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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Trump’s Emotional Plea to End the Gaza War: Could This Be the Dawn of a New Middle East Peace?

गाजा संघर्ष पर ट्रम्प की अपील: क्या यह मध्य पूर्व में शांति की नई शुरुआत है?

प्रस्तावना: संघर्ष की थकान और अंतरराष्ट्रीय चेतावनी

गाजा की गलियों में मलबे के ढेर, हजारों निर्दोष मौतें और निराशा—यह सिर्फ एक मानवीय त्रासदी नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय तंत्र की विफलता की निशानी भी है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में डोनाल्ड ट्रम्प का यह कहना कि “अब रक्तपात बंद हो” केवल एक भावुक अपील नहीं, बल्कि मध्य पूर्व की कूटनीतिक दिशा बदलने की कोशिश भी है।

पृष्ठभूमि: गाजा में 20 माह का युद्ध और वैश्विक असर

इजरायल और हमास के बीच यह संघर्ष दो साल से अधिक चला आ रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 40,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। यह युद्ध अब केवल क्षेत्रीय विवाद नहीं रह गया, बल्कि वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति, शरणार्थी संकट और कट्टरपंथी संगठनों के पुनर्जीवन जैसे गंभीर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को भी जन्म दे रहा है।

ट्रम्प का नया अवतार: कूटनीति और समावेशिता का संदेश

2016–20 के कार्यकाल में ट्रम्प के नेतृत्व में ‘अब्राहम समझौते’ जैसे ऐतिहासिक कदम हुए थे, जिनसे इजरायल और अरब देशों के बीच संबंध सामान्य हुए। लेकिन इस बार ट्रम्प का लहजा अधिक संतुलित और संवेदनशील है। उन्होंने इजरायल, हमास और क्षेत्रीय शक्तियों सभी से एक साथ बातचीत का आह्वान किया—जो उनके पहले कार्यकाल की तुलनात्मक रूप से ‘एकतरफा’ नीति से अलग है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ: अवसर या भ्रम?

फिलिस्तीनी प्रतिनिधियों ने ट्रम्प की पहल को ‘साहसिक और स्वागतयोग्य’ कहा, जबकि इजरायल ने इसे सतर्कता के साथ लिया। कई यूरोपीय देश भी इस वक्त युद्धविराम के पक्ष में हैं, मगर अमेरिका और उसकी पश्चिमी सहयोगी शक्तियों के हित इस पहल को कितना समर्थन देंगे, यह बड़ा सवाल है।

  • समर्थन के पक्ष में: मानवीय संकट को रोकना, आतंकवाद और शरणार्थी संकट को कम करना।
  • सतर्कता के कारण: हमास की हिंसक कार्रवाइयाँ, इजरायल की सुरक्षा चिंताएँ, और अमेरिका की घरेलू राजनीति।

विश्लेषण: क्या यह ‘अब्राहम समझौता 2.0’ की दिशा है?

ट्रम्प की अपील को अमेरिकी चुनावी संदर्भ से भी देखा जा सकता है। 2024 की जीत के बाद वे 2025 में वैश्विक मंच पर लौट रहे हैं और मध्य पूर्व में ‘शांति निर्माता’ की छवि गढ़ना चाहते हैं। किंतु गाजा के मौजूदा हालात कहीं अधिक जटिल हैं—ईरान का प्रभाव, क्षेत्रीय प्रॉक्सी युद्ध और संयुक्त राष्ट्र की सीमित भूमिका, सब मिलकर शांति की राह में कठिनाई बढ़ाते हैं।

मानवीय दृष्टिकोण: केवल कूटनीति नहीं, नैतिक जिम्मेदारी भी

हर दिन मरते बच्चे और बेघर परिवार सिर्फ आँकड़े नहीं, बल्कि अंतरात्मा को झकझोरने वाले सवाल हैं। अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत युद्धरत पक्षों को नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। ऐसे में ट्रम्प की अपील न केवल राजनीतिक बल्कि नैतिक आयाम भी रखती है।

भविष्य की राह: विश्व समुदाय के लिए परीक्षण की घड़ी

अगर यह पहल सफल होती है, तो यह संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक कूटनीति के पुनर्जीवन का संकेत होगी। यदि नहीं, तो यह भी एक और असफल आह्वान बनकर रह जाएगी, जैसा कि अतीत में कई बार हुआ।

  • आवश्यक कदम: अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को सशक्त करना, मानवीय सहायता के लिए सुरक्षित गलियारे बनाना, और क्षेत्रीय शक्तियों को विश्वास में लेना।
  • चुनौती: इजरायल-हमास अविश्वास की गहरी खाई, हथियारबंद गुटों की भूमिका, और बड़ी शक्तियों की प्रतिस्पर्धी भू-राजनीति।

निष्कर्ष: इतिहास के मोड़ पर खड़ा मध्य पूर्व

गाजा युद्ध के इस मोड़ पर ट्रम्प की अपील इतिहास में या तो निर्णायक मोड़ बन सकती है या केवल भाषणों की फाइलों में दबी रह जाएगी। सवाल यही है—क्या विश्व नेता इस चुनौती को अवसर में बदल पाएँगे? जैसा कि ट्रम्प ने कहा, “इतिहास हमें माफ नहीं करेगा अगर हमने इस मौके को गंवा दिया।”


UPSC दृष्टिकोण के लिए प्रमुख बिंदु

  • अंतरराष्ट्रीय संबंध (GS Paper 2): अमेरिका की विदेश नीति, मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया, संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
  • नैतिक दृष्टिकोण (GS Paper 4): मानवीय संकट में नेताओं की नैतिक जिम्मेदारी।
  • आर्थिक और सुरक्षा पहलू (GS Paper 3): शरणार्थी संकट, ऊर्जा आपूर्ति और आतंकवाद।

इसी भाषण में ट्रम्प ने भारत पर क्या आरोप लगाए? यहां पढ़े.


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