दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 2025 के दौरान आईएमएफ की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ ने भारत के लिए एक उत्साहजनक तस्वीर पेश की। उन्होंने बताया कि भारत न केवल विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, बल्कि देश के 26% कार्यबल को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का अनुभव भी हो चुका है। यह तथ्य भारत की तकनीकी क्षमता और उसके उपयोग को दर्शाता है।
एआई का प्रभाव: अवसर और लाभ
एआई का भारतीय अर्थव्यवस्था और कार्यबल पर सकारात्मक प्रभाव स्पष्ट है। गीता गोपीनाथ ने बताया कि एआई के संपर्क में आए 14% कार्यबल को प्रत्यक्ष लाभ हुआ है। इसका मतलब है कि एआई ने न केवल उत्पादन प्रक्रिया को सरल और तेज किया है, बल्कि नए अवसर भी पैदा किए हैं। कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और वित्तीय क्षेत्रों में एआई ने समस्याओं को सुलझाने के नए और अधिक प्रभावी तरीके प्रस्तुत किए हैं।
इसके अलावा, एआई ने छोटे और मध्यम उद्योगों को भी तकनीकी रूप से सशक्त बनाया है। यह न केवल उनकी उत्पादकता को बढ़ा रहा है, बल्कि उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिके रहने का साधन भी प्रदान कर रहा है। उदाहरण के लिए, एआई-आधारित समाधान अब खेती में मिट्टी की गुणवत्ता का विश्लेषण कर रहे हैं, जिससे किसानों को बेहतर फसल उत्पादन में मदद मिल रही है।
चुनौतियां और जोखिम
हालांकि एआई की संभावनाएं अनंत हैं, लेकिन यह भी सच है कि इसके साथ कई चुनौतियां और जोखिम जुड़े हुए हैं। सबसे बड़ी चुनौती है – रोजगार। जैसे-जैसे एआई स्वचालन को बढ़ावा देगा, वैसे-वैसे कई पारंपरिक नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। खासकर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों और निम्न-कौशल वाले कार्यबल के लिए यह बड़ी चिंता का विषय है।
इसके अलावा, डेटा सुरक्षा और गोपनीयता एक अन्य गंभीर मुद्दा है। एआई आधारित प्रणाली बड़ी मात्रा में डेटा का उपयोग करती है, जो कभी-कभी व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी को भी खतरे में डाल सकती है।
भारत के लिए आगे का रास्ता
भारत के लिए एआई को अपनाने का मतलब केवल तकनीकी विकास नहीं है, बल्कि इसे इस तरह से लागू करना है कि इसका लाभ सभी वर्गों तक पहुंचे। इसके लिए सरकार, निजी क्षेत्र और शिक्षण संस्थानों को मिलकर काम करना होगा।
1. कौशल विकास: कार्यबल को एआई और अन्य उन्नत तकनीकों के लिए प्रशिक्षित करना अनिवार्य है। इसके लिए व्यापक स्तर पर कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए।
2. नीतिगत सुधार: एआई को नैतिक और जिम्मेदार तरीके से लागू करने के लिए स्पष्ट नीतियां बनाई जानी चाहिए। इसमें डेटा सुरक्षा और गोपनीयता से जुड़े नियम शामिल होने चाहिए।
3. समावेशिता: एआई को ऐसे तरीके से लागू किया जाए जिससे समाज के हर वर्ग को इसका लाभ मिल सके। ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में भी एआई आधारित समाधानों को पहुंचाना चाहिए।
निष्कर्ष
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत के लिए एक वरदान साबित हो सकता है, लेकिन इसके लिए इसे जिम्मेदारी और दूरदर्शिता के साथ अपनाना होगा। भारत को अपनी जनसंख्या के कौशल का सही उपयोग करते हुए इस तकनीकी क्रांति का नेतृत्व करना चाहिए। यदि भारत इन अवसरों का सही तरीके से उपयोग करता है, तो वह न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगा, बल्कि एक वैश्विक तकनीकी शक्ति के रूप में भी उभरेगा।
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