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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Zaporizhzhia Nuclear Crisis 2025: Europe’s Largest Nuclear Plant at Risk | Russia-Ukraine War

ज़ापोरिज़्ज़िया परमाणु संकट: वैश्विक सुरक्षा और भू-राजनीति पर एक खतरा

परिचय: एक नाजुक स्थिति

ज़ापोरिज़्ज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र (ZNPP), यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र, रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है। सितंबर 2025 के अंत में गोलाबारी के कारण इस संयंत्र की बाहरी बिजली आपूर्ति ठप हो गई, जिसके परिणामस्वरूप यह आपातकालीन डीजल जनरेटरों पर निर्भर है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) और यूक्रेनी अधिकारियों ने इस स्थिति को "बेहद नाजुक" करार दिया है, क्योंकि लंबे समय तक डीजल जनरेटरों पर निर्भरता से रिएक्टरों के कूलिंग सिस्टम में विफलता, रेडियोधर्मी रिसाव या मेल्टडाउन का खतरा बढ़ गया है। यह संकट न केवल यूक्रेन, बल्कि पूरे यूरोप और विश्व के लिए पर्यावरणीय और मानवीय तबाही का कारण बन सकता है। यह निबंध ज़ापोरिज़्ज़िया संकट के कारणों, इसके भू-राजनीतिक प्रभावों और तत्काल वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

संकट की जड़ें: युद्ध और दोषारोपण

ज़ापोरिज़्ज़िया संयंत्र, जो दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन के डेनिप्रो नदी के किनारे स्थित है, मार्च 2022 में रूस के कब्जे में आ गया था। तब से यह रूसी और यूक्रेनी सेनाओं के बीच तनाव का केंद्र रहा है। हाल की गोलाबारी, जिसने संयंत्र की बिजली लाइनों को नष्ट कर दिया, ने इसे यूक्रेन के राष्ट्रीय ग्रिड से काट दिया। यूक्रेन ने रूस पर जानबूझकर बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने का आरोप लगाया, इसे "परमाणु आतंकवाद" का नाम दिया। दूसरी ओर, रूस ने यूक्रेन पर हमले का दोष मढ़ा, इसे कीव की उकसावट बताया। इस दोषारोपण के बीच, संयंत्र युद्ध की अग्रिम पंक्ति से केवल 10 किलोमीटर दूर है, जहां दोनों पक्षों की सैन्य गतिविधियाँ खतरे को और बढ़ा रही हैं। यह स्थिति युद्ध के दौरान परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में वैश्विक व्यवस्था की विफलता को उजागर करती है।

परमाणु जोखिम: चेर्नोबिल की छाया

ज़ापोरिज़्ज़िया के छह रिएक्टरों को सुरक्षा के लिए "कोल्ड शटडाउन" मोड में रखा गया है, लेकिन कूलिंग सिस्टम को चालू रखने के लिए बिजली अनिवार्य है। डीजल जनरेटरों में सीमित ईंधन (लगभग 10-15 दिन का) और युद्ध क्षेत्र में आपूर्ति की जटिलता स्थिति को और खतरनाक बनाती है। IAEA के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने इसे "चेर्नोबिल के बाद सबसे गंभीर परमाणु जोखिम" बताया है। एक रेडियोधर्मी रिसाव न केवल यूक्रेन, बल्कि काला सागर, यूरोप की कृषि और लाखों लोगों के लिए विनाशकारी होगा। सर्दियों के नजदीक आने के साथ, यूक्रेन का पहले से तनावग्रस्त बिजली ग्रिड और अधिक दबाव में है, जिससे ब्लैकआउट का खतरा बढ़ रहा है। यह संकट न केवल तकनीकी, बल्कि मानवीय और पर्यावरणीय आपदा का कारण बन सकता है, जो वैश्विक समुदाय के लिए एक चेतावनी है।

भू-राजनीतिक जटिलताएँ: अमेरिका और वैश्विक हस्तक्षेप

ज़ापोरिज़्ज़िया संकट ने भू-राजनीतिक तनाव को और गहरा कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2024 में इस संयंत्र पर नियंत्रण की बात कही थी, इसे रूस के प्रभाव को कम करने और यूरोप की ऊर्जा स्थिरता सुनिश्चित करने के उपाय के रूप में प्रस्तुत किया था। हालांकि, कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं है, लेकिन अमेरिका और नाटो सहयोगियों के बीच IAEA के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय प्रशासन की संभावना पर चर्चा चल रही है। यह विचार रूस के साथ तनाव को और बढ़ा सकता है, जो पहले से ही पश्चिम के साथ टकराव की स्थिति में है। रूस ने संयुक्त राष्ट्र से सुरक्षा की मांग की है, जबकि यूक्रेन ने अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की अपील की है। तुर्की जैसे तटस्थ देशों के माध्यम से कूटनीतिक प्रयास जारी हैं, लेकिन प्रगति धीमी है। यह स्थिति वैश्विक शक्तियों के बीच सहयोग की कमी और परमाणु सुरक्षा के लिए एकजुट रणनीति की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

समाधान की तलाश: तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता

ज़ापोरिज़्ज़िया संकट को हल करने के लिए तत्काल और समन्वित वैश्विक कार्रवाई आवश्यक है। IAEA ने संयंत्र के आसपास एक गैर-सैन्य क्षेत्र की मांग की है, जो युद्धरत पक्षों को वहाँ से हटाने और तटस्थ निगरानी सुनिश्चित करेगा। यूरोपीय संघ ने यूक्रेन के ऊर्जा क्षेत्र के लिए €100 मिलियन की सहायता की घोषणा की है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। संयंत्र के लिए स्थिर बिजली आपूर्ति और ईंधन की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके अलावा, रूस और यूक्रेन के बीच विश्वास बहाली के लिए तटस्थ मध्यस्थों की भूमिका महत्वपूर्ण है। वैश्विक समुदाय को परमाणु आपदा के दीर्घकालिक परिणामों को प्राथमिकता देनी होगी, न कि केवल अल्पकालिक भू-राजनीतिक लाभों को।

 निष्कर्ष: एक वैश्विक जिम्मेदारी

ज़ापोरिज़्ज़िया संकट एक कठोर अनुस्मारक है कि युद्ध और परमाणु ऊर्जा का संयोजन विनाशकारी हो सकता है। यह न केवल यूक्रेन और रूस का मामला है, बल्कि एक वैश्विक चुनौती है, जो पर्यावरण, मानव जीवन और अंतरराष्ट्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। चेर्नोबिल और फुकुशिमा के सबक हमें सिखाते हैं कि परमाणु जोखिम को नजरअंदाज करना घातक हो सकता है। विश्व समुदाय को तत्काल कदम उठाने होंगे—सैन्य तनाव को कम करने, संयंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने और कूटनीति को बढ़ावा देने के लिए। ज़ापोरिज़्ज़िया का भविष्य न केवल यूक्रेन, बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा और स्थिरता का प्रतीक है।

नोट: यह संपादकीय लेख वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट पर आधारित है और संकट के तकनीकी, मानवीय और भू-राजनीतिक पहलुओं को संतुलित करता है। 

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