Skip to main content

MENU👈

Show more

Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

फोर्ब्स की शक्तिशाली देशों की सूची से भारत का बाहर रहना: क्या यह न्यायसंगत है?

हाल ही में फोर्ब्स द्वारा जारी 2025 की दुनिया के 10 सबसे शक्तिशाली देशों की सूची में भारत का नाम नहीं है। यह आश्चर्यजनक और चिंताजनक दोनों है क्योंकि भारत न केवल एक बड़ी अर्थव्यवस्था है, बल्कि एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र भी है। ऐसे में, यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या फोर्ब्स की रैंकिंग के मानदंड भारत की वास्तविक वैश्विक स्थिति को दर्शाते हैं, या यह किसी पूर्व निर्धारित पश्चिमी दृष्टिकोण का परिणाम है?

भारत की शक्ति और वैश्विक प्रभाव

भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और हाल के वर्षों में चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति के रूप में उभरा है। इसके अलावा, भारत G20 की अध्यक्षता कर चुका है और वैश्विक मंचों पर 'वैश्विक दक्षिण' (Global South) की आवाज बनकर उभरा है।

अर्थव्यवस्था: भारत GDP के मामले में यूके, फ्रांस, और रूस से आगे निकल चुका है, जो इस सूची में स्थान प्राप्त कर चुके हैं।

सैन्य शक्ति: भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश है और स्वदेशी रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है।

राजनीतिक प्रभाव: भारत QUAD, BRICS, और SCO जैसे संगठनों का महत्वपूर्ण सदस्य है, जो उसकी वैश्विक कूटनीतिक स्थिति को दर्शाता है।

इन तथ्यों को देखते हुए, भारत का इस सूची में शामिल न होना न केवल आश्चर्यजनक है बल्कि यह भी संकेत देता है कि रैंकिंग के मानदंड पक्षपातपूर्ण हो सकते हैं।

क्या फोर्ब्स के मानदंड पक्षपाती हैं?

फोर्ब्स की रैंकिंग के लिए पाँच प्रमुख मानदंड अपनाए गए:

1. एक नेता की भूमिका

2. आर्थिक प्रभाव

3. राजनीतिक प्रभाव

4. मजबूत अंतरराष्ट्रीय गठबंधन

5. मजबूत सेना

यदि इन मानदंडों को निष्पक्ष रूप से लागू किया जाता, तो भारत को सूची में कम से कम छठे-सातवें स्थान पर होना चाहिए था।

यूके और फ्रांस जैसे देश, जिनका सैन्य और आर्थिक प्रभाव भारत से कम है, इस सूची में शामिल हैं।

सऊदी अरब और इज़राइल, जिनकी जनसंख्या और क्षेत्रफल भारत से बहुत छोटे हैं, लेकिन इस सूची में जगह बना पाए हैं।

दक्षिण कोरिया की आर्थिक और सैन्य शक्ति भी भारत से कम है, फिर भी उसे छठा स्थान दिया गया है।

यह स्पष्ट संकेत देता है कि फोर्ब्स की सूची पश्चिमी देशों और उनके सहयोगी राष्ट्रों को प्राथमिकता देती है, जबकि भारत जैसे उभरते हुए देशों की शक्ति को कम आंकती है।

पश्चिमी मीडिया की पूर्वाग्रही सोच?

पश्चिमी मीडिया अक्सर भारत की लोकतांत्रिक नीतियों, आंतरिक राजनीति और सामाजिक चुनौतियों को नकारात्मक रूप से प्रस्तुत करता है। हालांकि, ये समस्याएं अन्य देशों में भी हैं, लेकिन उनके प्रभाव को कम करके दिखाया जाता है।

रूस, चीन, और सऊदी अरब जैसे देश, जिनकी लोकतांत्रिक साख कमजोर है, इस सूची में ऊँचे स्थानों पर हैं।

भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और वैश्विक मंचों पर अपनी सकारात्मक भूमिका निभा रहा है, उसे सूची से बाहर रखा गया।

पश्चिमी मीडिया भारत को अक्सर 'अपरिपक्व लोकतंत्र' के रूप में पेश करता है, जबकि भारत की लोकतांत्रिक जड़ें अमेरिका और यूरोपीय देशों से भी पुरानी हैं।

ऐसे में, फोर्ब्स की रैंकिंग को निष्पक्ष कहना कठिन है।

क्या भारत को इन रैंकिंग्स की परवाह करनी चाहिए?

इस तरह की रैंकिंग्स भारत की वास्तविक शक्ति को बदल नहीं सकतीं। भारत का वैश्विक प्रभाव लगातार बढ़ रहा है, चाहे फोर्ब्स इसे माने या नहीं।

वैश्विक गठजोड़: भारत अमेरिका, रूस, फ्रांस और इज़राइल से मजबूत रक्षा साझेदारी रखता है।

स्वदेशी सैन्य उत्पादन: भारत अब TEJAS, ब्रह्मोस, INS विक्रांत जैसे स्वदेशी सैन्य उपकरण बना रहा है।

कूटनीतिक सफलता: भारत ने G20 की अध्यक्षता, BRICS विस्तार, और चंद्रयान-3 की सफलता के जरिए अपनी शक्ति सिद्ध की है।

फोर्ब्स की इस रैंकिंग से भारत की वास्तविक शक्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन यह स्पष्ट करता है कि पश्चिमी मीडिया और थिंक टैंक्स अभी भी भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्वीकार करने से हिचकिचा रहे हैं।

निष्कर्ष: भारत की शक्ति को कम नहीं आँका जा सकता

फोर्ब्स की यह सूची भारत की वास्तविक स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करती। भारत, जो दुनिया के शीर्ष पाँच सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है, को अनदेखा करना एक पूर्वाग्रही सोच को दर्शाता है।

हालांकि, भारत को इन रैंकिंग्स की चिंता किए बिना अपनी शक्ति को और मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। अगर भारत 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाता है, तो यह पश्चिमी मीडिया और संस्थानों को अपनी सोच बदलने के लिए मजबूर कर देगा।

असली शक्ति रैंकिंग से नहीं, बल्कि वास्तविक कृत्यों से मिलती है—और भारत इस दिशा में सही मार्ग पर है।


Previous & Next Post in Blogger
|
✍️ARVIND SINGH PK REWA

Comments

Advertisement

POPULAR POSTS