहल अत्यंत सकारात्मक है, पर इसकी सफलता कुछ अहम बिंदुओं पर निर्भर करेगी —
- तकनीकी ढांचे की मजबूती: साइबर सुरक्षा और डिजिटल स्थिरता सुनिश्चित करनी होगी।
- नियामक पारदर्शिता: विदेशी निवेशकों के लिए नीति स्थिरता और स्पष्टता जरूरी है।
- वैश्विक प्रचार: गिफ्ट सिटी को एक विश्वस्तरीय ब्रांड के रूप में स्थापित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और प्रचार की आवश्यकता है।
🔹 निष्कर्ष
भारत का यह कदम उसकी आर्थिक दृष्टि, नीति स्थिरता और वित्तीय आत्मनिर्भरता को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। निर्मला सीतारमण की यह पहल केवल एक वित्तीय सुधार नहीं, बल्कि भारत के वैश्विक वित्तीय नेतृत्व की शुरुआत है।
गिफ्ट सिटी अब केवल गुजरात की एक परियोजना नहीं, बल्कि “नए भारत की वित्तीय राजधानी” बनने की ओर बढ़ रहा है। यदि सरकार तकनीकी निवेश, नीति सुधार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को जारी रखती है, तो आने वाले वर्षों में भारत निश्चित रूप से एशिया का अगला बड़ा वित्तीय केंद्र बन सकता है।
यह समय है कि भारत इस अवसर का पूरा लाभ उठाए और अपनी आर्थिक क्षमताओं को विश्व के सामने एक नई ऊंचाई पर प्रस्तुत करे।
(स्रोत: लाइवमिंट, 7 अक्टूबर 2025)
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