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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Nepal’s Interim Government under Sushila Karki: A Turning Point in Democratic Governance

नेपाल में अंतरिम सरकार का गठन: एक नई दिशा की ओर कदम

प्रस्तावना

नेपाल की राजनीति एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर है। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की और युवा कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधियों के बीच हुआ हालिया समझौता केवल सरकार गठन की औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह उस व्यापक राजनीतिक संक्रमण का हिस्सा है जिसे नेपाल 2006 के लोकतांत्रिक आंदोलन के बाद से झेल रहा है। सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपना लोकतंत्र, सुशासन और समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सुशीला कार्की: नेतृत्व और प्रतीकात्मकता

नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की अपनी निष्पक्षता, नैतिक दृढ़ता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति अडिग प्रतिबद्धता के लिए जानी जाती हैं। उनका चयन केवल राजनीतिक मजबूरी नहीं, बल्कि सामाजिक-राजनीतिक परिपक्वता का संकेत भी है। यह नेपाल के इतिहास में उस बदलाव को दर्शाता है जिसमें महिलाएँ अब सत्ता और नेतृत्व के केंद्र में आ रही हैं।

  • नैतिक विश्वसनीयता: कार्की की छवि भ्रष्टाचार-विरोधी और पारदर्शी शासन की पैरोकार के रूप में स्थापित है।
  • संवैधानिक अनुभव: नेपाल के संविधान, न्यायपालिका और संस्थानों की कार्यप्रणाली की गहरी समझ उन्हें एक समावेशी और संतुलित नेतृत्व प्रदान करने में सक्षम बनाती है।

युवा शक्ति और जनभागीदारी

नेपाल में युवाओं की भूमिका इस समझौते का सबसे अहम पहलू है। लोकतांत्रिक आंदोलनों से लेकर हालिया सरकार विरोधी प्रदर्शनों तक, युवा वर्ग लगातार राजनीतिक विमर्श को नया आकार दे रहा है।

  • बदलाव की मांग: रोजगार, शिक्षा और सुशासन को लेकर युवा वर्ग की अपेक्षाएँ पुरानी राजनीतिक शक्तियों के लिए चुनौती हैं।
  • साझा मंच: अंतरिम सरकार का गठन युवा और अनुभवी नेतृत्व के बीच सहयोग की मिसाल है।

चुनौतियाँ: राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक

अंतरिम सरकार को कई मोर्चों पर काम करना होगा—

  1. आर्थिक मोर्चा: कोविड-19 के बाद की मंदी, बेरोज़गारी, पर्यटन क्षेत्र में गिरावट और विदेशी निवेश की कमी।
  2. सामाजिक असमानता: जातीय और क्षेत्रीय आधार पर असमानताओं का बने रहना।
  3. राजनीतिक अस्थिरता: विभिन्न दलों के बीच वैचारिक और हितगत मतभेद।
  4. विदेश नीति और भू-राजनीति: भारत, चीन और पश्चिमी देशों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना।

अवसर: सुशासन और संस्थागत सुधार

  • पारदर्शिता: कार्की के नेतृत्व में संस्थागत पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में ठोस पहल संभव है।
  • चुनावी सुधार: स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए कानूनी व प्रशासनिक ढाँचे को मजबूत करना।
  • संवैधानिक संतुलन: संघीय ढाँचे और स्थानीय निकायों की भूमिका को स्पष्ट करना।

लोकतंत्र और संवैधानिक प्रक्रिया को बल

अंतरिम सरकार का उद्देश्य केवल तात्कालिक संकट से निकलना नहीं, बल्कि चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और भरोसेमंद बनाना भी है। यह कदम जनता के विश्वास को बहाल करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के लिए एक परीक्षण की घड़ी होगा।

क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय संदर्भ

नेपाल का यह प्रयोग दक्षिण एशिया के अन्य लोकतंत्रों के लिए भी महत्वपूर्ण संकेत देता है। भारत,पाकिस्तान,श्रीलंका और बांग्लादेश में हाल के वर्षों में लोकतांत्रिक संस्थाओं पर बढ़ते दबाव के बीच नेपाल का यह कदम लोकतंत्र के पुनरोद्धार के मॉडल के रूप में देखा जा सकता है।

निष्कर्ष

सुशीला कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार केवल एक प्रशासनिक व्यवस्था नहीं, बल्कि राजनीतिक संस्कृति के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया है। यह नेपाल की जनता के लिए संदेश है कि लोकतंत्र में नेतृत्व, इच्छाशक्ति और सहयोग से स्थिरता व बदलाव दोनों संभव हैं। आने वाले महीनों में यह स्पष्ट होगा कि यह सरकार किस हद तक जनता की आकांक्षाओं को पूरा कर पाती है।



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