बीमा क्षेत्र में 100% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI): ‘इंश्योरेंस फॉर ऑल 2047’ की दिशा में निर्णायक कदम
16 December 2025 को लोकसभा ने बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित कर बीमा क्षेत्र में 100% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का मार्ग प्रशस्त किया। इससे पहले बीमा क्षेत्र में FDI की अधिकतम सीमा 74% थी। यह सुधार केंद्र सरकार के दीर्घकालिक विजन “Insurance for All by 2047” का एक अहम स्तंभ है, जिसका उद्देश्य बीमा कवरेज का विस्तार, वित्तीय सुरक्षा को सुदृढ़ करना तथा भारतीय बीमा बाजार को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना है।
यह कदम भारत की आर्थिक उदारीकरण नीति की निरंतरता को दर्शाता है, जिसमें रणनीतिक क्षेत्रों को नियंत्रित ढंग से वैश्विक पूंजी, तकनीक और प्रबंधकीय दक्षता के लिए खोला जा रहा है।
विधेयक की पृष्ठभूमि और प्रमुख प्रावधान
भारत में बीमा क्षेत्र का उदारीकरण क्रमिक रहा है। 2021 में FDI सीमा को 49% से बढ़ाकर 74% किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप लगभग ₹82,000 करोड़ का विदेशी निवेश आया। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए अब यह विधेयक विदेशी कंपनियों को भारतीय बीमा कंपनियों में पूर्ण स्वामित्व की अनुमति देता है। इससे संयुक्त उपक्रम (Joint Venture) की अनिवार्यता समाप्त हो जाती है और नए वैश्विक खिलाड़ियों का प्रवेश सुगम होगा।
विधेयक पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि प्रतिस्पर्धा से ही उपभोक्ताओं को लाभ मिलता है। अधिक कंपनियों के प्रवेश से प्रीमियम दरें तर्कसंगत होंगी और सेवाओं की गुणवत्ता बेहतर होगी।
विधेयक के अन्य महत्वपूर्ण प्रावधानों में शामिल हैं—
- सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों, विशेषकर LIC, की वित्तीय स्थिति को मजबूत करना।
- कंपोजिट लाइसेंसिंग के माध्यम से नियामकीय ढांचे को सरल बनाना।
- बीमा मध्यस्थों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को आसान करना।
- उपभोक्ता संरक्षण और वित्तीय स्थिरता के लिए नियामक की भूमिका को सुदृढ़ करना।
साथ ही, राष्ट्रीय हितों की रक्षा हेतु यह प्रावधान बना रहेगा कि अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक या CEO जैसे प्रमुख पदों पर भारतीय नागरिक की नियुक्ति अनिवार्य होगी।
आर्थिक महत्व और अपेक्षित लाभ
वैश्विक स्तर की तुलना में भारत में बीमा पैठ अभी भी सीमित है। जीवन बीमा की पैठ लगभग 3–4% GDP है, जबकि गैर-जीवन बीमा की पैठ 1% से भी कम है। इस संदर्भ में 100% FDI का निर्णय दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।
1. पूंजी प्रवाह में वृद्धि
पूर्ण विदेशी स्वामित्व की अनुमति से दीर्घकालिक और स्थिर विदेशी पूंजी आएगी, जिससे बीमा कंपनियों की वित्तीय क्षमता और जोखिम वहन करने की क्षमता बढ़ेगी।
2. प्रतिस्पर्धा और नवाचार
वैश्विक बीमा कंपनियों के प्रवेश से उन्नत जोखिम प्रबंधन, नई बीमा उत्पाद श्रृंखलाएँ और डिजिटल तकनीकों—जैसे AI आधारित अंडरराइटिंग और त्वरित क्लेम निपटान—को बढ़ावा मिलेगा।
3. उपभोक्ता हित
- अपेक्षाकृत कम प्रीमियम दरें
- अधिक उत्पाद विविधता
- ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बीमा सेवाओं का विस्तार
4. रोजगार और अवसंरचना विकास
बीमा क्षेत्र के विस्तार से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। साथ ही, बीमा फंड्स को दीर्घकालिक अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश के लिए उपयोग किया जा सकेगा।
चुनौतियाँ और आलोचनाएँ
कुछ विपक्षी दलों ने आशंका जताई है कि यह कदम विदेशी कंपनियों को अत्यधिक लाभ पहुँचा सकता है और सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों पर प्रतिस्पर्धात्मक दबाव बढ़ा सकता है। इसके अतिरिक्त, एक संवेदनशील सामाजिक क्षेत्र में विदेशी नियंत्रण को लेकर भी प्रश्न उठाए गए हैं।
सरकार का तर्क है कि मजबूत नियामकीय व्यवस्था, IRDAI की निगरानी और प्रशासनिक सुरक्षा उपायों के साथ यह सुधार उपभोक्ता हितों को सर्वोपरि रखेगा। नीति के स्तर पर चुनौती विदेशी स्वामित्व से अधिक प्रभावी नियमन और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने की है।
निष्कर्ष
बीमा क्षेत्र में 100% FDI की अनुमति भारत को एक आधुनिक, प्रतिस्पर्धी और समावेशी वित्तीय प्रणाली की ओर ले जाने वाला निर्णायक कदम है। यदि इसका क्रियान्वयन संतुलित नियमन, उपभोक्ता संरक्षण और घरेलू संस्थानों की क्षमता वृद्धि के साथ किया जाता है, तो यह सुधार बीमा को आम नागरिक की वित्तीय सुरक्षा का सशक्त माध्यम बना सकता है।
राज्यसभा में विचार और राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद यह विधेयक लागू होगा। दीर्घकाल में, यह पहल “Viksit Bharat @ 2047” के लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जहाँ बीमा न केवल वित्तीय उत्पाद बल्कि सामाजिक सुरक्षा की रीढ़ बन सकेगा।
With LiveMint Inputs
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