सुधाकंठ भूपेन हजारिका – ब्रह्मपुत्र के कवि | UPSC दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 सितंबर, 2025 को असम के महान सांस्कृतिक प्रतीक भूपेन हजारिका को श्रद्धांजलि दी, जिन्हें ‘सुधाकंठ’ (अमृत स्वर) और ‘ब्रह्मपुत्र के कवि’ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने हजारिका के गीतों में निहित मानवता, एकता और सामाजिक न्याय के संदेशों को रेखांकित किया। UPSC के दृष्टिकोण से, भूपेन हजारिका की विरासत और उनके योगदान को भारतीय संस्कृति, सामाजिक समरसता, और पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक एकीकरण के संदर्भ में समझना महत्वपूर्ण है। यह लेख उनके जीवन, कार्य और प्रासंगिकता को UPSC की मुख्य परीक्षा और प्रारंभिक परीक्षा के लिए संक्षेप में प्रस्तुत करता है।
भूपेन हजारिका का परिचय
- जन्म और पृष्ठभूमि: 8 सितंबर 1926 को असम के सादिया (तिनसुकिया) में जन्म।
- बहुआयामी व्यक्तित्व: गायक, संगीतकार, कवि, फिल्म निर्माता, पत्रकार, राजनीतिक चिंतक और सामाजिक कार्यकर्ता।
- उपनाम: ‘सुधाकंठ’ और ‘ब्रह्मपुत्र के कवि’ उनकी सांस्कृतिक और भावनात्मक गहराई को दर्शाते हैं।
- शिक्षा: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक और कोलंबिया विश्वविद्यालय, अमेरिका से जनसंचार में पीएचडी (पॉल रॉबसन से व्यक्तिगत प्रेरणा प्राप्त)।
- सांस्कृतिक दृष्टिकोण: हजारिका ने असमिया लोककला को आधुनिक संगीत और साहित्य से जोड़ते हुए राष्ट्रीय विमर्श में स्थान दिलाया।
प्रमुख योगदान
1. संगीत और साहित्य
- उनके गीत असम के जनजीवन, प्राकृतिक सौंदर्य और सामाजिक समस्याओं का यथार्थ चित्रण करते हैं।
- प्रमुख गीत:
- “बिस्तिरनो पारोरे”: ब्रह्मपुत्र के दोनों किनारों के जीवन और संघर्ष की दास्तां।
- “मनुहे मनुहार बाबे”: मानवता, करुणा और भाईचारे का संदेश।
- “गंगा तुमी बोहिचो क्यानो”: गंगा और ब्रह्मपुत्र के सांस्कृतिक संगम की अनुभूति।
- उनके गीतों में:
- सामाजिक न्याय, समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर जोर।
- जातीय और भाषाई विविधता के बीच एकता का भाव।
- पर्यावरणीय चेतना – नदियों, जंगलों और प्रकृति की रक्षा का आह्वान।
UPSC प्रासंगिकता:
भारतीय सांस्कृतिक विरासत, पूर्वोत्तर भारत के क्षेत्रीय साहित्य और राष्ट्रीय एकता को समझने के लिए उपयोगी।
2. सिनेमा और कला
- हजारिका ने असमिया और हिंदी सिनेमा को जोड़ते हुए फिल्मों में गीत, संगीत और निर्देशन के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को उठाया।
- प्रमुख फिल्में और योगदान:
- शकुंतला (1961) – असमिया सिनेमा में नई पहचान।
- प्रतिध्वनि (1964) – समाज के हाशिये पर मौजूद वर्गों की पीड़ा।
- रुदाली (1993) – सामाजिक असमानता पर गहरी टिप्पणी (राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार)।
- सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और कला: हजारिका के गीतों और फिल्मों ने असम व पूर्वोत्तर के सवालों को राष्ट्रीय मंच पर रखा।
UPSC प्रासंगिकता:
कला और संस्कृति के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन, क्षेत्रीय सिनेमा का प्रभाव, सांस्कृतिक विविधता का संरक्षण।
3. सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
- पूर्वोत्तर भारत के एकीकरण में भूमिका: हजारिका ने स्थानीय संस्कृति को मुख्यधारा के साथ जोड़ने का प्रयास किया।
- लोक चेतना और सामाजिक आंदोलन:
- आदिवासी अधिकार, गरीबी उन्मूलन, और शिक्षा का प्रचार।
- जातीय हिंसा के विरुद्ध शांति और संवाद का संदेश।
- संगीत और राष्ट्रीय एकता: उनके गीत केवल असम तक सीमित नहीं रहे, बल्कि हिंदी, बंगाली, अंग्रेज़ी सहित कई भाषाओं में गाए गए।
UPSC प्रासंगिकता:
- क्षेत्रीय अस्मिता बनाम राष्ट्रीय पहचान की बहस।
- पूर्वोत्तर के एकीकरण के लिए नीतियां और चुनौतियां।
- सांस्कृतिक कूटनीति और ‘सॉफ्ट पावर’।
पुरस्कार और सम्मान
- भारत रत्न (2019, मरणोपरांत) – सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
- पद्म श्री (1977) और पद्म भूषण (2001) – सांस्कृतिक योगदान के लिए।
- दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (1992) – भारतीय सिनेमा में जीवनपर्यंत योगदान।
- असम रत्न (2009) – राज्य का सर्वोच्च सम्मान।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई सम्मान, जिससे उनका व्यक्तित्व वैश्विक हो उठा।
UPSC प्रासंगिकता:
- भारतीय पुरस्कार प्रणाली व संस्कृति नीति।
- भारत रत्न और अन्य सम्मानों से जुड़े तथ्य प्रीलिम्स के लिए महत्वपूर्ण।
UPSC के लिए प्रासंगिकता
(क) प्रारंभिक परीक्षा (Prelims)
- भूपेन हजारिका से जुड़े तथ्य – पुरस्कार, प्रमुख गीत, सांस्कृतिक योगदान।
- भारत रत्न से सम्मानित व्यक्तियों की सूची में उनका नाम।
- पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति और इतिहास।
(ख) मुख्य परीक्षा (Mains)
- GS-1 (भारतीय संस्कृति): हजारिका के गीत और सिनेमा भारतीय सांस्कृतिक विरासत और ‘सॉफ्ट पावर’ के उदाहरण हैं।
- GS-2 (शासन और सामाजिक न्याय): पूर्वोत्तर भारत के एकीकरण, सांस्कृतिक समावेशन और सामाजिक समरसता की नीतियों में उनका योगदान संदर्भ के रूप में।
- निबंध पेपर: “कला और संस्कृति के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन”, “पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक विरासत” जैसे विषयों में उनका उल्लेख प्रभावी।
- GS-4 (नैतिकता): करुणा, समानता, मानवता – उनके गीतों से लिए गए मूल्य केस स्टडी या उदाहरण में प्रयोग।
(ग) साक्षात्कार (Interview)
- सांस्कृतिक जागरूकता और राष्ट्रीय एकता से जुड़े प्रश्नों में हजारिका की विरासत पर चर्चा प्रभावी उत्तर दे सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी का कथन
पीएम मोदी ने हजारिका के गीतों को मानवता का पाठ बताया, जो करुणा, एकता और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देते हैं। यह कथन उनके कार्य की प्रासंगिकता को रेखांकित करता है, विशेष रूप से आज के समय में जब सांस्कृतिक एकीकरण और सामाजिक न्याय के मुद्दे फिर से केंद्र में हैं।
गहन विश्लेषण: UPSC के संदर्भ में सीख
- सांस्कृतिक समावेशन: पूर्वोत्तर भारत और शेष भारत के बीच सांस्कृतिक पुल बनाने की आवश्यकता।
- सामाजिक न्याय: गीतों के माध्यम से असमानता, गरीबी और वंचित समुदायों की आवाज़ उठाना।
- सॉफ्ट पावर और कूटनीति: सांस्कृतिक प्रतीक राष्ट्रीय पहचान के दूत बन सकते हैं।
- स्थायी विकास लक्ष्य (SDGs) से जुड़ाव: पर्यावरण संरक्षण, समावेशी समाज, और असमानता कम करने का संदेश।
निष्कर्ष
भूपेन हजारिका की विरासत भारतीय संस्कृति, सामाजिक न्याय और पूर्वोत्तर भारत के एकीकरण का प्रतीक है। उनके गीत और कार्य UPSC उम्मीदवारों के लिए न केवल सांस्कृतिक अध्ययन के लिए, बल्कि सामाजिक और नीतिगत मुद्दों को समझने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
उनकी आवाज, ब्रह्मपुत्र की तरह, आज भी प्रेरणा देती है और हमें एक समावेशी, करुणामय और न्यायपूर्ण समाज की ओर अग्रसर करती है।
(नोट: यह लेख UPSC के दृष्टिकोण से संरचित है, जिसमें भूपेन हजारिका के योगदान को प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के लिए प्रासंगिक बनाया गया है।)
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