उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि राज्य 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन जाएगा। इस ऐतिहासिक निर्णय के साथ उत्तराखंड ने समाज में एकरूपता लाने और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार व दायित्व सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड का महत्व
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का उद्देश्य सभी धर्मों के लोगों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों में समान कानून लागू करना है। इसका लक्ष्य समाज में भेदभाव और असमानता को समाप्त करना और सभी नागरिकों के बीच समानता की भावना को बढ़ावा देना है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे समाज में एकरूपता लाने वाला कदम बताया और कहा कि यह सभी नागरिकों के अधिकार और दायित्व सुनिश्चित करेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि यह कानून राज्य में सामाजिक और कानूनी समरसता स्थापित करेगा।
उत्तराखंड की पहल और संभावित प्रभाव
उत्तराखंड के इस निर्णय का देशव्यापी प्रभाव हो सकता है। यह अन्य राज्यों और केंद्र सरकार को भी समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
इस कदम से:
1. कानूनी प्रक्रियाओं में सरलता: विभिन्न धार्मिक कानूनों के बजाय एक समान कानून लागू होने से जटिलताओं में कमी आएगी।
2. महिला अधिकारों का संरक्षण: UCC महिला अधिकारों को मजबूती प्रदान करेगा और पितृसत्तात्मक नियमों से छुटकारा दिलाएगा।
3. राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा: सभी नागरिकों के लिए समान कानून राष्ट्रीय एकता को मजबूत करेगा।
चुनौतियां और आलोचनाएं
यद्यपि यह निर्णय ऐतिहासिक है, परंतु इसे लागू करने में कई चुनौतियां भी आ सकती हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक विविधताओं वाले देश में UCC को लागू करना आसान नहीं होगा। कुछ समूह इसे अपनी परंपराओं और धार्मिक स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप मान सकते हैं।
निष्कर्ष
उत्तराखंड द्वारा यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में उल्लिखित राज्य के नीति निदेशक तत्वों के अनुरूप है। यह कदम समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। यदि इसे प्रभावी रूप से लागू किया गया, तो यह न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिए प्रगतिशील और प्रेरणादायक मॉडल साबित हो सकता है।
Comments
Post a Comment