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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

एआई के दुरुपयोग पर सख्त पहरा: ब्रिटेन का ऐतिहासिक कदम

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक जहां एक ओर नवाचार और प्रगति का प्रतीक है, वहीं इसके दुरुपयोग की आशंका भी बढ़ती जा रही है। हाल ही में ब्रिटेन ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए एआई से बनी बाल यौन शोषण संबंधी तस्वीरों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय न केवल तकनीक के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह समाज और आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी प्रयास है।

तकनीक का काला पक्ष

एआई ने जिस गति से डिजिटल दुनिया को बदला है, उसी तेजी से इसके खतरनाक पहलू भी उभर रहे हैं। डीपफेक, फर्जी तस्वीरें और अन्य एआई-जनित सामग्री समाज में भ्रामक सूचनाओं और अपराधों को बढ़ावा दे सकती हैं। विशेष रूप से, बच्चों के खिलाफ यौन शोषण जैसी घिनौनी हरकतों में इस तकनीक का इस्तेमाल बेहद चिंताजनक है। एआई-जनित अश्लील तस्वीरें या वीडियो न केवल डिजिटल अपराधियों को बढ़ावा देते हैं, बल्कि वास्तविक जीवन में भी बच्चों के खिलाफ हिंसा और शोषण की घटनाओं को प्रेरित कर सकते हैं।

ब्रिटेन की नई नीति क्यों महत्वपूर्ण है?

ब्रिटेन ने यह समझा कि कानूनी ढांचे को आधुनिक तकनीकी खतरों के अनुरूप ढालना आवश्यक है। इसके तहत:

बाल यौन शोषण से जुड़ी एआई-जनित तस्वीरों का निर्माण, संग्रहण और वितरण अवैध कर दिया गया है।

ऐसे एआई टूल्स विकसित करना या उपयोग करना अब अपराध माना जाएगा।

इस तरह की सामग्री रखने या साझा करने पर पांच साल तक की जेल हो सकती है।

पीडोफाइल मैनुअल रखना भी अपराध घोषित कर दिया गया है।

यह कदम बताता है कि ब्रिटेन सरकार बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि डिजिटल माध्यमों में भी उनकी निजता और गरिमा बनी रहे।

अन्य देशों के लिए सीख

ब्रिटेन पहला देश है जिसने इस दिशा में ठोस कानूनी कार्रवाई की है, लेकिन यह एक वैश्विक समस्या है। एआई की पहुंच सीमाओं से परे है, इसलिए अन्य देशों को भी ऐसी नीतियां अपनानी होंगी, ताकि अपराधी किसी भी तकनीकी खामी का फायदा न उठा सकें। भारत जैसे देश, जहां इंटरनेट उपयोगकर्ता तेजी से बढ़ रहे हैं, वहां भी इस प्रकार के कानून की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

निष्कर्ष

तकनीक का विकास समाज के हित में होना चाहिए, न कि उसके लिए खतरा बनकर। ब्रिटेन का यह निर्णय दिखाता है कि सरकारें यदि चाहें तो एआई के दुरुपयोग पर प्रभावी नियंत्रण कर सकती हैं। अन्य देशों को भी इस कदम से सीख लेते हुए अपने डिजिटल कानूनों को मजबूत करना चाहिए, ताकि भविष्य में बच्चों और समाज की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। तकनीक की शक्ति को समाज की भलाई के लिए उपयोग करना ही असली प्रगति होगी।


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✍️ARVIND SINGH PK REWA

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