नीति आयोग द्वारा जारी 2025 की वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांक (Financial Health Index - FHI) रिपोर्ट का विश्लेषण
भारत के राज्यों के वित्तीय प्रदर्शन, प्रबंधन और स्थिरता का आकलन करने का प्रयास है। इस सूचकांक का उद्देश्य राज्यों को उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए प्रोत्साहित करना और बेहतर नीति निर्माण के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना है।
मुख्य निष्कर्ष और विश्लेषण
1. श्रेणीबद्ध प्रदर्शन
अचीवर राज्यों (ओडिशा, छत्तीसगढ़, गोवा) ने राजस्व जुटाने और वित्तीय विवेक जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
फ्रंटरनर और परफॉर्मर राज्यों ने मध्यम प्रदर्शन किया, लेकिन कुछ कमियों को दर्शाते हैं, जैसे व्यय की गुणवत्ता और ऋण प्रबंधन।
एस्पिरेशनल राज्य (पंजाब, केरल, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश) में वित्तीय असंतुलन की समस्याएं सामने आईं, जैसे अधिक ऋण भार, कम राजस्व संग्रह और खर्च में असंतुलन।
2. ओडिशा का प्रदर्शन
ओडिशा ने 67.8 अंकों के साथ शीर्ष स्थान प्राप्त किया, जो वित्तीय अनुशासन और राजस्व बढ़ाने की क्षमता को दर्शाता है।
व्यय की गुणवत्ता, ऋण स्थिरता, और राजस्व जुटाने के प्रभावी मॉडल ने इसे अन्य राज्यों से आगे रखा।
3. पंजाब और केरल की समस्याएं
पंजाब और केरल जैसे राज्य कमजोर प्रदर्शन करने वाले राज्यों में रहे।
इन राज्यों में अत्यधिक ऋण, बढ़ते खर्च और कम राजस्व संग्रह प्रमुख कारण रहे। पंजाब का कृषि ऋण माफी और केरल की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर निर्भरता भी वित्तीय बोझ बढ़ा रही है।
4. सुधार के अवसर
रिपोर्ट वित्तीय अनुशासन की कमी वाले राज्यों को सतर्क करती है और सुझाव देती है कि वे अपने व्यय को नियंत्रित करें, कर संग्रह बढ़ाएं और दीर्घकालिक ऋण प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करें।
राज्यों को राजस्व स्रोतों के विविधीकरण और बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने पर काम करना चाहिए।
सकारात्मक पहलू
1. डेटा-संचालित मूल्यांकन: यह रिपोर्ट राज्यों को उनके प्रदर्शन को समझने और सुधारात्मक कदम उठाने में मदद करती है।
2. सहकारी संघवाद का प्रोत्साहन: राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा और सहयोग को बढ़ावा देता है।
3. नीति निर्माण के लिए मार्गदर्शन: राज्यों के लिए स्पष्ट संकेतक प्रदान करता है कि वे किन क्षेत्रों में बेहतर कर सकते हैं।
चुनौतियां
1. वित्तीय असमानता: राज्यों के बीच व्यापक वित्तीय असमानता सामने आई है। समृद्ध और गरीब राज्यों के बीच अंतर को पाटना एक चुनौती है।
2. ऋण संकट: कमजोर प्रदर्शन करने वाले राज्यों का ऋण संकट और आर्थिक प्रबंधन की कमी चिंता का विषय है।
3. संस्थागत सुधारों की आवश्यकता: कई राज्यों को अपने कर प्रशासन और व्यय प्रबंधन में सुधार लाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
नीति आयोग की इस रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत के राज्यों में वित्तीय प्रबंधन में सुधार की व्यापक संभावनाएं हैं। मजबूत प्रदर्शन करने वाले राज्य अपने स्थिर वित्तीय नीतियों के कारण एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जबकि कमजोर प्रदर्शन वाले राज्यों को अपनी वित्तीय प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करना चाहिए।
इस रिपोर्ट का व्यापक महत्व है क्योंकि यह न केवल राज्यों को अपनी कमजोरियों को पहचानने में मदद करती है, बल्कि उन्हें बेहतर वित्तीय स्थिरता के लिए प्रेरित भी करती है। राज्यों के बीच सकारात्मक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना भारत के आर्थिक विकास को गति देने में सहायक हो सकता है।
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