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Immigration and Foreigners Act, 2025: India’s New Refugee Policy | UPSC Insights

इमिग्रेशन  और फॉरेनर्स एक्ट, 2025 – भारत की शरणार्थी नीति में नया अध्याय 1 सितंबर 2025 को लागू हुआ इमिग्रेशन और फॉरेनर्स एक्ट, 2025 भारत की आप्रवासन और शरणार्थी नीति में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अधिनियम विदेशी नागरिकों के प्रवेश, ठहरने और निकास को नियंत्रित करने के लिए नए नियम और आदेश लाता है, जो देश की सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ मानवीय मूल्यों को भी संरक्षित करता है। इसकी सबसे खास बात है तिब्बती शरणार्थियों और पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों (हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध, और ईसाई समुदायों) को दी गई छूट। यह कदम भारत की शरणार्थी नीति को न केवल पुनर्परिभाषित करता है, बल्कि इसे वैश्विक मंच पर एक संतुलित दृष्टिकोण के रूप में प्रस्तुत करता है। आइए, सरल और रुचिकर भाषा में इस अधिनियम के महत्व और प्रभाव को समझें। क्या है नया अधिनियम? यह अधिनियम विदेशी नागरिकों के लिए भारत में प्रवेश, रहने और देश छोड़ने की प्रक्रिया को और अधिक व्यवस्थित और सख्त करता है। पहले जहां आप्रवासन नियम कुछ हद तक अस्पष्ट या जटिल थे, यह नया कानून स्पष्टता लाता है। यह सुनिश्चि...

Canadian Report Reveals: Khalistani Extremist Groups Receiving Funding from Canada | India-Canada Relations & UPSC Perspective

कनाडाई रिपोर्ट का बड़ा खुलासा: खालिस्तानी चरमपंथी समूहों को मिल रहा है कनाडा से वित्तीय समर्थन

प्रस्तावना: लोकतंत्र की छवि और छुपा हुआ संकट

कनाडा दुनिया में लोकतंत्र, बहुसांस्कृतिकता और शांति का प्रतीक माना जाता है। लेकिन हाल ही में आई एक आधिकारिक रिपोर्ट ने उस छवि पर गहरी चोट की है। रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि कनाडा से धन प्रवाह खालिस्तानी चरमपंथी संगठनों तक पहुंच रहा है, जो भारत की सुरक्षा और वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा हैं। यह खुलासा केवल भारत-कनाडा रिश्तों के संदर्भ में ही नहीं, बल्कि वैश्विक आतंकवाद-रोधी सहयोग, प्रवासी समुदाय की भूमिका और आतंकवाद वित्तपोषण (Terror Financing) की जटिलता को भी उजागर करता है।


रिपोर्ट का सार: क्या कहा गया है?

कनाडा के वित्त विभाग द्वारा जारी “2025 Assessment of Money Laundering and Terrorist Financing Risks in Canada” रिपोर्ट ने सीधे तौर पर बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF) को चिन्हित किया है।

  • ये संगठन कनाडा से प्राप्त फंडिंग का इस्तेमाल भारत में हिंसक गतिविधियों और खालिस्तान आंदोलन को बढ़ाने में करते हैं।
  • इन्हें कनाडा के आतंकी संगठनों की सूची में हमास और हिज़्बुल्लाह जैसी इकाइयों के साथ रखा गया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, अब ये बड़े संगठनों की बजाय छोटे-छोटे नेटवर्क के रूप में काम कर रहे हैं और प्रवासी समुदायों से धन जुटाते हैं।

फंडिंग के तरीके: कैसे पहुंचता है पैसा?

रिपोर्ट ने कई स्रोतों का उल्लेख किया है जिनसे इन समूहों को फंडिंग मिलती है:

  1. गैर-लाभकारी संगठन (NPOs) और चैरिटी – धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों के नाम पर दान इकट्ठा कर आतंकवाद के लिए इस्तेमाल।
  2. क्रिप्टोकरेंसी और बैंकिंग सिस्टम – लेन-देन को ट्रेस करना मुश्किल होता है।
  3. मनी सर्विस बिज़नेस (MSBs) – हवाला जैसी प्रणालियाँ।
  4. संगठित अपराध – ड्रग तस्करी, वाहन चोरी और नकली पासपोर्ट रैकेट।

कनाडा की खुफिया एजेंसी CSIS पहले ही चेतावनी दे चुकी थी कि खालिस्तानी चरमपंथी कनाडा को प्रचार, फंडिंग और रणनीति तैयार करने का सेफ ज़ोन मानते हैं।


ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: क्यों है यह मुद्दा संवेदनशील?

  • 1985 का एयर इंडिया Kanishka बम विस्फोट – कनाडा से योजनाबद्ध, 329 लोगों की मौत। यह अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला है जिसमें कनाडा से खालिस्तानी तत्व जुड़े।
  • 1980–90 का दौर – पंजाब में उग्रवाद, और कनाडा में खालिस्तानी डायस्पोरा का सक्रिय समर्थन।
  • 2023 – निज्जर विवाद – कनाडा के तत्कालीन पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाया, जिससे रिश्ते लगभग टूटने की कगार पर आ गए।

भारत-कनाडा संबंधों पर असर

  1. कूटनीतिक संबंध – 2023 में दूतावास कर्मियों को वापस बुलाना पड़ा, व्यापार वार्ताएं स्थगित हुईं।
  2. आर्थिक असर – 100 अरब डॉलर के संभावित व्यापार समझौते पर ब्रेक।
  3. प्रवासी भारतीय – कनाडा में 18 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जिनमें पंजाब से सबसे बड़ा समुदाय है। यही समुदाय रिश्तों का सेतु भी है और तनाव का कारण भी।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य: आतंकवाद वित्तपोषण और FATF

यह रिपोर्ट भारत की उस पुरानी दलील को पुष्ट करती है कि आतंकवाद केवल सीमा-पार पनाहगाहों से नहीं, बल्कि सुरक्षित पश्चिमी लोकतंत्रों से मिलने वाली फंडिंग से भी जीवित है।

  • FATF (Financial Action Task Force) जैसे वैश्विक संस्थान बार-बार चेताते रहे हैं कि चैरिटी और NPO का दुरुपयोग आतंकवादी संगठनों द्वारा किया जाता है।
  • यदि कनाडा इन प्रवृत्तियों पर सख्ती नहीं करता तो यह उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

UPSC दृष्टिकोण से महत्व

  1. GS पेपर 2 – अंतरराष्ट्रीय संबंध

    • भारत-कनाडा रिश्ते और कूटनीतिक तनाव।
    • प्रवासी भारतीयों की दोहरी भूमिका – सांस्कृतिक दूत बनाम सुरक्षा चुनौती।
  2. GS पेपर 3 – आंतरिक सुरक्षा

    • आतंकवाद का वित्तपोषण और क्रिप्टो/हवाला नेटवर्क।
    • विदेशों से मिलने वाला समर्थन और भारत की सुरक्षा रणनीति।
  3. निबंध / GS पेपर 4 – नैतिकता

    • लोकतांत्रिक मूल्यों और सुरक्षा के बीच संतुलन।
    • प्रवासी समुदाय की जिम्मेदारी: मातृभूमि की सेवा या हिंसक अलगाववाद का समर्थन?

भारत के लिए नीति विकल्प

  1. कूटनीतिक दबाव – नई सरकार (PM मार्क कार्नी) से ठोस कार्रवाई की मांग।
  2. FATF और G20 मंचों पर आवाज – वैश्विक सहयोग को बढ़ाना।
  3. डायस्पोरा एंगेजमेंट – प्रवासी भारतीयों से संवाद, ताकि कट्टरपंथी तत्व अलग-थलग पड़ें।
  4. काउंटर-नैरेटिव – सोशल मीडिया और शिक्षा के जरिए खालिस्तान विचारधारा को चुनौती।

निष्कर्ष: सबक और आगे की राह

यह रिपोर्ट भारत के लिए कूटनीतिक जीत है क्योंकि उसकी चिंताओं को अब आधिकारिक मान्यता मिली है। कनाडा के लिए यह अंतरात्मा की कसौटी है – क्या वह बहुसांस्कृतिकता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हिंसक अलगाववाद को बढ़ावा देता रहेगा या ठोस कदम उठाएगा?

UPSC विद्यार्थियों के लिए यह मुद्दा कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है – अंतरराष्ट्रीय संबंध, आंतरिक सुरक्षा, वैश्विक आतंकवाद, और डायस्पोरा की भूमिका। सरल शब्दों में कहें तो, “वैश्विक शांति के लिए घर की सफाई जरूरी है।”

भारत की कूटनीति ने अब गेंद कनाडा के पाले में डाल दी है। आगे का इतिहास इस पर निर्भर करेगा कि कनाडा इस चुनौती से कैसे निपटता है।



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