Skip to main content

MENU👈

Show more

UPSC CSE 2024 Topper: शक्ति दुबे बनीं पहली रैंक होल्डर | जानिए उनकी सफलता की कहानी

संघर्ष से सेवा तक: UPSC 2025 टॉपर शक्ति दुबे की प्रेरणादायक कहानी प्रयागराज की साधारण सी गलियों से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC सिविल सेवा 2024 (परिणाम अप्रैल 2025) में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करने वाली शक्ति दुबे की कहानी किसी प्रेरणादायक उपन्यास से कम नहीं है। बायोकैमिस्ट्री में स्नातक और परास्नातक, शक्ति ने सात साल के अथक परिश्रम, असफलताओं को गले लगाने और अडिग संकल्प के बल पर यह ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। उनकी कहानी न केवल UPSC अभ्यर्थियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करने की राह पर चल रहा है। आइए, उनके जीवन, संघर्ष, रणनीति और सेवा की भावना को और करीब से जानें। पारिवारिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि: नींव की मजबूती शक्ति दुबे का जन्म प्रयागराज में एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां शिक्षा, अनुशासन और देशसेवा को सर्वोपरि माना जाता था। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी हैं, जिनके जीवन से शक्ति ने बचपन से ही कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति जवाबदेही का पाठ सीखा। माँ का स्नेह और परिवार का अटूट समर्थन उनकी ताकत का आधार बना। शक्ति स्वयं अपनी सफलता का श्रेय अपने ...

India’s GDP Doubles in a Decade

भारत की आर्थिक क्रांति: एक दशक में 105% जीडीपी वृद्धि का सफर

संपादकीय लेख

22 मार्च 2025 को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पश्चिम बंगाल के एक ट्वीट ने भारत की आर्थिक प्रगति को एक बार फिर चर्चा में ला दिया। इस पोस्ट में दावा किया गया कि भारत की जीडीपी पिछले दशक में 2.1 ट्रिलियन डॉलर (2015) से बढ़कर 2025 में 4.3 ट्रिलियन डॉलर हो गई है, जो 105% की प्रभावशाली वृद्धि को दर्शाती है। यह उपलब्धि भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करती है।

यह आंकड़ा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के डेटा पर आधारित है और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्वकारी नीतियों, संरचनात्मक सुधारों और डिजिटल क्रांति से जोड़ा जा रहा है। लेकिन क्या यह वृद्धि वास्तव में उतनी ही शानदार है जितनी दिखाई देती है? और इस प्रगति के पीछे की असली कहानी क्या है?

Indias-GDP-Doubles-in-a-Decade


ऐतिहासिक संदर्भ और उपलब्धि

2015 में भारत की अर्थव्यवस्था 2.1 ट्रिलियन डॉलर की थी। उस समय देश वैश्विक आर्थिक मंदी, नीतिगत अस्थिरता, भ्रष्टाचार और बुनियादी ढांचे की कमी जैसी चुनौतियों से जूझ रहा था। 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और वस्तु एवं सेवा कर (GST) जैसी नीतियों ने अर्थव्यवस्था को नई गति दी।

IMF और विश्व बैंक के अनुसार, भारत की औसत वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर पिछले दशक में 6-7% के आसपास रही, जो वैश्विक आर्थिक मंदी (जैसे कोविड-19) के बावजूद प्रभावशाली रही। 2025 तक 4.3 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी भारत को जापान (2025 तक) और जर्मनी (2027 तक) को पीछे छोड़ने की राह पर ले जा सकती है, जैसा कि विभिन्न आर्थिक विश्लेषणों में संकेत मिलता है।

नीतिगत सुधार और डिजिटल क्रांति

इस उल्लेखनीय वृद्धि के पीछे कई कारक रहे हैं:

1. मेक इन इंडिया – इस पहल ने विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा दिया, जिससे विदेशी निवेश (FDI) और रोजगार सृजन में वृद्धि हुई।

2. डिजिटल इंडिया – यूपीआई और इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार ने डिजिटल भुगतान प्रणाली को मजबूत किया, जिससे स्टार्टअप और आईटी उद्योग को नई ऊंचाइयां मिलीं।

3. नोटबंदी और GST – हालांकि ये कदम शुरू में विवादास्पद रहे, लेकिन लंबी अवधि में कर प्रणाली को सुव्यवस्थित करने और काले धन पर अंकुश लगाने में मददगार साबित हुए।

4. पर्यटन और हरित अर्थव्यवस्था – विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद (WTTC) के अनुसार, पर्यटन क्षेत्र का योगदान 9.4% जीडीपी तक पहुंचा, और 2027 तक 9.9% होने की उम्मीद है। साथ ही, सौर, पवन और जैव ईंधन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश भारत को हरित अर्थव्यवस्था की ओर ले जा रहा है।

चुनौतियां और आलोचनाएं

हालांकि आर्थिक वृद्धि के ये आंकड़े प्रभावशाली हैं, लेकिन इस विकास का लाभ समान रूप से सभी वर्गों तक नहीं पहुंचा है।

1. प्रति व्यक्ति आय (GDP Per Capita)

2025 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी लगभग 2,000-2,500 डॉलर होने का अनुमान है, जो वैश्विक औसत से काफी कम है।

2. बेरोजगारी और क्षेत्रीय असमानता

खासकर युवाओं में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बनी हुई है।

ग्रामीण क्षेत्रों की वृद्धि दर शहरी इलाकों की तुलना में धीमी रही है।

3. महंगाई और मुद्रास्फीति

खाद्य और ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव से मध्यम वर्ग और गरीब परिवारों पर दबाव बढ़ा है।

4. पर्यावरणीय चुनौतियां

जलवायु परिवर्तन और भूमि अधिग्रहण से संबंधित समस्याएं दीर्घकालिक विकास के लिए जोखिम पैदा कर रही हैं।

कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि नोटबंदी और GST के प्रभावों ने छोटे व्यवसायों और असंगठित क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया, जिससे आर्थिक असमानता बढ़ी।

भविष्य की राह

भारत का लक्ष्य 2047 तक एक उच्च-आय वाले देश बनने का है, लेकिन यह केवल सतत (Sustainable) और समावेशी (Inclusive) विकास के माध्यम से ही संभव होगा। इसके लिए जरूरी कदम:

1. श्रम बाजार सुधार – रोजगार के नए अवसर सृजित करने के लिए लचीली श्रम नीतियां अपनानी होंगी।

2. शिक्षा और कौशल विकास – भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए एआई (Artificial Intelligence), ब्लॉकचेन और 5G तकनीक में दक्षता बढ़ानी होगी।

3. बुनियादी ढांचे में सुधार – स्मार्ट सिटी परियोजना, हाई-स्पीड ट्रांसपोर्ट और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में निवेश से भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बनाए रखा जा सकता है।

4. आर्थिक नीतियों में लचीलापन – वैश्विक आर्थिक संकट, व्यापार युद्ध और भू-राजनीतिक तनाव से बचने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार और वित्तीय स्थिरता मजबूत करनी होगी।

निष्कर्ष

भारत की 105% जीडीपी वृद्धि एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो साहसिक नीतियों और प्रभावी नेतृत्व का प्रमाण है। लेकिन आर्थिक प्रगति केवल संख्याओं तक सीमित नहीं होनी चाहिए; इसे जनता के जीवन स्तर में वास्तविक सुधार के रूप में भी परिलक्षित होना चाहिए।

सरकार, नीति-निर्माता और नागरिकों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत की आर्थिक क्रांति न केवल तेज हो, बल्कि समावेशी और टिकाऊ भी हो। तभी भारत न केवल एक आर्थिक महाशक्ति बनेगा, बल्कि एक न्यायसंगत और समृद्ध समाज की ओर भी अग्रसर होगा।

यह संपादित संस्करण न केवल पढ़ने में अधिक प्रभावशाली है, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं और शोधार्थियों के लिए भी अधिक उपयोगी रहेगा।


 

Previous & Next Post in Blogger
|
✍️ARVIND SINGH PK REWA

Comments

Advertisement