Prime Minister Modi’s Oman Visit 2025: CEPA, Strategic Partnership and a New Phase in India–Oman Relations
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओमान यात्रा: भारत–ओमान संबंधों में रणनीतिक परिपक्वता का नया अध्याय
दिसंबर 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन राष्ट्रों—जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान—की यात्रा केवल कूटनीतिक औपचारिकताओं तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह भारत की उभरती वैश्विक भूमिका और बहु-ध्रुवीय विश्व में उसकी रणनीतिक प्राथमिकताओं का स्पष्ट संकेत भी थी। इस यात्रा का अंतिम चरण, ओमान, विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा क्योंकि यह भारत की पश्चिम एशिया और खाड़ी क्षेत्र केंद्रित नीति को नई ठोस दिशा देता है। 17–18 दिसंबर 2025 को संपन्न यह यात्रा भारत–ओमान राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ के साथ हुई—जो अपने आप में ऐतिहासिक प्रतीकात्मकता रखती है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और कूटनीतिक संदर्भ
भारत और ओमान के संबंध केवल आधुनिक राष्ट्र-राज्य के कालखंड तक सीमित नहीं हैं। अरब सागर के पार सदियों पुराने व्यापारिक, सांस्कृतिक और समुद्री संपर्कों ने इन संबंधों को ऐतिहासिक गहराई दी है। आधुनिक काल में ओमान खाड़ी क्षेत्र का वह देश रहा है जिसने भारत के साथ स्थिर, संतुलित और भरोसेमंद संबंध बनाए रखे। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा उनकी 2018 की ओमान यात्रा के बाद दूसरी द्विपक्षीय यात्रा थी और 2023 में सुल्तान हैथम बिन तारिक की भारत यात्रा का स्वाभाविक प्रत्युत्तर भी।
CEPA: आर्थिक संबंधों में संरचनात्मक परिवर्तन
इस यात्रा की सबसे बड़ी उपलब्धि व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर हस्ताक्षर रहा। यह समझौता भारत–ओमान आर्थिक संबंधों को पारंपरिक व्यापार से आगे ले जाकर निवेश, सेवाओं और पेशेवर गतिशीलता तक विस्तारित करता है। वर्तमान में लगभग 10–12 अरब अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को CEPA के माध्यम से गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों स्तरों पर बढ़ावा मिलने की संभावना है।
ओमान द्वारा भारत के 98 प्रतिशत से अधिक निर्यातों को शुल्क-मुक्त पहुंच देना भारतीय उद्योगों—विशेषकर विनिर्माण, रसायन, मशीनरी, कृषि उत्पाद और कीमती धातुओं—के लिए बड़े अवसर खोलता है। वहीं भारत द्वारा ओमानी उत्पादों जैसे खजूर, संगमरमर और पेट्रोकेमिकल्स पर शुल्क में रियायत देना साझेदारी के संतुलित स्वरूप को दर्शाता है। यह समझौता ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ाने के साथ-साथ भारत को खाड़ी क्षेत्र की मूल्य श्रृंखलाओं में गहराई से जोड़ता है।
सर्वोच्च सम्मान और सांकेतिक कूटनीति
यात्रा का सबसे भावनात्मक और प्रतीकात्मक क्षण तब आया जब सुल्तान हैथम बिन तारिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ओमान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान—‘फर्स्ट क्लास ऑफ द ऑर्डर ऑफ ओमान’—से सम्मानित किया। यह सम्मान केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत–ओमान संबंधों की परिपक्वता और आपसी विश्वास की सार्वजनिक मान्यता है। वैश्विक स्तर पर सीमित नेताओं को प्राप्त यह सम्मान प्रधानमंत्री मोदी का 29वां अंतरराष्ट्रीय सर्वोच्च नागरिक सम्मान बनना, भारत की बढ़ती कूटनीतिक साख को भी रेखांकित करता है।
समुद्री सहयोग, ऊर्जा और सुरक्षा आयाम
ओमान की भौगोलिक स्थिति—हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य के निकट—भारत की समुद्री सुरक्षा और ऊर्जा आपूर्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में दोनों देशों द्वारा समुद्री सहयोग पर संयुक्त दृष्टि दस्तावेज अपनाया जाना रणनीतिक दृष्टि से निर्णायक कदम है। ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा सहयोग, ब्लू इकॉनमी, समुद्री विरासत और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सहयोग भारत की ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region) दृष्टि को व्यवहारिक आधार प्रदान करता है।
इसके अतिरिक्त, कृषि, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक आदान–प्रदान से जुड़े समझौते यह दर्शाते हैं कि द्विपक्षीय संबंध केवल रणनीतिक या आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और मानवीय स्तर पर भी गहराए जा रहे हैं।
इथियोपिया चरण: ग्लोबल साउथ की रणनीति
हालांकि ओमान यात्रा का केंद्र बिंदु रहा, लेकिन इथियोपिया चरण का संक्षिप्त उल्लेख आवश्यक है। भारत–इथियोपिया संबंधों को ‘सामरिक साझेदारी’ के स्तर तक ले जाना अफ्रीका में भारत की सक्रिय भूमिका का संकेत है। डिजिटल अवसंरचना, स्वच्छ ऊर्जा, खनन और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग ‘ग्लोबल साउथ’ के साथ भारत की विकास साझेदारी नीति को सुदृढ़ करता है।
निष्कर्ष: वसुधैव कुटुंबकम की कूटनीतिक अभिव्यक्ति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा भारत की उस विदेश नीति का सजीव उदाहरण है जो आर्थिक हितों, रणनीतिक संतुलन और सांस्कृतिक मूल्यों को एक साथ साधती है। CEPA जैसे समझौते आर्थिक भविष्य की नींव रखते हैं, जबकि सर्वोच्च सम्मान और बहुआयामी सहयोग विश्वास और साझेदारी की आत्मा को मजबूत करते हैं। ओमान यात्रा यह स्पष्ट करती है कि भारत अब केवल उभरती शक्ति नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार और भरोसेमंद वैश्विक साझेदार के रूप में स्वयं को स्थापित कर रहा है—जहां ‘वसुधैव कुटुंबकम’ केवल एक आदर्श नहीं, बल्कि व्यवहारिक कूटनीति का मार्गदर्शक सिद्धांत बन चुका है।
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