भारत की अर्थव्यवस्था: जापान को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना
प्रस्तावना
31 दिसंबर 2025 भारत की आर्थिक यात्रा के इतिहास में एक उल्लेखनीय पड़ाव के रूप में दर्ज हो गया। सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, भारत की नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद (Nominal GDP) $4.18 ट्रिलियन के स्तर पर पहुँच गई है, जिसके साथ ही भारत ने जापान को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान प्राप्त कर लिया। यह उपलब्धि संयोग नहीं, बल्कि लगभग एक दशक से जारी नीतिगत सुधारों, मजबूत घरेलू मांग, स्थिर मैक्रो-प्रबंधन और उद्यमशील ऊर्जा का परिणाम है।
अंतरराष्ट्रीय संस्थानों, विशेषकर IMF के पूर्वानुमानों ने भी संकेत दिया था कि संरचनात्मक सुस्ती और मुद्रा-दबाव से जूझ रही जापानी अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत की वृद्धि तेज बनी रहेगी। इस संदर्भ में 2025 को वास्तव में एक “परिभाषित वर्ष” कहा जा सकता है।
वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की वर्तमान स्थिति
2025 के अंत तक नाममात्र GDP के आधार पर वैश्विक परिदृश्य broadly इस प्रकार उभरता है—
- संयुक्त राज्य अमेरिका — लगभग $30.5 ट्रिलियन
- चीन — लगभग $19.2 ट्रिलियन
- जर्मनी — $5 ट्रिलियन से कुछ ज्यादा (तीसरा स्थान)
- भारत — $4.18 ट्रिलियन (चौथा स्थान)
- जापान — पाँचवे स्थान पर खिसका(लगभग भारत के बराबर ही GDP)
भारत ने 2022 में यूनाइटेड किंगडम को पीछे छोड़कर पाँचवा स्थान प्राप्त किया था और मात्र तीन वर्षों में चौथे पायदान पर पहुँच जाना उसकी सतत वृद्धि क्षमता को रेखांकित करता है। यह रैंकिंग बाज़ार विनिमय दरों पर आधारित नाममात्र GDP के आधार पर है, जो अंतरराष्ट्रीय तुलना का प्रचलित मानक है।
उत्कृष्ट वृद्धि के आधार: क्या बदला भारत में?
भारत की प्रगति किसी एक कारक का परिणाम नहीं, बल्कि बहु-स्तरीय आर्थिक पुनर्रचना का फल है। प्रमुख कारक—
1. मजबूत घरेलू मांग और उपभोग
- शहरी खपत, ई-कॉमर्स, डिजिटल भुगतान और सेवा-क्षेत्र की तीव्र विस्तारशीलता
- ग्रामीण मांग में क्रमिक सुधार व कल्याणकारी योजनाओं से उपभोग समर्थन
2. पूंजीगत व्यय-प्रधान विकास रणनीति
- अवसंरचना, परिवहन, लॉजिस्टिक्स और सार्वजनिक निवेश पर विशेष बल
- मल्टीप्लायर प्रभाव के माध्यम से रोजगार एवं निजी निवेश को प्रोत्साहन
3. औद्योगिक व उत्पादन-आधारित नीतिगत प्रोत्साहन
- PLI योजनाएँ, मेक-इन-इंडिया, डिफेंस और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि
- ऊर्जा संक्रमण, हरित निवेश और नवाचार-स्टार्टअप इकोसिस्टम का विस्तार
4. वित्तीय स्थिरता और नियंत्रित मुद्रास्फीति
- मुद्रास्फीति नियंत्रित दायरे में रहने से “गोल्डीलॉक्स” परिस्थिति
- चालू खाते और बाहरी क्षेत्र पर सतर्क प्रबंधन
5. डिजिटल व संरचनात्मक सुधार
- GST, कर-पारदर्शिता, डिजिटलीकरण, JAM-त्रिमूर्ति और वित्तीय समावेशन
- सरकारी सेवा-प्रणाली में दक्षता और औपचारिक अर्थव्यवस्था का विस्तार
मैक्रो-संकेतक: गति का प्रमाण
- हाल की तिमाहियों में वास्तविक GDP वृद्धि 8% के आसपास
- सेवा-क्षेत्र व निर्यात में स्थिर मजबूती
- CAD नियंत्रित, विदेशी निवेश प्रवाह स्थिर
- उत्पादकता-आधारित विकास मॉडल की ओर संक्रमण
इन संकेतकों ने भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया है।
वृहत्तर महत्व: केवल रैंकिंग से आगे
भारत का चौथे स्थान पर पहुँचना सिर्फ सांख्यिकीय उपलब्धि नहीं, बल्कि—
- वैश्विक आपूर्ति-श्रृंखलाओं में भारत की विश्वसनीयता व वैकल्पिक उत्पादन-केंद्र के रूप में पहचान
- भू-आर्थिक और भू-राजनीतिक भूमिका का विस्तार
- दक्षिण-दक्षिण सहयोग, वैश्विक वित्तीय संस्थाओं और व्यापार मंचों पर बढ़ती प्रभावशीलता
वास्तविकता की कसौटी: अवसरों के साथ चुनौतियाँ
महत्वपूर्ण सीमाएँ और नीतिगत प्राथमिकताएँ भी ध्यानयोग्य हैं—
1. प्रति-व्यक्ति आय का अंतर
- भारत का प्रति व्यक्ति GDP अभी भी जर्मनी और जापान से बहुत कम
- समावेशी विकास, कौशल-वृद्धि और मानव-पूंजी निवेश की आवश्यकता
2. क्षेत्रीय व सामाजिक असमानताएँ
- शहरी-ग्रामीण / राज्य-स्तरीय विकास अंतर
- उत्पादक रोजगार सृजन एवं MSME प्रतिस्पर्धा सुदृढ़ करना
3. निवेश व निर्यात विविधीकरण
- उच्च मूल्य-संवर्धित निर्माण, R&D, और प्रौद्योगिकी-आधारित निर्यात बढ़ाना
4. पर्यावरणीय व संसाधन-सीमाएँ
- जल, ऊर्जा, कृषि-उत्पादकता और जलवायु-जोखिम प्रबंधन
5. सांख्यिकीय पुष्टि और विनिमय-दर प्रभाव
- रैंकिंग नाममात्र GDP पर आधारित—
PPP के आधार पर भारत पहले ही तीसरे स्थान पर है,
जबकि अंतिम वैश्विक पुष्टि अधिसूचित आँकड़ों के साथ पूर्ण होगी।
भविष्य की दिशा: तीसरे स्थान की ओर यात्रा
सरकारी व अंतरराष्ट्रीय आकलनों के अनुसार—
- अगले 2.5–3 वर्षों में जर्मनी को पीछे छोड़ तीसरे स्थान पर पहुँचने की संभावना
- 2030 तक GDP के $7 ट्रिलियन से अधिक होने के अनुमान
- यदि निवेश-नेतृत्वित वृद्धि, नवाचार, कौशल-विकास और हरित-संक्रमण को गति मिली, तो भारत दीर्घकालिक विकास-अग्रणी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा
निष्कर्ष
जापान को पीछे छोड़कर चौथे स्थान पर पहुँचना भारत की आर्थिक यात्रा में एक आत्मविश्वास-वर्धक मील का पत्थर है। यह उपलब्धि उन सुधारों, संस्थागत सुदृढ़ीकरण, उद्यमशील ऊर्जा और सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता का प्रमाण है जिसने भारत को उच्च वृद्धि व स्थिरता के संयुक्त पथ पर स्थापित किया है।
फिर भी, असली कसौटी प्रति-व्यक्ति समृद्धि, समावेशी अवसर, गुणवत्तापूर्ण रोजगार, मानवीय-विकास सूचकांक और सतत विकास में सुधार है। यदि नीतिगत फोकस उत्पादकता, नवाचार, मानव-पूंजी और हरित-अर्थव्यवस्था पर कायम रहा, तो भारत न केवल तीसरे स्थान की ओर अग्रसर होगा, बल्कि “विकसित भारत” की परिकल्पना को भी साकार रूप दे सकेगा।
With Live Mint Inputs
Comments
Post a Comment