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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Eastern Congo’s Sexual Violence Crisis: The World’s Worst Conflict-Related Atrocity Explained

पूर्वी कांगो में यौन हिंसा का वैश्विक संकट: दुनिया का सबसे भयावह संघर्ष-संबंधी अत्याचार

(एक शैक्षणिक और विश्लेषणात्मक लेख)

पूरे मामले को जड़ से समझने के लिए पहले इस लेख को पढ़ें.

पूर्वी डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) पिछले तीन दशकों से हिंसक संघर्ष और भू-राजनीतिक प्रतियोगिता का केंद्र बना हुआ है। अफ्रीका के इस खनिज-समृद्ध लेकिन राजनीतिक रूप से अस्थिर क्षेत्र में सशस्त्र गुटों की बहुलता, जातीय तनाव, बाहरी हस्तक्षेप और राज्य क्षमता के क्षरण ने एक ऐसा परिदृश्य निर्मित किया है जहाँ हिंसा अब केवल सैन्य कार्रवाई नहीं—बल्कि एक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध के रूप में विकसित हो चुकी है। इस हिंसा के सबसे भयावह आयामों में से एक है यौन हिंसा का संगठित, योजनाबद्ध और संस्थागत रूप, जो अब विश्व का सबसे गंभीर संघर्ष-संबंधी यौन अत्याचार संकट माना जा रहा है।

2025 में UNICEF ने पूर्वी कांगो की स्थिति को “पिछले कई दशकों में संघर्ष-संबंधी यौन हिंसा का सबसे भयावह वैश्विक प्रकोप” घोषित किया। रिपोर्टें बताती हैं कि हर तीस मिनट में एक बच्चा बलात्कार का शिकार बन रहा है। UNFPA के अनुसार जनवरी–सितंबर 2025 के बीच क्षेत्र में 81,388 यौन हिंसा के मामले दर्ज हुए, जो 2024 की तुलना में लगभग 31.5% अधिक हैं। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि पीड़ितों में एक-तिहाई से अधिक 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे हैं।

ध्यान देना आवश्यक है कि यह केवल दर्ज मामलों की संख्या है। सहायता संगठनों का कहना है कि भय, कलंक और सुरक्षा की अनुपस्थिति के कारण अधिकांश पीड़ित कभी सामने ही नहीं आ पाते—अर्थात वास्तविक आँकड़े इससे कहीं अधिक भयावह हो सकते हैं।


1. यौन हिंसा का सैन्यकरण: भय फैलाने की रणनीति

पूर्वी कांगो में यौन हिंसा अब “युद्ध की अनियंत्रित उपज” नहीं है; यह सशस्त्र गुटों की सुसंगठित सैन्य रणनीति बन चुकी है।

  • M23, स्थानीय मिलिशिया, ‘माई-माई’ समूह, और विदेशी लड़ाकों से जुड़े कई गुट इसे समुदायों को आतंकित करने, सामाजिक ढाँचा तोड़ने और जनसंख्या को जबरन विस्थापित करने के लिए उपयोग कर रहे हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि इस प्रकार की यौन हिंसा “युद्ध अपराध” और “मानवता के खिलाफ अपराध” की श्रेणी में आती है।

इस हथियारीकरण का मुख्य उद्देश्य है:

  1. समुदायों को सामाजिक रूप से तोड़ना, ताकि सशस्त्र गुटों के प्रति विरोध कमजोर हो।
  2. जनसंख्या का जनसांख्यिकीकरण, यानी लोगों को डराकर क्षेत्र खाली करवाना।
  3. बच्चों और महिलाओं को मनोवैज्ञानिक रूप से अपंग बनाकर दीर्घकालिक सामाजिक अस्थिरता पैदा करना।

2. बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा: भविष्य की पीढ़ी पर आघात

पीड़ितों में बच्चों की असामान्य संख्या इस संकट को और भी गंभीर बनाती है। बच्चों पर इस हिंसा के प्रभाव बहुस्तरीय हैं:

(क) शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर

  • गंभीर आघात, शारीरिक अन्तःक्षति
  • HIV और यौन संचारित रोगों का उच्च जोखिम
  • अवांछित गर्भधारण
  • दीर्घकालिक PTSD, अवसाद, और आत्मघाती प्रवृत्तियाँ

(ख) सामाजिक परिणाम

  • समुदाय द्वारा बहिष्कार, परिवार का टूटना
  • स्कूल छोड़ने की मजबूरी
  • आजीवन आर्थिक-सामाजिक हाशियाकरण

(ग) पीढ़ीगत आघात (Intergenerational Trauma)

यौन हिंसा से जन्मे बच्चे सामाजिक बहिष्कार का पुनरावर्ती चक्र भुगतते हैं—जिससे हिंसा का स्वरूप पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।


3. क्षेत्रीय राजनीति और दण्ड से मुक्ति (Impunity)

DRC की समस्या केवल आंतरिक संघर्ष नहीं है; यह एक क्षेत्रीय भू-राजनीतिक संकट है।

(क) रवांडा की भूमिका

संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ पैनल ने लगातार प्रमाणित किया है कि M23 को रवांडा से:

  • हथियार
  • रसद
  • प्रशिक्षण
  • और कभी-कभी प्रत्यक्ष सैन्य सहयोग

प्राप्त होता है। यह समर्थन M23 को दण्ड से मुक्ति प्रदान करता है, क्योंकि उसकी संरचना केवल “स्थानीय विद्रोह” नहीं बल्कि बाहरी समर्थन से सक्षम आधुनिक सैन्य गुट की तरह है।

(ख) अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सीमाएँ

MONUSCO (संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन) दुनिया के सबसे बड़े मिशनों में से एक है, पर:

  • उसके पास सैन्य कार्यवाही करने का अधिकार सीमित है,
  • जनसंख्या की सुरक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता कमजोर है,
  • और राजनीतिक समाधान में उसकी भूमिका निर्णायक नहीं है।

परिणामस्वरूप, हिंसा का चक्र अविराम जारी रहता है।


4. मानवीय प्रतिक्रिया में भारी कमी

पूर्वी कांगो के चिकित्सा और मानवीय संस्थानों पर बोझ असहनीय है।

पनज़ी अस्पताल—जिसे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डॉ. डेनिस मुकवेगे संचालित करते हैं—हजारों पीड़ितों का पुनर्वास कर रहा है, पर:

  • डॉक्टरों की भारी कमी,
  • दवाइयों और शल्य चिकित्सा उपकरणों का अभाव,
  • परामर्श और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी

इसे असंभव चुनौती बना देते हैं।

इसके अतिरिक्त:

  • कानूनी सहायता लगभग नगण्य है
  • ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा शून्य है
  • और मानवीय संगठनों पर बार-बार हमले होते रहते हैं

5. संकट के गहरे सामाजिक-राजनीतिक निहितार्थ

(क) सामाजिक संरचना का विघटन

यौन हिंसा परिवार, समुदाय और सामाजिक विश्वास को नष्ट करती है—जो राज्य निर्माण की प्रक्रिया को अस्थिर करता है।

(ख) आर्थिक नुकसान

घायल और आघातग्रस्त जनसंख्या श्रम-शक्ति से बाहर हो जाती है, जिसके कारण:

  • कृषि
  • खनन
  • और स्थानीय अर्थव्यवस्था

पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है।

(ग) राज्य क्षमता का क्षरण

सुरक्षा बलों की निष्क्रियता, भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता इस संकट को और गहरा करते हैं।

(घ) वैश्विक आपूर्ति-श्रृंखला पर प्रभाव

कांगो कोल्टान, कोबाल्ट और टंगस्टन जैसी महत्वपूर्ण खनिज धातुओं का प्रमुख स्रोत है—जो वैश्विक मोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहनों और आधुनिक तकनीक के लिए अनिवार्य हैं।
हिंसा और यौन अपराध इस वैश्विक उद्योग की नीतिगत नैतिकता पर भी प्रश्न खड़ा करते हैं।


निष्कर्ष: यह केवल कांगो का संकट नहीं, वैश्विक मानवता की परीक्षा है

पूर्वी कांगो में हर तीस मिनट में एक बच्चे का बलात्कार केवल एक आँकड़ा नहीं—यह मानवता की सामूहिक विफलता का प्रमाण है। यह संकट उस बिंदु पर पहुँच चुका है जहाँ केवल मानवीय सहायता पर्याप्त नहीं है; राजनीतिक, दण्डात्मक और संस्थागत हस्तक्षेप अनिवार्य हो चुका है।


आगे की राह: क्या होना चाहिए?

1. यौन हिंसा को युद्ध अपराध के रूप में प्राथमिकता

ICC और UN को इसे स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंडा की शीर्ष प्राथमिकता घोषित करना चाहिए।

2. बच्चों के लिए विशेष अंतरराष्ट्रीय कोष

पुनर्वास, परामर्श, शिक्षा और पुनर्स्थापन हेतु वैश्विक कोष स्थापित किया जाना चाहिए।

3. क्षेत्रीय देशों पर कड़े प्रतिबंध

विशेष रूप से उन पर जो सशस्त्र गुटों को हथियार, धन या सुरक्षा प्रदान करते हैं।

4. MONUSCO को वास्तविक कार्यकारी अधिकार

सुरक्षा और नागरिक संरक्षण के लिए UN को अपने मौजूदा “निगरानी-आधारित” मॉडल से आगे बढ़ना होगा।

5. स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग

तत्काल गठित किया जाए ताकि अपराधों का दस्तावेजीकरण हो, दोषियों की पहचान हो और अभियोजन की प्रक्रिया तेज हो।


समापन

पूर्वी कांगो का यह संकट हमें यह स्मरण कराता है कि आधुनिक विश्व में युद्ध अब केवल हथियारों से नहीं लड़ा जाता; शरीर, सम्मान और बचपन को भी युद्धभूमि बना दिया जाता है।
यदि वैश्विक समुदाय अब भी मौन रहा, तो यह मौन केवल कांगो के बच्चों को नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक नैतिकता को भी शर्मसार करता रहेगा।

पूरे मामले को जड़ से समझने के लिए इस लेख को भी पढ़ें.


With Reuters Inputs 

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