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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का लागू होना: एक ऐतिहासिक कदम

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि राज्य 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन जाएगा। इस ऐतिहासिक निर्णय के साथ उत्तराखंड ने समाज में एकरूपता लाने और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार व दायित्व सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड का महत्व

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का उद्देश्य सभी धर्मों के लोगों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों में समान कानून लागू करना है। इसका लक्ष्य समाज में भेदभाव और असमानता को समाप्त करना और सभी नागरिकों के बीच समानता की भावना को बढ़ावा देना है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे समाज में एकरूपता लाने वाला कदम बताया और कहा कि यह सभी नागरिकों के अधिकार और दायित्व सुनिश्चित करेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि यह कानून राज्य में सामाजिक और कानूनी समरसता स्थापित करेगा।

उत्तराखंड की पहल और संभावित प्रभाव

उत्तराखंड के इस निर्णय का देशव्यापी प्रभाव हो सकता है। यह अन्य राज्यों और केंद्र सरकार को भी समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

इस कदम से:

1. कानूनी प्रक्रियाओं में सरलता: विभिन्न धार्मिक कानूनों के बजाय एक समान कानून लागू होने से जटिलताओं में कमी आएगी।

2. महिला अधिकारों का संरक्षण: UCC महिला अधिकारों को मजबूती प्रदान करेगा और पितृसत्तात्मक नियमों से छुटकारा दिलाएगा।

3. राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा: सभी नागरिकों के लिए समान कानून राष्ट्रीय एकता को मजबूत करेगा।

चुनौतियां और आलोचनाएं

यद्यपि यह निर्णय ऐतिहासिक है, परंतु इसे लागू करने में कई चुनौतियां भी आ सकती हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक विविधताओं वाले देश में UCC को लागू करना आसान नहीं होगा। कुछ समूह इसे अपनी परंपराओं और धार्मिक स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप मान सकते हैं।

निष्कर्ष

उत्तराखंड द्वारा यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में उल्लिखित राज्य के नीति निदेशक तत्वों के अनुरूप है। यह कदम समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। यदि इसे प्रभावी रूप से लागू किया गया, तो यह न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिए प्रगतिशील और प्रेरणादायक मॉडल साबित हो सकता है।


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