Bulgarian PM Rosen Zhelyazkov’s Resignation: What It Means for Europe’s Poorest EU Member in a Pre-Eurozone Transition
बुल्गारियाई प्रधानमंत्री रोज़ेन ज़ेल्याज़्कोव का इस्तीफ़ा: राजनीतिक नवीकरण की शुरुआत या अस्थिरता की पुनरावृत्ति?
परिचय
11 दिसंबर 2025 को बुल्गारिया के प्रधानमंत्री रोज़ेन ज़ेल्याज़्कोव ने एक अप्रत्याशित टेलीविज़न संबोधन में अपनी गठबंधन सरकार के इस्तीफ़े की घोषणा की। यह निर्णय उस क्षण लिया गया जब संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होना था और उनके पराजित होने की संभावना लगभग निश्चित थी। नई बजट नीतियों, कर बढ़ोतरी, और भ्रष्टाचार-रोधी सुधारों में सरकार की निष्क्रियता के विरुद्ध उठी व्यापक नागरिक आंदोलनों ने सोफ़िया सहित कई शहरों को आंदोलित कर दिया था। ठीक तब, जब बुल्गारिया 1 जनवरी 2026 से यूरो को अपनाने की कगार पर था, प्रधानमंत्री का यह कदम देश की लोकतांत्रिक दृढ़ता, यूरोपीय एकीकरण और राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
यह इस्तीफ़ा केवल एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि यह प्रश्न भी है—क्या यह बदलाव की शुरुआत है या फिर उस राजनीतिक चक्र का अगला अध्याय, जिसमें अस्थिरता बार-बार लौट आती है?
बुल्गारिया का राजनीतिक इतिहास: विरोध प्रदर्शनों और कमजोर सरकारों का चक्र
बुल्गारिया का समकालीन राजनीतिक इतिहास निरंतर उथल-पुथल से भरा है। 2007 में यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद से यह देश लगातार भ्रष्टाचार, कमजोर न्यायिक संस्थाओं और अलोकतांत्रिक हित समूहों के प्रभाव से जूझ रहा है। पिछले पाँच वर्षों में छह सरकारों का पतन और 2020 से हुए सात आम चुनाव यह दर्शाते हैं कि राजनीतिक स्थिरता यहाँ एक दुर्लभ वस्तु बन चुकी है।
विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि
नवंबर 2025 में सरकार द्वारा प्रस्तुत यूरो-मूल्यांकित 2026 बजट ने व्यापक जन असंतोष को जन्म दिया। इस बजट में—
- सामाजिक सुरक्षा अंशदान बढ़ाने,
- लाभांश कर में वृद्धि,
- और पुलिस, न्यायपालिका व सुरक्षा एजेंसियों पर भारी व्यय
का प्रस्ताव था। आलोचकों के अनुसार बजट का यह स्वरूप मध्यम वर्ग और छोटे निवेशकों पर बोझ डालता जबकि भ्रष्टाचार से जुड़े तंत्रों को और मजबूत करता।
सरकार ने 4 दिसंबर को दबाव में बजट वापस ले लिया, परंतु आंदोलन की प्रकृति बदल चुकी थी। इसे अब केवल कर नीति विरोध के रूप में नहीं देखा गया; यह शासन-शैली, अहंकार, और शक्ति-केंद्रित राजनीतिक संरचना के विरुद्ध उभरे जन-असंतोष का प्रतीक बन गया।
10 दिसंबर को सोफ़िया की सड़कों पर 1 लाख से अधिक लोग उतरे—छात्र, नौकरीपेशा वर्ग, ग्रामीण समुदाय, और राजनीतिक रूप से उदासीन नागरिक भी। यह व्यापक सहभागिता 2020 के उन प्रदर्शनों की याद दिलाती है, जिनसे तत्कालीन प्रधानमंत्री बॉयको बोरिसोव को सत्ता छोड़नी पड़ी थी।
जनता के बढ़ते दबाव को देखते हुए राष्ट्रपति रुमेन रादेव ने खुले रूप से सरकार को इस्तीफ़ा देने की सलाह दी, जिससे प्रशासन का नैतिक आधार और कमजोर हो गया।
आर्थिक नीतियां और भ्रष्टाचार: यूरोज़ोन की छाया में एक राजनीतिक संकट
1. बजट और आर्थिक तनाव
यूरो अपनाने से पहले बुल्गारिया को यूरोपीय संघ के सम्मिलन मानकों का पालन करना अनिवार्य है। यही कारण था कि ज़ेल्याज़्कोव सरकार सार्वजनिक सेवाओं और सुरक्षा तंत्र में निवेश बढ़ाना चाहती थी। परंतु—
- लाभांश कर को 10% तक बढ़ाने,
- सामाजिक सुरक्षा अंशदान में वृद्धि,
- और सुरक्षा एजेंसियों पर असाधारण व्यय
को व्यापक जनसमर्थन नहीं मिल पाया।
मध्यम वर्ग में यह धारणा बनी कि सरकार आर्थिक बोझ को आम लोगों पर डालते हुए उन संस्थाओं को लाभ पहुंचा रही है जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते रहे हैं।
2. भ्रष्टाचार का स्थायी संकट
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा लगातार EU में सबसे भ्रष्ट देश के रूप में चिन्हित किया जाना बुल्गारिया की सबसे बड़ी समस्या है। मीडिया उद्योग से लेकर सार्वजनिक ठेकों तक, शक्तिशाली कारोबारी समूहों और राजनेताओं का गठजोड़ जनता में गहरी निराशा पैदा करता रहा है।
ज़ेल्याज़्कोव स्वयं बोरिसोव सरकार में मंत्री रह चुके थे, और विपक्ष का आरोप था कि वे "पुराने नेटवर्क" को संरक्षित रखने में अधिक रुचि रखते थे। यूरोपीय पब्लिक प्रोसिक्यूटर ऑफिस द्वारा कई मामलों में बुल्गारिया की निष्क्रियता पर उठाए गए सवालों ने जनता के आक्रोश को और मजबूत किया।
3. यूरो अपनाने का संक्रमणकाल और राजनीतिक जोखिम
यूरो अपनाने से—
- मुद्रा स्थिरता,
- निवेश में वृद्धि,
- और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेहतर पहुंच
जैसे लाभ मिलने की उम्मीद है। परंतु राजनीतिक अनिश्चितता निवेशकों के विश्वास को डगमगा सकती है।
इस संक्रमण के दौरान इस्तीफ़ा—
- विनिमय दर की स्थिरता
- सरकारी कार्यक्रमों की निरंतरता
- और आर्थिक सुधार
पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। यही कारण है कि सोशल मीडिया पर "अराजकता" की आशंकाओं और यूरोपीय राजनीतिक प्रवृत्तियों से समानताओं ने बहस को और तीखा कर दिया।
क्या आगे स्नैप चुनाव? संभावित राजनीतिक परिदृश्य
संविधान के अनुसार अब राष्ट्रपति रादेव क्रमशः प्रमुख दलों को सरकार गठन का निमंत्रण देंगे। यदि कोई भी दल बहुमत नहीं जुटा पाता है, तो—
- एक कार्यवाहक सरकार बनाई जा सकती है
- और मध्य 2026 में नए चुनाव कराए जा सकते हैं
GERB नेता बॉयको बोरिसोव ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उनका दल अब “सशक्त विपक्ष” की भूमिका निभाएगा—इससे संभावित राजनीतिक ध्रुवीकरण का संकेत मिलता है।
सुधार की राह
यदि अगली सरकार बुल्गारिया को स्थिरता की ओर ले जाना चाहती है, तो उसे—
- पारदर्शी बजट प्रक्रिया,
- न्यायिक स्वतंत्रता,
- भ्रष्टाचार विरोधी संस्थागत सुधार,
- और नागरिक संवाद
को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी।
केवल राजनीतिक परिवर्तन पर्याप्त नहीं; शासन की संस्कृति में परिवर्तन ही स्थायित्व ला सकता है।
निष्कर्ष: नवीकरण का अवसर या अतीत की पुनरावृत्ति?
रोज़ेन ज़ेल्याज़्कोव का इस्तीफ़ा जनता की शक्ति का प्रतीक है—यह दिखाता है कि जब नागरिक संगठित होकर आवाज़ उठाते हैं तो सत्ता-तंत्र को जवाबदेही स्वीकार करनी ही पड़ती है। परंतु यह भी स्पष्ट है कि यह इस्तीफ़ा किसी स्थायी समाधान की गारंटी नहीं।
बुल्गारिया के लिए वास्तविक चुनौती अब यह है कि—
- क्या यह ऊर्जा स्थायी राजनीतिक सुधार में बदल पाएगी,
- या फिर देश एक बार फिर चुनावों, प्रशासनिक गतिरोध और अविश्वास के चक्र में फंस जाएगा।
सोफ़िया की सड़कों पर उठे जनस्वर कहते हैं—सच्चा परिवर्तन सत्ता परिवर्तन से नहीं, बल्कि शासन के ढांचे और राजनीतिक संस्कृति के पुनर्निर्माण से आता है।
With Reuters Inputs
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