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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

भारत की सैन्य शक्ति: पड़ोसियों से आगे लेकिन चुनौतियाँ बरकरार

 ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स 2025 में अमेरिका रूस व चीन के बाद भारत का चौथे स्थान पर आना न केवल उसकी बढ़ती सैन्य ताकत का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब विश्व के शीर्ष रक्षा शक्तियों में शामिल हो चुका है। यह उपलब्धि उत्साहजनक है, लेकिन इसके साथ कई चुनौतियाँ और दायित्व भी जुड़े हुए हैं।

भारत की सैन्य स्थिति: पड़ोसी देशों से आगे

ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स की ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत अपने पड़ोसी देशों से काफी आगे है। चीन (तीसरा स्थान) को छोड़कर, अन्य कोई पड़ोसी भारत के आसपास भी नहीं टिकता। पाकिस्तान 12वें, बांग्लादेश 35वें, म्यांमार 37वें, श्रीलंका 69वें और नेपाल 126वें स्थान पर है। इस सूची में भूटान सबसे नीचे है, जो दर्शाता है कि भारत की सैन्य स्थिति दक्षिण एशिया में सबसे मजबूत बनी हुई है।

क्या केवल रैंकिंग ही काफी है?

हालाँकि, यह रैंकिंग महत्वपूर्ण है, लेकिन सैन्य शक्ति सिर्फ नंबरों का खेल नहीं है। आज के दौर में युद्ध केवल सैनिकों और हथियारों से नहीं जीते जाते, बल्कि तकनीक, रणनीतिक गठबंधनों और आर्थिक शक्ति का भी उतना ही महत्व है।

1. तकनीकी आत्मनिर्भरता की आवश्यकता – भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी कई महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों के लिए विदेशी आपूर्तियों पर निर्भरता बनी हुई है।

2. चीन से मुकाबला – चीन की सैन्य शक्ति भारत से कहीं अधिक विकसित है, खासकर नौसेना और साइबर युद्धक्षमता के मामले में। भारत को अपने समुद्री रक्षा तंत्र को और मजबूत करने की जरूरत है।

3. आतंरिक सुरक्षा चुनौतियाँ – बाहरी खतरों के अलावा, भारत को आतंरिक चुनौतियों जैसे उग्रवाद, सीमा विवाद और साइबर सुरक्षा खतरों से भी निपटना होगा।

4. आर्थिक स्थिति और रक्षा बजट – भारत की सैन्य शक्ति का सीधा संबंध उसकी अर्थव्यवस्था से है। रक्षा बजट को संतुलित रखते हुए आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना आवश्यक होगा।

भारत की सैन्य शक्ति: भविष्य की दिशा

भारत को अब सिर्फ सैन्य शक्ति के मामले में बढ़त बनाए रखने की बजाय रणनीतिक कूटनीति, साइबर सुरक्षा, आधुनिक हथियार प्रणालियों और रक्षा उत्पादन क्षमता को भी प्राथमिकता देनी होगी।

निष्कर्ष

भारत का ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स में चौथे स्थान पर होना गर्व की बात है, लेकिन यह सफर यहीं खत्म नहीं होता। तकनीकी उन्नति, आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन, और अंतरराष्ट्रीय सैन्य सहयोग के साथ ही भारत एक सच्ची वैश्विक सैन्य शक्ति बन सकता है। आने वाले वर्षों में भारत को अपने इस स्थान को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे, ताकि वह न केवल दक्षिण एशिया बल्कि विश्व स्तर पर एक प्रमुख रक्षा शक्ति बन सके।


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✍️ARVIND SINGH PK REWA

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