हाल ही में अमेरिका में बर्थराइट सिटिजनशिप को खत्म करने की कोशिशों ने एक बड़ा राजनीतिक और कानूनी विवाद खड़ा कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से देश में बर्थराइट सिटिजनशिप को समाप्त करने की घोषणा की थी। यह सिटिजनशिप उन बच्चों को दी जाती है जो अमेरिका की भूमि पर जन्म लेते हैं, भले ही उनके माता-पिता की नागरिकता कोई भी हो।
बर्थराइट सिटिजनशिप का कानूनी आधार
अमेरिका में बर्थराइट सिटिजनशिप का प्रावधान 14वें संविधान संशोधन से जुड़ा हुआ है, जो स्पष्ट करता है कि अमेरिका में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति अमेरिकी नागरिक होगा। यह संशोधन 1868 में लागू हुआ था और इसका उद्देश्य गुलामों और उनके वंशजों को नागरिकता का अधिकार देना था।
डोनाल्ड ट्रंप ने इस नीति को खत्म करने का प्रस्ताव रखा, यह दावा करते हुए कि यह कानून अवैध अप्रवासियों द्वारा दुरुपयोग किया जा रहा है। उनका कहना था कि अवैध अप्रवासियों के बच्चे इस नीति का लाभ उठाकर नागरिकता प्राप्त कर लेते हैं और इसके कारण अमेरिका की सामाजिक और आर्थिक संरचना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
विवाद और 22 राज्यों की आपत्ति
इस कदम के खिलाफ अमेरिका के 22 राज्यों ने एकजुट होकर कोर्ट में मुकदमा दायर किया है। इन राज्यों का तर्क है कि बर्थराइट सिटिजनशिप को खत्म करना संविधान के खिलाफ है और यह देश में रहने वाले कानूनी नागरिकों के अधिकारों को भी प्रभावित करेगा।
भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसमैन रो खन्ना ने इस मुद्दे पर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि यह केवल अवैध अप्रवासियों के बच्चों पर ही नहीं, बल्कि उन लोगों पर भी असर डालेगा जो कानूनी रूप से अमेरिका में रह रहे हैं।
समाज और राजनीति पर प्रभाव
ट्रंप के इस कदम से अमेरिकी समाज में तीखी प्रतिक्रिया हुई है।
1. समर्थन: ट्रंप के समर्थकों का मानना है कि यह कदम अवैध अप्रवासियों को रोकने और अमेरिका की सुरक्षा एवं संसाधनों की रक्षा करने के लिए जरूरी है।
2. विरोध: आलोचकों का कहना है कि यह फैसला मानवाधिकारों और संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
अंतरराष्ट्रीय और भारतीय-अमेरिकी समुदाय की प्रतिक्रिया
यह निर्णय केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है। भारतीय-अमेरिकी समुदाय और अन्य प्रवासी समूह भी इस फैसले के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उनका मानना है कि यह अप्रवासियों के खिलाफ पूर्वाग्रह को बढ़ावा देता है और अमेरिका की "आव्रजन की भूमि" होने की पहचान को खत्म करता है।
न्यायपालिका की भूमिका
अमेरिकी न्यायपालिका अब इस विवाद का फैसला करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि 14वें संशोधन के स्पष्ट प्रावधानों के कारण ट्रंप का यह आदेश कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाएगा।
निष्कर्ष
बर्थराइट सिटिजनशिप को खत्म करने का प्रयास केवल एक कानून में बदलाव नहीं है, बल्कि यह अमेरिका की मूलभूत संवैधानिक मान्यताओं को चुनौती देता है। यह मामला न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी बड़े प्रभाव डालेगा। आने वाले दिनों में इस पर न्यायालय का फैसला और समाज की प्रतिक्रिया अमेरिका के भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं।
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