भारत ने 2025-26 के लिए ₹6.81 लाख करोड़ का रक्षा बजट निर्धारित किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9.53% अधिक है। यह बजट भारत की जीडीपी का 1.9-2% है। हालांकि, यदि अमेरिका और चीन से तुलना करें तो भारत का रक्षा बजट उनसे काफी कम है। अमेरिका का रक्षा बजट $895 बिलियन (₹77 लाख करोड़) है, जो उसकी जीडीपी का 3.2% है, जबकि चीन का रक्षा बजट $225 बिलियन (₹19 लाख करोड़) है, जो उसकी जीडीपी का 1.5% है।
रक्षा बजट में बढ़ोतरी क्यों जरूरी?
भारत एक रणनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है। चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर लगातार सुरक्षा चुनौतियां बनी रहती हैं। हाल के वर्षों में चीन ने अपने सैन्य ढांचे को अत्याधुनिक बना लिया है और पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को संरक्षण देने से पीछे नहीं हट रहा। ऐसे में भारत को न केवल अपनी रक्षा क्षमताओं को आधुनिक बनाना होगा बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भी मजबूती से आगे बढ़ना होगा।
अमेरिका और चीन से तुलना: क्या भारत पीछे है?
यदि केवल आंकड़ों की तुलना करें, तो भारत का रक्षा बजट अमेरिका और चीन से काफी कम है। अमेरिका वैश्विक सैन्य ताकत में सबसे आगे है और उसका रक्षा खर्च भारत से 11 गुना अधिक है। चीन, जो भारत का पड़ोसी और रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी है, उसका बजट भी भारत से तीन गुना अधिक है। हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत अपने सीमित संसाधनों के बावजूद एक सशक्त और प्रभावी रक्षा प्रणाली विकसित कर रहा है।
क्या रक्षा बजट बढ़ाने से विकास प्रभावित होगा?
कई बार तर्क दिया जाता है कि रक्षा बजट में अधिक वृद्धि से अन्य क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर असर पड़ सकता है। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास एक-दूसरे के पूरक होते हैं। जब देश सुरक्षित रहेगा, तभी व्यापार, उद्योग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रयास
भारत अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। सरकार ने मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहित किया है। राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद, तेजस विमान निर्माण, ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली, और स्वदेशी हथियार निर्माण जैसी पहलें भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही हैं।
निष्कर्ष
भारत का रक्षा बजट न केवल सुरक्षा बल्कि आर्थिक और रणनीतिक मजबूती का भी संकेत है। बदलते वैश्विक परिदृश्य और सीमा सुरक्षा की चुनौतियों को देखते हुए यह आवश्यक है कि भारत सैन्य आधुनिकीकरण के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की दिशा में निरंतर आगे बढ़े। केवल बजट बढ़ाने से सुरक्षा मजबूत नहीं होगी, बल्कि उसे सही दिशा में निवेश करना होगा ताकि भारत एक सशक्त और आत्मनिर्भर सैन्य शक्ति के रूप में उभर सके।
Comments
Post a Comment