आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक जहां एक ओर नवाचार और प्रगति का प्रतीक है, वहीं इसके दुरुपयोग की आशंका भी बढ़ती जा रही है। हाल ही में ब्रिटेन ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए एआई से बनी बाल यौन शोषण संबंधी तस्वीरों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय न केवल तकनीक के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह समाज और आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी प्रयास है।
तकनीक का काला पक्ष
एआई ने जिस गति से डिजिटल दुनिया को बदला है, उसी तेजी से इसके खतरनाक पहलू भी उभर रहे हैं। डीपफेक, फर्जी तस्वीरें और अन्य एआई-जनित सामग्री समाज में भ्रामक सूचनाओं और अपराधों को बढ़ावा दे सकती हैं। विशेष रूप से, बच्चों के खिलाफ यौन शोषण जैसी घिनौनी हरकतों में इस तकनीक का इस्तेमाल बेहद चिंताजनक है। एआई-जनित अश्लील तस्वीरें या वीडियो न केवल डिजिटल अपराधियों को बढ़ावा देते हैं, बल्कि वास्तविक जीवन में भी बच्चों के खिलाफ हिंसा और शोषण की घटनाओं को प्रेरित कर सकते हैं।
ब्रिटेन की नई नीति क्यों महत्वपूर्ण है?
ब्रिटेन ने यह समझा कि कानूनी ढांचे को आधुनिक तकनीकी खतरों के अनुरूप ढालना आवश्यक है। इसके तहत:
बाल यौन शोषण से जुड़ी एआई-जनित तस्वीरों का निर्माण, संग्रहण और वितरण अवैध कर दिया गया है।
ऐसे एआई टूल्स विकसित करना या उपयोग करना अब अपराध माना जाएगा।
इस तरह की सामग्री रखने या साझा करने पर पांच साल तक की जेल हो सकती है।
पीडोफाइल मैनुअल रखना भी अपराध घोषित कर दिया गया है।
यह कदम बताता है कि ब्रिटेन सरकार बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि डिजिटल माध्यमों में भी उनकी निजता और गरिमा बनी रहे।
अन्य देशों के लिए सीख
ब्रिटेन पहला देश है जिसने इस दिशा में ठोस कानूनी कार्रवाई की है, लेकिन यह एक वैश्विक समस्या है। एआई की पहुंच सीमाओं से परे है, इसलिए अन्य देशों को भी ऐसी नीतियां अपनानी होंगी, ताकि अपराधी किसी भी तकनीकी खामी का फायदा न उठा सकें। भारत जैसे देश, जहां इंटरनेट उपयोगकर्ता तेजी से बढ़ रहे हैं, वहां भी इस प्रकार के कानून की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
निष्कर्ष
तकनीक का विकास समाज के हित में होना चाहिए, न कि उसके लिए खतरा बनकर। ब्रिटेन का यह निर्णय दिखाता है कि सरकारें यदि चाहें तो एआई के दुरुपयोग पर प्रभावी नियंत्रण कर सकती हैं। अन्य देशों को भी इस कदम से सीख लेते हुए अपने डिजिटल कानूनों को मजबूत करना चाहिए, ताकि भविष्य में बच्चों और समाज की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। तकनीक की शक्ति को समाज की भलाई के लिए उपयोग करना ही असली प्रगति होगी।
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