🌍 फिलिस्तीन की कहानी: संघर्ष, विभाजन और शांति की तलाश
1- शुरुआत: एक पवित्र भूमि में बढ़ता तनाव (1917-1947)
फिलिस्तीन वह जगह है जिसे यहूदी, ईसाई और मुसलमान तीनों पवित्र मानते हैं। लेकिन 20वीं सदी की शुरुआत में यह भूमि राजनीति और संघर्ष का मैदान बन गई।
- 1917 में ब्रिटेन ने बाल्फोर घोषणापत्र जारी किया। इसमें यहूदियों के लिए फिलिस्तीन में एक “राष्ट्रीय घर” बनाने का वादा किया गया।
- 1920 में लीग ऑफ नेशन्स ने ब्रिटेन को फिलिस्तीन का शासन (ब्रिटिश मण्डेट) सौंप दिया।
- ब्रिटिश शासन के दौरान यहूदी आप्रवासन तेज़ी से बढ़ा। अरब समुदाय को लगा कि उनकी ज़मीन और अधिकार छिन जाएंगे।
- 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बाँटने का प्रस्ताव दिया:
- 55% यहूदी राज्य (इजराइल) के लिए
- 45% अरब राज्य(नए फिलिस्तीन) के लिए
- जेरूसलम – अंतरराष्ट्रीय प्रशासन के अधीन
लेकिन अरब देशों और फिलिस्तीनियों ने इसे अपनी ज़मीन का बँटवारा मानकर ठुकरा दिया।
2- इजरायल का जन्म और नक्बा (1948-49)
14 मई 1948 को ब्रिटिश मण्डेट खत्म होते ही इजरायल ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। अरब देशों ने युद्ध छेड़ दिया, जिसे पहला अरब-इजरायल युद्ध कहा गया।
- इजरायल ने 78% भूमि पर कब्ज़ा कर लिया।
- लगभग 7.5 लाख फिलिस्तीनी घर छोड़ने को मजबूर हुए – इसे नक्बा (महाविनाश) कहा गया।
- वेस्ट बैंक और पूर्वी जेरूसलम जॉर्डन के पास और गाजा पट्टी मिस्र के पास चली गई।
फिलिस्तीनियों का अपना राज्य बनने का सपना टूट गया।
3- सिक्स-डे वॉर: कब्जे का विस्तार (1967)
1967 में सिक्स-डे वॉर (छह दिन का युद्ध) हुआ। इजरायल ने मिस्र, जॉर्डन और सीरिया को हराकर नए क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया:
- गाजा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीप – मिस्र से
- वेस्ट बैंक और पूर्वी जेरूसलम – जॉर्डन से
- गोलान हाइट्स – सीरिया से
इससे फिलिस्तीनियों के हाथ से बचे-खुचे इलाके भी निकल गए।
4- PLO और शांति की कोशिशें (1964-1993)
1964 में फिलिस्तीनियों ने अपनी आवाज़ बुलंद की और फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) बनाया।
- नेता बने यासिर अराफ़ात।
- लक्ष्य: “स्वतंत्र फिलिस्तीन” और आत्मनिर्णय का अधिकार।
1993 में ओस्लो समझौता हुआ।
- PLO और इजरायल ने पहली बार हाथ मिलाया।
- फिलिस्तीन अथॉरिटी (PA) बनी, जिसे वेस्ट बैंक और गाजा के कुछ हिस्सों का प्रशासन मिला।
हालांकि बस्तियों का विस्तार और जेरूसलम का मुद्दा अनसुलझा ही रहा।
5- हमास का उभार और फिलिस्तीनी विभाजन (1987-2007)
1987 में हमास नाम का नया संगठन उभरा।
- इसने इस्लामी विचारधारा अपनाई और सशस्त्र संघर्ष पर जोर दिया।
- पहली इंटिफादा (फिलिस्तीनी विद्रोह) में हमास ने ताकत दिखाई।
2006 के चुनावों में हमास ने गाजा में जीत हासिल की और 2007 में हिंसक झड़प के बाद PA को गाजा से बाहर कर दिया।
अब हालात इस तरह बने:
- गाजा – हमास के नियंत्रण में
- वेस्ट बैंक – PA के नियंत्रण में
हमास बनाम PA: मुख्य अंतर
- हमास: इजरायल को नहीं मानता, सशस्त्र संघर्ष और ईरान जैसे देशों से समर्थन।
- PA: कूटनीति में विश्वास, दो-राज्य समाधान का समर्थक।
- परिणाम: फिलिस्तीनी नेतृत्व बंट गया, एकजुट आवाज़ कमजोर हुई।
6- नया संकट और न्यूयॉर्क घोषणा (2023-2025)
7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर बड़ा हमला किया।
- 1,200 लोग मारे गए, 250 बंधक बने।
- इजरायल ने गाजा पर भारी बमबारी की, हजारों फिलिस्तीनी मारे गए।
- गाजा में मानवीय संकट गहरा गया।
2025 में नई उम्मीद:
- फ्रांस और सऊदी अरब ने सम्मेलन कर न्यूयॉर्क घोषणा लाई।
- 142 देशों (भारत सहित) ने समर्थन किया।
घोषणा के मुख्य बिंदु:
- तत्काल युद्धविराम और मानवीय सहायता
- दो-राज्य समाधान – गाजा और वेस्ट बैंक को जोड़कर स्वतंत्र फिलिस्तीन
- गाजा में हमास का अंत और PA को प्रशासन सौंपना
- इजरायल बस्तियों का विस्तार रोके
- UNSC के तहत अस्थायी स्थिरीकरण मिशन
7- भारत की भूमिका: संतुलित कूटनीति
भारत लंबे समय से फिलिस्तीनी आत्मनिर्णय और दो-राज्य समाधान का समर्थक रहा है।
- साथ ही वह इजरायल के साथ रक्षा और तकनीकी संबंध भी रखता है।
- न्यूयॉर्क घोषणा को समर्थन देकर भारत ने अपनी संतुलित और परिपक्व कूटनीति दिखलाई।
8- भविष्य की चुनौतियाँ
- हमास-PA विभाजन: एकता के बिना फिलिस्तीन कमजोर रहेगा।
- इजरायल की नीतियाँ: नेतन्याहू सरकार का कड़ा रुख और बस्तियों का विस्तार।
- UNGA प्रस्ताव: गैर-बाध्यकारी होने से लागू कराना मुश्किल।
22 सितंबर 2025 का UN शिखर सम्मेलन आगे की दिशा तय कर सकता है।
🗓️ फिलिस्तीन की कहानी – टाइमलाइन
| वर्ष | घटना |
|---|---|
| 1917 | बाल्फोर घोषणापत्र – यहूदी राष्ट्रीय गृह का वादा |
| 1920 | ब्रिटिश मण्डेट की शुरुआत |
| 1947 | UN विभाजन योजना (प्रस्ताव 181) |
| 1948 | इजरायल की स्थापना, नक्बा, पहला अरब-इजरायल युद्ध |
| 1964 | PLO की स्थापना |
| 1967 | सिक्स-डे वॉर |
| 1987 | हमास की स्थापना, पहली इंटिफादा |
| 1993 | ओस्लो समझौता, PA का गठन |
| 2006-07 | हमास का गाजा पर कब्ज़ा |
| 2023 | 7 अक्टूबर हमास हमला |
| 2025 | न्यूयॉर्क घोषणा और UNGA वोटिंग |
🎯 संक्षेप में
फिलिस्तीन की यह कहानी केवल युद्ध और विवाद की नहीं, बल्कि उम्मीदों, समझौतों और शांति की खोज की भी है। यह हमें बताती है कि स्थायी शांति तभी संभव है जब नेतृत्व एकजुट हो, जनता को न्याय मिले और सभी पक्ष ईमानदारी से समाधान खोजें।
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